Himachal Pradesh Council for Science, Technology & Environment

शिमला: जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी 5 जुलाई से

शिमला: भौगोलिक संकेत (जीआई) उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक चिन्ह है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और उनमें उस उत्पत्ति के कारण गुण या प्रतिष्ठा होती है। पंजीकरण भौगोलिक संकेतों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है। यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं के उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है। हिमकोस्ट ने भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999 के तहत कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, चंबा रुमाल, किन्नौरी शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, हिमाचली काला ज़ीरा, हिमाचली चुल्ली तेल, चंबा चप्पल, लाहौली बुने हुए मोज़े और दस्ताने पंजीकृत किए हैं। जबकि, स्पीति सीबकथॉर्न, हिमाचली टोपी, चंबा मेटल शिल्प, मंडी की सेपू वड़ी, सिरमौरी लोइया, किन्नौरी सेब, किन्नौरी आभूषण, पांगी की थांगी (हेज़लनट) जीआई रजिस्ट्री कार्यालय, चेन्नई में प्रक्रियाधीन हैं।

जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए HIMCOSTE 5 जुलाई से 10 जुलाई तक इंदिरा गांधी राज्य खेल परिसर (आईजीएसएससी), द मॉल, शिमला में जीआई और संभावित जीआई उत्पादों की एक प्रदर्शनी-सह-बिक्री का आयोजन कर रहा है। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रबोध सक्सैना, मुख्य सचिव, सरकार हिमाचल प्रदेश के द्वारा किया जाएगा।

किसी उत्पाद के लिए जीआई पंजीकरण उसकी वास्तविकता, मौलिकता और विशिष्टता का आश्वासन है । विशिष्ट कृषि जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में इन जीआई पंजीकृत उत्पादों की उत्पत्ति इन्हे विशेष गुणवत्ता प्रदान करती है जिसके कारण उपभोगताओं/ग्राहकों को इनकी तलाश रहती है।

प्रदर्शक राज्य भर से उपर्युक्त उत्पादों के अधिकृत उपयोगकर्ता है जो कि भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किये गए हैं। शहर के पर्यटकों, ग्राहकों और स्थानीय निवासियों के पास 5 जुलाई से 10 जुलाई, 2023 तक इंदिरा गांधी राज्य खेल परिसर (आईजीएसएससी) में एक ही दुकान पर इन मूल्यवान पारंपरिक उत्पादों को उपलब्ध कराने का अनूठा अवसर है।

सम्बंधित समाचार

Comments are closed