वर्तमान में एनएचपीसी लिमिटेड भारत में जल विद्युत विकास के लिए सबसे बड़ा संगठन बन गया है, जो जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना संबंधी परिकल्पना से संचालन तक की सभी गतिविधियों को पूरा करने की योग्यता रखता है। एनएचपीसी लिमिटेड देश में पवन ऊर्जा एवं टाइडल परियोजनाएं बनाने की भी योजना बना रहा है। एनएचपीसी लिमिटेड का वर्तमान में संयुक्त उद्यम के तौर पर बनाई गई परियोजनाओं सहित स्वामित्व आधार पर 20 जल विद्युत स्टेशनों से 6507 मेगावाट का संस्थापित आधार है। इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान प्रतिकूल भू-गर्भीय स्थितियों, कठिन कानून व व्यवस्था की समस्याएं दुर्गम एवं दूर-दराज के स्थानों जैसी बाधाओं पर विचार करते हुए अब तक की यह सराहनीय उपलब्धि है। इन स्टेशनों का उत्पादन व निष्पादन उत्कृष्ट रहा है।
एनएचपीसी वर्तमान में 3290 मेगावाट की कुल संस्थापित क्षमता वाली 4 परियोजनाओं के निर्माण में व्यस्त है। देश में जल विद्युत विकास पर पुन: जोर देते हुए, एनएचपीसी लिमिटेड तेरहवीं योजना (वर्ष 2022) की समाप्ति तक 10000 मेगावाट लगभग जल विद्युत क्षमता संवर्धन करने की वृहद योजना तैयार कर चुकी है ।
- जलविद्युत विकास के क्षेत्र में यह सबसे बड़ा संगठन
एनएचपीसी लिमिटेड (पूर्व नाम नैशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड) वर्ष 1975 में स्थापित भारत सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम है। इसका उद्देश्य सभी रूपों में हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर के समेकित एवं दक्ष विकास की योजना बनाना तथा पर्यावरण संतुलन को ध्यान मे रखते हुए इसे विकसित और संगठित करना है। लगभग 31700 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश आधार वाली एनएचपीसी लिमिटेड भारत की सर्वोपरि दस कम्पनियों में से एक है। वर्तमान में जलविद्युत विकास के क्षेत्र में यह सबसे बड़ा संगठन है। एनएचपीसी लिमिटेड जलविद्युत परियोजनाओं का संकल्पना से संचालन तक सभी कार्यों को करने में सक्षम है।
- बैरास्यूल
बैरा स्यूल विद्युत स्टेशन हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत संभाव्यता के दोहन के लिए एक प्रमुख कदम है। इसमें रन-ऑफ-द-रिवर आधार पर विद्युत के उत्पादन हेतु रावी नदी की तीन सहायक नदियों नामत: बैरा, स्यूल तथा भालदे के मिश्रित प्रवाह का उपयोग परिकल्पित है। परियोजना का मुख्यालय सुरंगानी में है। परियोजना का निर्माण केन्द्र सरकार द्वारा 1970-71 में तत्कालीन सिंचाई एवं विद्युत मंत्रालय के अन्तर्गत किया गया था। परियोजना को नैशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा 20 जनवरी 1978 को लिया गया था।
पावर स्टेशन की स्थापित क्षमता 180 मेगावाट (3×60मेगावाट) है। स्थापित क्षमता की 95 प्रतिशत उपलब्धता के साथ 90 % विश्वसनीय वर्ष में परियोजना की डिजाइन की गई वार्षिक ऊर्जा 779.28 एमयू है। यूनिट-।, ।। तथा ।।। को क्रमश: 18 मई 1980, 19 मई 1980 और 13 सितम्बर 1981 को चालू किया गया था। वाणिज्यिक उत्पादन 1 अप्रैल 1982 को प्रारम्भ हुआ था।
- अवस्थिति : जिला चम्बा, हिमाचल प्रदेश
पहुंचने का मार्ग : निकटतम रेल संपर्क-पठानकोट 132 कि॰मी॰ निकटतम हवाई अड्डा: जम्मू 220 कि॰मी॰
संस्थापित क्षमता : 180 मेगावाट (3×60 मेगावाट)
वार्षिक उत्पादन : 779.28 मिलियन यूनिट (90 प्रतिशत विश्वसनीय वर्ष)
लाभभोक्ता राज्य : हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली
संचालन वर्ष : अप्रैल-1982
- तकनीकी विशेषताएं
बैराज/डैम: 53 मीटर ऊंचा अर्थ तथा रॉकफिल बांध
एच॰आर॰टी॰ : 7.63 कि॰मी॰ लम्बी
पावर हाउस : सर्फेस पावर हाउस, जिसमें 60 मेगावाट की 3 यूनिटें शामिल हैं।
टी॰आर॰टी॰ : टाइल रसे वीयर 8.5मी और चैनल 0.48 कि॰मी॰ लम्बी
स्विच यार्ड : बाह्य 220 के॰वी
ऊर्जा निकासी : 220 के॰वी की दो प्रेषण लाइन :- बैरा स्यूल-जस्सूर-पोंग और बैरा स्यूल-पोंग
- चमेरा -I
चमेरा विद्युत स्टेशन चरण-।
चमेरा विद्युत स्टेशन चरण-I (540 मेगावाट) रावी नदी पर बनाई गई एक जलाशय परियोजना है जोकि सिन्धु बेसिन की एक प्रमुख नदी है जो हिमालय से धौलाधार श्रृंखला की बड़ा भंगाल शाखा से निकलती है । यह परियोजना स्यूल नदी के रावी नदी के साथ संगम के पश्चात उपलब्ध होने वाली जल विद्युत संभाव्यता का उपयोग करती है।
परियोजना के क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दिया है। परियोजना की सीमा के भीतर सड़कों के एक व्यापक नेटवर्क के निर्माण, जिसने विभिन्न गांवों को जोड़ दिया था, के अतिरिक्त चम्बा बानीखेत-पठानकोट जैसे महत्वपूर्ण मार्गों को चौड़ा किया गया था, जिसे स्थानीय जनसंख्या को काफी लाभ हुआ है। 90 % विश्वसनीय वर्ष में परियोजना की डिजाइन की गई वार्षिक ऊर्जा 1664.56 एमयू है ।
यूनिट-I, ।। तथा ।।। को क्रमश: 28 अप्रैल 1994, 26 अप्रैल 1994 और 22 अप्रैल 1994 को चालू किया गया था। वाणिज्यिक उत्पादन मई 1994 को प्रारम्भ हुआ था।
अवस्थिति : जिला चम्बा, हिमाचल प्रदेश
पहुँचने का मार्ग : निकटतम रेल संपर्क-पठानकोट 120 कि॰मी॰ निकटतम हवाई अड्डा : जम्मू 220 कि॰मी॰
संस्थापित क्षमता : 540 मेगावाट (3 x 180 मेगावाट)
वार्षिक उत्पादन : 1,664 मिलियन यूनिट
लाभभोक्ता राज्य: यू॰पी॰, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, चंडीगढ़ व राजस्थान
संचालन वर्ष : मई-1994
- तकनीकी विशेषताएं
बैराज/डैम: 140 मी.ऊंचा , 295 मी. लंबा कोंक्रेटी आर्च ग्रेविटी डैम
एच॰आर॰टी: 9.5 मी. व्यास की 6.4 कि.मी. लम्बी हैडरेस टनल।
पावर हाउस: भूमिगत पावर हाउस, जिसमें 180 मेगावाट की 3 यूनिटें शामिल हैं।
टी॰आर॰टी: 9.5 मी. व्यास की 2.4 कि.मी. लम्बी टेलरेस टनल।
स्विच यार्ड: 400 के॰वी (जी॰आई॰एस)
ऊर्जा निकासी : 400 के॰वी की 03 लाइन: चमेरा-I- जालंधर (I & II), चमेरा-I, चमेरा-II
- चमेरा – II
चमेरा जल विद्युत परियोजना चरण-।। के निर्माण को रावी नदी के ऊपरी भागों में उपयोग न की गई सम्भाव्यता के दोहन के लिए लिया गया था। यह परियोजना लघु हिमालय क्षेत्र में आती है और चम्बा संरचना तथा धौलाधर ग्रेनाइट की कायांतरित चटटानों में स्थित है। यह परियोजना 300 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ एक छोटे जल-संचय के साथ रन-आफ-द-रिवर परियोजना है। परियोजना के निर्माण से क्षेत्र को आधारभूत ढाँचे, शिक्षा तथा चिकित्सा सुविधाओं के विकास का भी लाभ प्राप्त हुआ है। परियोजना 90% विश्वसनीय वर्ष में 1499.89 मिलियन यूनिट का उत्पादन करने की क्षमता है।यूनिट-I, ।। तथा ।।। को क्रमश: 04 अक्टूबर 2003, 05 दिसम्बर 2003 और 26 फरवरी 2004 को चालू किया गया था।
अवस्थिति : ज़िला चम्बा, हिमालय प्रदेश
पहुँचने का मार्ग: निकटतम रेल संपर्क-पठानकोट 120 कि॰मी॰ निकटतम हवाई अड्डा: जम्मू 220 कि॰मी॰
संस्थापित क्षमता : 300 मेगावाट (3 x 100 मेगावाट)
वार्षिक उत्पादन : 1499.89 मिलियन यूनिट्स
लाभभोक्ता राज्य : उत्तरांचल, यू॰पी॰, दिल्ली, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान व चंडीगढ़
संचालन वर्ष: मार्च -2004 (इकाई 1 नवम्बर-03, इकाई 2 जनवरी-03, इकाई 3 मार्च-03)
- तकनीकी विशेषताएं :
बैराज/डैम: 39 मी ऊँचा , 125.50 मी लंबा कोंक्रेटी ग्रेविटी डैम
एच॰आर॰टी: 7 मी. व्यास की 7.8 कि.मी. लम्बी हैडरेस टनल।
पावर हाउस : भूमिगत पावर हाउस, जिसमें 100 मेगावाट की 3 यूनिटें शामिल हैं।
टी॰आर॰टी: 7 मी. व्यास की 3.6 कि.मी. लम्बी टेलरेस टनल।
स्विच यार्ड: 400 के॰वी (जी॰आई॰एस)
ऊर्जा निकासी : 400 के॰वी की 03 लाइन: चमेरा-I- चमेरा-II , चमेरा-II किशनपुर, चमेरा-II – चंबा पूलिग स्टेशन।
- चमेरा-III
चमेरा चरण-III हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला में अवस्थित एक छोटे जल- संचय के साथ रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है जो 231 मेगावाट (3 X 77 मेगावाट) की विद्युत का उत्पादन करती है। यह परियोजना तुलनात्मक रूप से निम्न हिमालयी क्षेत्र में स्थित है और इसका निर्माण रावी नदी पर चम्बा संरचना की कायांतरित चटटानों के बीच किया गया है। पावर स्टेशन मे 90% विश्वसनीय वर्ष में वार्षिक रूप से 1108.17 मिलियन यूनिटों का उत्पादन करने की क्षमता है। यूनिट-।,।।,।।। 28/06/2012 को चालू किया गया था।
- अवस्थिति : जिला चंबा, हिमाचल प्रदेश
पहुंचने का मार्ग: निकटतम रेल संपर्क-पठानकोट 120 कि॰मी॰ निकटतम हवाई अड्डा: जम्मू 220 कि॰मी॰
संस्थापित क्षमता: 231 मेगावाट (3 X 77 मेगावाट)
वार्षिक उत्पादन: 1108.17 एमयू (90 % विश्वसनीय वर्ष)
लाभभोक्ता राज्य : उत्तरांचल, यू॰पी॰, दिल्ली, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान व चंडीगढ़
संचालन वर्ष : जुलाई 2012
- तकनीकी विशेषताएं :
बैराज/डैम: रावी नदी पर 68 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध।
एच॰आर॰टी: हॉर्स-शू आकार की 6.5 मी. व्यास और 115.995 कि.मी. लम्बी हैडरेस टनल।
पावर हाउस: भूमिगत पावर हाउस, जिसमें 77 मेगावाट की 3 यूनिटें शामिल हैं।
टी॰आर॰टी: 125मी॰ लम्बी टेलरेस टनल।
स्विच यार्ड: 220 के॰वी (जी॰आई॰एस)
ऊर्जा निकासी: 220 के॰वी की 03 लाइन: चमेरा-II – चंबा पूलिग स्टेशन(I&II),चंबा-III -बुधील।
- पार्वती – III
पार्वती चरण-III पावर स्टेशन (520 मेगावाट) हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में अवस्थित है। यह एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है जिसके डिजाइन डिस्चार्ज मे पार्वती चरण-।। के विद्युत गृह के टेल रेस रिलीज का और साथ ही सेंज नदी एवं जीवा नाला से अन्तर्वाह का भी उपयोग होता है। यह 177 क्यूमेक अन्तर्वाह का उपयोग 7.875 किलोमीटर लम्बी हैड रेस टनल द्वारा बिहाली गांव के निकट भूमिगत विद्युत गृह में 520 मेगावाट (4×130 मेगावाट) के उत्पादन की क्षमता देता है। तथा लालजी गांव के निकट एक टेल रेस आउटलेट का उपयोग किया जाता है। पावर स्टेशन मे 90% विश्वसनीय वर्ष में वार्षिक रूप से 1963 मिलियन यूनिटों का उत्पादन करने की क्षमता है।यूनिट-I,II,III तथा IV को क्रमश: 24 मार्च 2014, 24 मार्च 2014, 30 मार्च 2014 और 06 जून 2014 को चालू किया गया था।
पार्वती जल विद्युत परियोजना (चरण-।।) एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है जो पार्वती नदी के निचले हिस्सों में जल सम्भाव्यता के दोहन के लिए प्रस्तावित है। प्रस्तावित योजना “अन्तर बेसिन अन्तरण ” प्रकार की है। नदी को पुलगा गांव में पार्वती घाटी में अपवर्तित किए जाने का प्रस्ताव है और विद्युत गृह सेंज घाटी में सुइन्द नदी में अवस्थित होगा। इस प्रकार पुलगा तथा सुइन्द के मध्य 862 मीटर के एक सकल हेड का उपयोग 800 मेगावाट विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाएगा। पार्वती नदी के अपवर्तित डिस्चार्ज में एचआरटी एलाइनमेंट के साथ मिलने वाले विभिन्न नालों के डिस्चार्ज को अपवर्तित करके और वृद्धि की गई है ।
अवस्थिति: जिला कुल्लू ,हिमाचल प्रदेश
पहंचने का मार्ग: राष्ट्रय राजमार्ग एनएच 21 पर स्थित ग्राम औट से 17 किमी, निकटतम रेल संपर्क – कितरपुर और निकटतम हवाई अड्डा:भुंतर
संस्थापित क्षमता: 520 मेगावाट (4 x 130 मेगावाट)
वार्षिक उत्पादन: 1963 एमयू/701MU (सीईआरसी आदेशानुसार स्टैंड-अलोन आधार पर, पार्वती-II के कमीशन होने तक)
लाभभोक्ता राज्य : उत्तराखंड, यू.पी., दिल्ली, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान व चंडीगढ़
संचालन वर्ष: 06 जून 2014 (इकाई-I 24 मार्च 2014 , इकाई-II 24 मार्च 2014 , इकाई-III 30 मार्च 2014 एवं इकाई IV 06 जून 2014)
- तकनीकी विशेषताएं
बैराज/डैम: 43 मीटर ऊंचा रोकफ़िल बांध।
एच॰आर॰टी: हॉर्स-शू आकार की 7.25 मी. व्यास और 7.875 कि.मी. लम्बी हैडरेस टनल।
पावर हाउस: भूमिगत विद्युत गृह जिसमें 130 मेगावाट प्रत्येक की 4 इकाइयां हैं।
टी॰आर॰टी: 8.1 मी. व्यास की 2.67 कि.मी. लम्बी टेलरेस टनल।
स्विच यार्ड: 400 के॰वी (जी॰आई॰एस)।
ऊर्जा निकासी: 400 के.वी की 01 लाइन:पार्वती -III- बनाला