शूलिनी विवि  में साहित्य में पारिस्थितिक कल्पना पर सत्र आयोजित

सोलन: “शब्द जो पोषण करते हैं: साहित्य में पारिस्थितिक कल्पना की खोज” विषय पर एक सत्र का आयोजन बेलेट्रिस्टिक लिटरेचर सोसाइटी ऑफ फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड एनशिएंट इंडियन विजडम शूलिनी विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।  

सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. नासिर दश्त पेमा थे, जिन्होंने इस विषय पर अपनी अंतर्दृष्टि प्रदान की। डॉ. पूर्णिमा बाली ने बेलेट्रिस्टिक के परिचय के साथ कार्यवाही की शुरुआत की। डॉ. नवरीत साही ने वक्ता का परिचय दिया और सत्र के एजेंडे का अवलोकन प्रदान किया।

प्रोफेसर नासिर दश्त पेमा ने साहित्य और पारिस्थितिक कल्पना के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करते हुए एक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी। उन्होंने कार्रवाई को प्रेरित करने और एक स्थायी भविष्य को आकार देने के लिए साहित्य और रचनात्मक अभिव्यक्ति की क्षमता पर भी जोर दिया। उन्होंने चर्चा की कि कैसे साहित्य अपरंपरागत विचार प्रयोगों के लिए एक मंच प्रदान करता है

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