- मुख्यमंत्री का प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने पर बल
शिमला: प्रदेश सरकार राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहित करने पर बल दे रही है और इन संस्थानों में अधोसंरचना को विकसित करने के साथ-साथ श्रम शक्ति का सृजन भी किया जा रहा है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने गत देर सांय शिमला जिले के रामपुर में 210.44 लाख रुपये की लागत से नव-निर्मित आयुर्वेदिक अस्पताल भवन का लोकार्पण करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन उपचार प्रणाली है, जिसका उद्भव भारतवर्ष से हुआ माना जाता है। इसमें हर प्रकार के रोग का स्थाई निदान है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से हमारे शरीर पर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, जबकि ऐलोपैथी में त्वरित निदान के साथ-साथ इससे कहीं न कहीं व्यक्ति के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है।
जय राम ठाकुर कहा कि रामपुर के आयुर्वेद अस्पताल में पंचकर्म की सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंचकर्म अनेक बीमारियों का इलाज है और लोग अक्सर इसकी मांग करते हैं। वर्तमान में यह सुविधा राज्य के 16 अस्पतालों में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेद अस्पतालों के नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा। पिछले कुछ महीनों के दौरान आयुर्वेद चिकित्सकों के 200 पद भरे गए हैं और पैरा मेडिकल के लगभग 350 पद भरे हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद संस्थानों में योग को विशेष स्थान दिया गया है और लोगों को योग प्रशिक्षण की निःशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर बल दे रही है और इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत कर राज्य को स्वास्थ्य हब्ब बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के दूरवर्ती क्षेत्रों में अनेक प्रकार की जड़ी-बुटियां मौजूद हैं जो आयुर्वेदिक दवाओं के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों की खेती को बढ़ा दिया जाएगा जिससे युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान होंगे।
इसी बीच पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कुछ सीमावर्ती जिले सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं और केन्द्र सरकार ने ऐसे क्षेत्रों को आवागमन की दृष्टि से जोड़ने को गंभीरता से लिया है। लेह तक रेलवे लाईन के सर्वेक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ी है और आने वाले समय में रामपुर-किन्नौर क्षेत्रों में भी इस प्रकार की योजना संभव है।