पीएमएवाई (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के लिए 3,21,567 सस्ते घरों को स्वीकृति

शहरी आवास मिशन के तहत कारपेट एरिया में न्‍यूनतम 9 वर्गमीटर की वृद्धि आवश्‍यक

  • बीएलसी के तहत लाभार्थियों को नए घर बनाने और वर्तमान घर के आकार को बड़ा करने के लिए सहायता प्रदान
  • प्रति लाभार्थी को 1.5 लाख रुपये की सहायता के लिए पक्‍के और अर्द्ध पक्‍के भवनों के कारपेट क्षेत्र में कम से कम 9 वर्गमीटर की वृद्धि जरूरी
  • राष्‍ट्रीय भवन निर्माण के मानदंडों के अनुसार यह वृद्धि हो सकती है कम से कम रहने लायक एक कमरे या रसोईघर के रूप में
  • नई गाइडलाइन : कारपेट क्षेत्र में जरूरी 9 वर्ग मीटर क्षेत्र की के बाद कारपेट क्षेत्र का कुल वृद्धि 21 वर्ग मीटर से कम और 30 वर्गमीटर से नहीं होनी चाहिए अधिक

 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माण नीत लाभार्थीयोजना के तहत केन्‍द्रीय सहायता प्राप्‍त करने के लिए मौजूदा आवास के कारपेट क्षेत्र में कम से कम 9 वर्गमीटर की वृद्धि आवश्‍यक होगी।आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को रियायती आवास का प्रस्‍ताव भेजते वक्‍त निर्माण नीत लाभार्थी’(बीएलसी) के तहत मकानों की वृद्धि करने के लिए इसे लागू करने हेतु संशोधित गाइडलाइन जारी की है।

बीएलसी के तहत लाभार्थियों को नए घर बनाने और वर्तमान घर के आकार को बड़ा करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। प्रति लाभार्थी को 1.5 लाख रुपये की सहायता के लिए पक्‍के और अर्द्ध पक्‍के भवनों के कारपेट क्षेत्र में कम से कम 9 वर्गमीटर की वृद्धि जरूरी होगी। राष्‍ट्रीय भवन निर्माण के मानदंडों के अनुसार यह वृद्धि कम से कम रहने लायक एक कमरे या रसोईघर के रूप में हो सकती है।

नई गाइडलाइन में कहा गया है कि कारपेट क्षेत्र में जरूरी 9 वर्ग मीटर क्षेत्र की के बाद कारपेट क्षेत्र का कुल वृद्धि 21 वर्ग मीटर से कम और 30 वर्गमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीएमएवाई (शहरी) के बीएलसी घटक के तहत पहले से पक्‍का या अर्द्ध पक्‍का मकान का लाभ उठाने वाले पात्र अपने मकानों को रहने लायक बनाने के लिए इसके आकार में वृद्धि कर सकेंगे।

आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय ने शहरी क्षेत्र में आवास की कमी का पता लगाने के लिए तकनीक समूह का गठन किया है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में 14.99 मीलियन घरों को अति सघनता, 2.27 मकान जर्जर और 0.99 मीलियन कच्‍च्‍े मकानों को रहने लायक नहीं पाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में कुल 18.78 मीलियन मकानों की कमी है। इस अनुमान के आधार पर सरकार ने 2022 तक शहरी क्षेत्रों में 20 मीलियन घरोंकी जरूरत पड़ने का अनुमान लगाया है।

इसके अलावा पीएमएवाई के अन्‍य घटकों में इन-सीटू झुग्‍गी पुनर्विकास ,साझा रियायती आवास और कर्ज आधारित रियायती योजना का विकल्‍प लाभार्थी अपनी जरूरतों और आय के अनुसार चुन सकता है। केन्‍द्रीय सहायता प्रत्‍येक लाभार्थी को एक लाख से 2.30 लाख रुपये तक प्रदान की जाएगी। आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को लिए 43,922 करोड़ रुपये का 6.84 लाख रियायती मकानों के निर्माण की मंजूरी दी है। इसमें 10,050 करोड़ रुपये केन्‍द्रीय सहायताके रूप में शामिल है।

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