डा. शांडिल का केन्द्र से तीन नये आईसीडीएस खोलने का आग्रह

 

  • वर्तमान में प्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्रों में 4,46,197 बच्चे पंजीकृत
  • प्रदेश में कुल कामकाजी व्यक्तियों में 42.59 प्रतिशत महिलाएं
  • प्रदेश में सकल साक्षरता दर 82.8 प्रतिशत, तथा महिलाओं की साक्षरता दर 75.93 प्रतिशत

नई दिल्ली : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मन्त्री डा. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने गत दिवस नई दिल्ली में महिला एवं बाल विकास से सम्बन्धित मुद्दों पर देश के विभिन्न राज्यों के मन्त्रियों एवं सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश की विशिष्ट भौगोलिक एवं सामाजिक स्थिति है, जो इसे देश के अन्य राज्यों से अलग करती है। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की कुल जनसंख्या में महिलाएं 49.27 प्रतिशत हैं तथा लिंग अनुपात 972 प्रति हज़ार है। प्रदेश में 6 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 11.33 प्रतिशत है तथा इस आयु वर्ग मे लिंग अनुपात 909 है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के उत्थान एवं सशक्तिकरण के प्रति वचनबद्ध है। सरकार के अथक प्रयत्नों के फलस्वरूप प्रदेश में महिलाओं की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। प्रदेश में सकल साक्षरता दर 82.8 प्रतिशत है तथा महिलाओं की साक्षरता दर 75.93 प्रतिशत है। आईसीडीएस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में बाल मृत्यु दर 17.59 प्रति हज़ार है। प्रदेश में कुल कामकाजी व्यक्तियों में 42.59 प्रतिशत महिलाएं हैं। राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मुख्यमन्त्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय महिला परिषद का गठन किया गया है।

डा. शांडिल ने कहा कि नेशनल हैल्थ फैमिली सर्वेक्षण 2 और 3 जो क्रमशः वर्ष 1998-99 व 2005-06 में करवाया गया था, के अनुसार हिमाचल प्रदेश उन राज्यों की श्रेणी में आता है जहां कुपोषण के स्तर को प्रभावशाली ढंग से कम किया है। राष्ट्रीय स्तर पर कुपोषण का स्तर 42.7 प्रतिशत से घट कर 40.4 प्रतिशत हुआ है जो मात्र 2.3 प्रतिशत है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कुपोषण का स्तर 36.5 प्रतिशत से घटकर 31.1 प्रतिशत हुआ है, जो 5.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्रों में 4,46,197 बच्चे पंजीकृत हैं।

डॉ शांडिल ने महिला सशक्तिकरण के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश मे स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिस के फलस्वरुप विगत पंचायती राज चुनावों में 57 प्रतिशत व स्थानीय शहरी निकाय में 60 प्रतिशत से अधिक महिला प्रतिनिधि चुनकर आएं हैं। ग्राम पंचायत प्रधानों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में समेकित बाल विकास सेवाएं कार्यक्रम के अन्तर्गत दी जाने वाली सेवाओं के पर्यवेक्षण बारे प्राधिकृत किया गया है।

सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री ने केन्द्रीय महिला व बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी के समक्ष हिमाचल प्रदेश के लिए 3 जिलों मण्डी, सिरमौर तथा सोलन के विकास खण्डों क्रमशः मण्डी सदर, पांवटा साहिब व नालागढ़ में संचालित परियोजनाओं में जहां जनसंख्या दो लाख से अधिक है और प्रत्येक परियोजना में 450 से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं, के लिए एक-एक अतिरिक्त समेकित बाल विकास परियोजना स्वीकृत करने का प्रस्ताव रखा ताकि कार्यक्रम का संचालन प्रभावी ढंग से हो सके। उन्होनें प्रदेश के लिए आई.सी.डी.एस. मिशन मोड के अन्तर्गत वर्तमान मे उपलब्ध करवाई जा रही सहायता राशि जो कि पूरक पोषाहार कार्यक्रम के लिए 50:50 के अनुपात तथा अन्य घटकों के लिए 90:10 अनुपात तथा 75:25 के अनुपात की दर से निर्धारित है, को पूर्वी राज्यों की तर्ज पर 90:10 अनुपात की हिस्सेदारी के आधार पर उपलब्ध करने का आग्रह किया।

डा. शांडिल ने प्रदेश सरकार को वित्त वर्ष 2003-04 से वित्त वर्ष 2014-15 की अवधि में आईसीडीएस (सामान्य) के अन्तर्गत 56.39 करोड़ रूपये व आईसीडीएस प्रशिक्षण हेतु वित्त वर्ष 2007-08 से वित्त वर्ष 2014-15 की अवधि में 2.38 करोड़ रूपये की राशि जो कि प्राप्त अनुदान से अधिक व्यय की गई है, का शीघ्र भुगतान करने का भी आग्रह किया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को वर्दी खरीदने के लिए वर्तमान मे निर्धारित धनराशि जो कि 300 रूपये प्रति वर्दी है, को बढ़ाकर कम से कम 500 रूपये करने का भी अनुरोध किया।

उन्होंने राज्य की भौगोलिक परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर व उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश को भी जिला व परियोजना स्तर पर वाहन उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया तथा वर्तमान में टैक्सियों के लिए उपलब्ध बजट को 17,900 रूपये से बढ़ाकर 25,000 रूपये प्रतिमाह करने का भी अनुरोध किया।

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