भारत सोका गाक्काई सतत एवं स्थायी विकास संगोष्ठी;  डॉ. धवन ने कहा- 2030 के लिए टिकाऊ एवं स्थिर जीवन शैली अनिवार्य 

सतत मानव व्यवहार के माध्यम से उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अग्रसर होना

नई दिल्ली: स्थायी एवं टिकाऊ जीवन की आवश्यकता पहले की अपेक्षा आज और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान,प्लास्टिक और वायु प्रदुषण के कारण दुनिया में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे समय हम सभी को सोचना होगा कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने इस अनमोल गृह, पृथ्वी को संरक्षित करने में क्या भूमिका निभा सकता है।

भारतीय समाज में शांति ,संस्कृति,शिक्षा और सतत एवं स्थायी विकास को बढ़ावा देने वाली संस्था भारत सोका गाक्काई ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 26 अप्रैल को सतत एवं स्थायी विकास संगोष्ठी का आयोजन किया। नई दिल्ली में चिन्मय मिशन ऑडिटोरियम में आयोजित इस संगोष्ठी में स्थायी भविष्य बनाने के लिए चुनौतियों और अवसरों का पता लगाने के लिए कई विचारको,विशेषज्ञों और स्थिरता के प्रति समर्पित लोगों ने भाग लिया।

संगोष्ठी का विषय था,’ स्थायी एवं सतत मानव व्यवहार द्वारा उद्देश्य प्राप्ति के लिए अग्रसर होना’ टिकाऊ विकास के लिए स्थायी एवं सतत मानव व्यवहार, भारत सोका गाक्काई की परिकल्पना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सतत मानव व्यवहार की आवश्यकता पर बल देना तथा यह जागरूकता उत्पन्न करना था कि टिकाऊ विकास की चर्चाओ को धरातल पर ठोस रुप में परिणित करने का यही एक मात्र तरीका है। यह बदलाव हमें समस्त जीवो के अस्तित्व का सम्मान और पृथ्वी के सभी संसाधनों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है।

इस विषय का परिचय देते हुए भारत सोका गाक्काई के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने “कहा स्थिरता की मूल परिभाषा का अर्थ है-भविष्य की पीढीयों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करना” इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि हम व्यक्तिगत तौर पर, सामाजिक दृष्टि से तथा मानव सभ्यता के रुप में अपने अस्तित्व के तौर-तरीके का मौलिक पुर्नमूल्यांकन करे| इसके लिए हमें अपने दैनिक जीवन व्यवहार में इसे जीवन शैली के रुप में अपनाना होगा।

इस संगोष्ठी में प्रसिद्ध वक्ता जैसे डॉo विभा धवन, महानिदेशक, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट; डॉ. राधिका बत्रा, सह-संस्थापक और अध्यक्ष,एव्री इंफेंट मैटर्स; अंशु तनेजा, प्रबंध निदेशक और बोर्ड सदस्य, विज़नस्प्रिंग, भारत; और  गौरव शाह, सह-संस्थापक और निदेशक, इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट ने भाग लिया।

वक्ताओं ने विषय पर अपनी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण साझा किए और स्थिरता की संस्कृति बनाने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के महत्व पर प्रकाश डाला।

इस संगोष्ठी की मुख्य वक्ता डॉ. विभा धवन ने कहा: “अधिकांश विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्थायी जीवन शैली को अपनाने की अनिवार्यता इतनी महत्वपूर्ण कभी नहीं थी। 2030 के विकास के एजंडे को प्राप्त करने के लिए हमें वैश्विक संवाद द्वारा ऐसी शैलियों को पहचानने, एकीकृत करने और उन्हें मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है।

 गौरव शाह ने अपने वक्तव्य में कहा, “आज , हम पृथ्वी पर उपलब्ध प्राक्रतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग करके उन्हें लगातार कम करते जा रहे हैं। हमें अपनी जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तन लाने चाहिये ताकि हमारी अगामी पीढ़ी को भी वही अवसर और अधिकार मिल सकें,जो हमें हमारे पूर्वजो से विरासत में मिले थे ।

डॉ. राधिका बत्रा ने प्रकृति के उपहारों का उपयोग करने पर बल दिया । उन्होंने कहा “ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक मिशन होता है और उसे प्राप्त करने का माध्यम भी अलग होता है । लेकिन हम सब में एक चीज़ समान होनी चाहिये और वह है, सूर्य, हवा, बारिश जैसे प्राक्रतिक उपहारों का उपयोग करते समय यह संकल्प की हम धरती माता को संरक्षित रखेंगे तथा उसे कभी हानी नही पहुंचायेंगे

अंशु तनेजा ने स्थायी मानव व्यवहार को केवल सामाजिक प्रभाव पैदा करने के साधन के बजाय स्वार्थ के लेंस से देखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हम अपने तौर-तरीके नहीं बदलते हैं तथा बड़े कदम नही उठाते है, तो हम अपने जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करने का जोखिम उठा रहे हैं और अगली पीढ़ी के लिए एक अस्तित्वगत खतरा पीछे छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा यह ग्रह अपने आप को बचाने में सक्षम है, आवश्यकता है हमें खुद को बचाने की”

वक्ताओं के गहन विचारों और चर्चाओं ने एक सार्थक संवाद को जन्म दिया,जिसने  क्षोताओं को स्थायी जीवन शैलियों को अपनाने और ग्रह पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन लोगों की मानसिकता और व्यवहार में बदलाव को उजागर करके एक स्थायी भविष्य के लिए जागरूकता पैदा करने और इस दिशा में काम करने को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

भारत सोका गाक्काई ने इस अवसर पर एक कार्बन फुटप्रिंट कैलकुलेटर भी लॉन्च किया, जो लोगों को पर्यावरण पर उनके द्वारा डाले जा रहे प्रभाव को मापने में सहायता देगा। इसे ‘गूगल प्ले स्टोर’  या ‘एप्पल ऐप स्टोर’ से “बी एस जी फॉर एस डी जी नामक मोबाइल ऐप के रूप में डाउनलोड किया जा सकता है। बी एस जी ने सीड्स ऑफ़ होप एंड एक्शन: मेकिंग द एस डी जी ए रियलिटीनामक शीर्षक से एक सस्टेनेबिलिटी प्रदर्शनी भी लॉन्च की।इस प्रदर्शनी में एक अधिक टिकाऊ विश्व के सृजन तथा एक व्यक्ति की क्षमता की भूमिका तथा स्थायी एवं सतत मानव व्यवहार को अपनाने के प्रभाव को  दर्शाया गया है।

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