डिप्रेशन से बाहर आना नामुमकिन नहीं, बस अपनाएं ये आसान तरीक़े….

डिप्रेशन से यूं पाएं निज़ात….

आज की भागदौड़ भरी जिदंगी और भीड़ में भी लोग कहीं न कहीं खुद को काफी अकेला महससू करने लगे हैं। कोरोना के बाद से तो काफी लोग डिप्रेशन, अवसाद और मायूसी के शिकार हुए हैं। डिप्रेशन, अवसाद और मायूसी ये सब हम मनुष्यों के लिए आज बिल्कुल आम हो चुके हैं। निराशावादी लोग यह भूल जाते हैं कि भगवान ने उन्हें एक अद्वितीय मस्तिष्क दिया है जो उन्हें कुछ भी प्राप्त करवा सकता है। कुछ भी जो आप पाना चाहो। जिन्दगी में असंभव सा कुछ भी नहीं। जिन्दगी में सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव तो चले ही रहते हैं। लेकिन जीवन अनमोल है उसमें हर तरह के पहलू आना लाजमी है। 

समस्याएं हैं तो समाधान भी अवश्य होगा

हम मनुष्य हैं और हमें जिन्दगी की हर मुश्किल से बाहर आना जरूरी भी है, जैसे खुशियाँ हर वक्त नहीं ठहरती उसी तरह दुःख भी हमेशा के लिए नहीं ठहर सकता। देर हो सकती है लेकिन हर मुश्किल का हल होना संभव है। अपनी क्षमताओं को शून्य मानकर स्वयं पर आई हुई मुसीबतों या केवल मुसीबतों के बारे में सोच-सोचकर उनके सामने घुटने टेकने को ही डिप्रेशन कहते हैं और आजकल मनुष्यों में यह घुटने टेकने की प्रवृति बढ़ती ही जा रही है। डिप्रेशन के शिकार लोग सोचते हैं कि वे खुद को जानते हैं लेकिन शायद वे सिर्फ डिप्रेशन को जानते हैं। आवश्यकता है कि किसी भी समस्या के कारण को अच्छी तरह से जानें, निवारण स्वत: ही प्राप्त हो जाएगा। इस बात को समझना होगा कि जीवन है तो समस्याएं भी होंगी ही और समस्याएं हैं तो समाधान भी अवश्य होगा।

 डिप्रेशन के रोगी में कुछ या सभी लक्षण अल्प या तीव्र प्रबलता के साथ उपस्थित हो सकते हैं:

  • विचारों और नजरिये में निराशावाद

  • लगातार रोना या रोने का दिल करना

  • अनिद्रा या नींद में कमी

  • आत्महत्या के विचार

  • हर किसी से लडऩा

  • डर लगना

  • बेहद संवेदनशीलता, छोटी-छोटी बातों का बुरा मानना

  • हर व्यक्ति को अपना शत्रु मानना

  • हमेशा थकान महसूस करना

  • अनुचित अपराध बोध

  • ध्यान केंद्रित करने की क्षमता का घटना

  • असुरक्षित महसूस करना

  • निर्णय लेने की क्षमता में कमी

  • भूख का बढऩा या कम होना

  • वज़न का बढऩा या कम होना

  • जब हमें इनमें से सभी या कुछ लक्षण प्रकट होने लगें तो हम डिप्रेशन की चपेट में हैं। याद रखें कि यह लक्षण कई दिनों तक रहते हैं।

 डिप्रेशन से बाहर आना नामुमकिन नहीं

डिप्रेशन एक ऐसा रोग है जिसमें यदि सही दिशा में सही कदम उठाए जाएं तो इससे मुक्ति आसानी से और शीघ्रता से पाई जा सकती है। दुनिया पर विरला ही कोई व्यक्ति रहा हो जिसे कि डिप्रेशन या निराशा ने न घेरा हो। हां, इंसान निराशाओं के भंवर में फंसता ही है। डिप्रेशन या निराशा से मुक्ति पाना हर मनुष्य का कर्तव्य है, उसका धर्म है। क्षणिक निराशा हमारा गुण-अवगुण है जबकि घोर निराशा एक रोग। अपनी क्षमताओं को पहचानें, उसका प्रयोग करें, ईश्वर पर भरोसा करें, अच्छी पुस्तकें पढ़ें, प्रकृति की तरफ कदम बढ़ाऐं, पौष्टिक भोजन करें और मित्रों से मिलते रहें। इस प्रकार आप इस निराशा को कुचल देंगे। सभी मनुष्यों की तरह और याद रखें, हर मुश्किल के साथ आसानी भी है- यह एक शाश्वत नियम है।

आप चाहें तो पालतु जानवरों के साथ समय बिता सकते हैं डिप्रेशन से निजात पाने के लिए यह थेरेपी भी बहुत हद तक सफल रही है। जानवरों में एक विशेष प्रकार का खिंचाव, एक विशेष प्रेमयुक्त गुण होता है, जो डिप्रेशन के रोगी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।

मेडिटेशन और इसके विभिन्न आयामों की मदद से डिप्रेशन का इलाज बिना किसी दवा के संभव

मेडिकल साइंस कभी भी तथ्यों के बिना समर्थन नहीं करता, लेकिन योग और इसके अलग-अलग आसनों पर मेडिकल साइंस ने भी सहमति जताई है क्योंकि डिप्रेशन के ऐसे कईं केस जिन पर मेडिकल साइंस फेल हुई, योग की वजह से चमत्कारी परिणाम देखने को मिले हैं। मेडिटेशन और इसके विभिन्न आयामों की मदद से डिप्रेशन का बिना किसी दवा के इलाज संभव हो पाया है और अभी भी इस पर काफी शोध चल रहा है ।

 दोस्त तो हर बीमारी का इलाज है। जी हाँ, डिप्रेशन का लेवल चाहे जो भी हो, लेकिन अगर आप अधिकतर वक्त अपने दोस्तों के साथ बीताते हैं, तो संभव हैं कि आप जल्द से जल्द रिकवर करें, क्योंकि दोस्ती वह रिश्ता होता है जिसके सामने आप अपने असली रुप में होते हो। क्योंकि आप अपने दिल की हर बात अपने दोस्त से बोल सकते हो। दोस्त के साथ वक्त बिताना आत्मविश्वास बढ़ाता है और आपके अंदर पॉजीटिव बदलाव लाता है, जो डिप्रेशन को कंट्रोल कर देते हैं।

हैप्पी और प्यारा म्यूजिक सुनें

दूसरे क्या कहते हैं ये सोचने की बजाय बेहतर है आप हमेशा वो करें जो आपको पसंद हो। दूसरों की सोच के बारे में सोचना बंद करें, जीवन आपका है इसके बारे में आप को और सिर्फ आपको सोचने का हक है। आपको क्या खाना पंसद है, कौन सा खेल पसंद है, गाने सुने।  म्यूजिक सुनना भी एक मददगार टिप है जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। आप म्यूजिक से अपना मूड बेहतर बना सकते हैं और इसकी मदद से मेडिटेशन भी कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि हैप्पी और प्यारा म्यूजिक सुनें, दर्द या गम वाला नहीं।

क्या घूमना अच्छा लगता है या तैराकी करना या फिर कुछ और जिसे करने को आपका मन बेचैन रहता है। डिप्रेशन से बाहर आने का यह भी एक बेहतर इलाज देखा गया है। जो लोग डिप्रेशन के कारण सालों से बदलाव की उम्मीद छोड़ चुके थे, इस तकनीक से स्वंय में बदलाव देख पाए। कुछ लोग पहाड़ों की यात्रा पर गए, कुछ पेंटिग करने लगे, कुछ संगीत की तरफ रुझान होने के कारण उधर चले गए और कुछ लोग भोजन में मग्न हो गए। परंतु कुछ दिनों के बाद उनमें बदलाव देखा गया। इसलिए यदि आपके आस-पास कोई डिप्रेशन, उदासीनता या नकारात्मकता का शिकार है, तो उसकी मदद करें। यदि आपका कोई परिचित डिप्रेशन से जूझ रहा हैं, तो इसे अनदेखा न करें। इससे पहले कि समस्या ज्यादा बड़ी हो जाए, आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें और डिप्रेशन का इलाज कराएं। आपको मेडिटेशन करना चाहिए। इसका अभ्यास करने से दिमाग से नकारात्मक विचार निकल जाते हैं। अध्यात्म के सहारे आप खुद को अकेला नहीं समझते हैं और धीरे-धीरे उबरने लगते हैं।

पालतू जानवर अकेलापन दूर करने में काफी सहायक

कई शोध में यह बात सामने आई है कि जो लोग अपने पास पालतू जानवर रखते हैं, वह मानसिक स्तर पर ज्यादा मजबूत होते हैं। पालतू जानवर आपका अकेलापन दूर करने में काफी सहायक होता है और आपको बेशर्त प्यार देता है।

फूल और पेड़-पौधे लगाएं, खुद को गार्डनिंग में व्यस्त रखें

खेती करें। छोटे-छोटे फूल लगायें, प्रकृति और पेड़-पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए काफी फायदेमंद है। धीरे-धीरे प्रकृति की सहनशीलता आपके अंदर प्रवेश करने लगती है। आप खुद को गार्डनिंग में व्यस्त रख सकते हैं और नकारात्मक विचारों से दूरी बना सकते हैं। एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है। जो कि आपके मूड को खुशनुमा बनाने में मदद करते हैं और आप डिप्रेशन से बाहर आ जाते हैं।

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