- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से की भेंट
- प्रधानमंत्री ने कहा : मुझे इतिहास का गला घोंटने की कोई वजह नहीं दिखती, नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया नेताजी के जन्मदिन, 23 जनवरी से होगी शुरू
- प्रधानमंत्री ने नेताजी के परिजनों से कहा – मैं आपके सुझावों को आगे ले जाऊंगा
- प्रधानमंत्री ने कहा : दूसरे देशों के समक्ष भी इस मसले को उठाऊंगा, दिसंबर में रूस से इसकी होगी शुरुआत
नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के 35 सदस्यों ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 7 रेसकोर्स रोड स्थित उनके निवास पर भेंट की। एक घंटे चली बैठक के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों ने नेताजी से जुड़ी उन फाइलों को सार्वजनिक करने का आग्रह किया जो भारत सरकार के पास उपलब्ध हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को नेताजी से जुड़ी उन फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया भी शुरू करनी चाहिए, जो विदेशी सरकारों के पास उपलब्ध हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी के परिवार के सदस्यों के सुझाव उनकी अपनी सोच और केंद्र सरकार के विचार से पूरी तरह मिलते-जुलते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इतिहास का गला घोंटने की कोई वजह नहीं दिखती। उन्होंने घोषणा की कि फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया नेताजी के जन्मदिन यानी 23 जनवरी, 2016 से शुरू की जाएगी। प्रधानमंत्री ने नेताजी से जुड़ी उन फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए विदेशी सरकारों से अनुरोध करने पर भी सहमति जताई जो उनके पास उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वह न केवल इस बारे में विदेशी सरकारों को पत्र लिखेंगे, बल्कि विदेशी नेताओं के साथ होने वाली बैठकों में भी यह मसला उठाएंगे। इसकी शुरुआत दिसम्बर में रूस से होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो देश इतिहास को भूल जाते हैं, वे इतिहास बनाने की शक्ति भी खो देते हैं। उन्होंने नेताजी के परिजनों से उन क्षणों को भी साझा किया जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान नेताजी को स्मरण किया करते थे। प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों से कहा, ‘मुझे अपने परिवार का ही एक हिस्सा मानिए।’केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह एवं सुषमा स्वराज और केन्द्रीय राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो भी इस मौके पर उपस्थित थे।