हिम धरोहर व इतिहास (Page 4)

रामपुर बुशहर में स्थित तिब्बतीयन शैली में निर्मित दुम्ग्युर नामक बौद्ध मंदिर

रामपुर बुशहर में स्थित तिब्बतीयन शैली में निर्मित दुम्ग्युर बौद्ध मंदिर

बुशहर रियासत के टीका रघुनाथ सिंह ने सन 1895 ई. को स्थापित करवाया शिमला जिला के रामपुर उपमंडल में समुद्रतल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बौद्ध मंदिर रामपुर बस स्टैंड के पास स्थित है। रामपुर में तिब्बतीयन...

लाहौल और स्पीति के “भोट” में फलदार वृक्ष नहीं अपितु प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ अधिक पाई जाती हैं

लाहौली एवं स्पीति भोट द्वारा बोली जाने वाली भोटी भाषा  भुटोरियां पंगवाल गांव से काफी दूर लाहौल और स्पीति “भोट” की जीवन शैली उनकी निकटता के कारण समान… ईसा की सातवीं शताब्दी में पहली बार...

हिमाचल प्रदेश (पश्चिमी हिमालय) की प्राचीनता :

प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए वेदों के माध्यम से मानवीय सभ्यता के उन दिनों का पता चलता है…, जब… विश्व के शेष भागों में अन्धकार छाया हुआ था और भारत में पूर्ण प्रकाश की उपासना हो रही...

हिमाचल: लोकप्रिय-नाट्य में बड़ी दक्षता के साथ पिरोए जाते हैं नृत्य और संगीत; पहाड़ी लोक-नाट्यों में “करयाला, बाँठड़ा, झाँकी, स्वाँग, हड्न्तर और भगत” सबसे लोकप्रिय

हिमाचल के ग्रामीणों के लिए सदियों से मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा है “करियाला” लोक-नाट्य हिमाचल में मनोरंजन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं। ये प्रायः सर्द ऋतु में पूरे प्रदेश में आयोजित किए जाते...

किन्नौर के देव कारदारों का पहरावा; इस पहरावे के बिना देवालयों में प्रवेश नहीं कर सकते देव कारदार

सिर पर काली गोल टोपी, बदन पर छुबा और कमर में गाची पहनना जरूरी देवभूमि हिमाचल अपनी परंपरा, रहन-सहन, खानपान, संस्कृति तथा प्रकृति की खूबसूरती से न केवल भारत में अपितु विश्व भर में जाना जाता है।...

हिमाचल: जिला मण्डी की वो पुरानी खूबसूरत… “चौकियां”

पुराने समय में ये “चौकियां” खूबसूरत मिट्टी का बना हुआ कच्चा घर हुआ करतीं थीं जिला मण्डी की “चौकियां” जी हां इस बार हम अपने कॉलम में आपको जिला मण्डी की चौकियों बारे में जानकारी देने जा रहे...

चंबा: पांगी में जुकारू उत्सव का आगाज…

चंबा: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां की कण-कण में देवताओं का वास है। हिमाचल एक पहाड़ी और प्राचीन सभ्यता से जुड़ा हुआ स्थल रहा है ।  यहां पर त्योहार और मेलो को स्थानीय लोग...