शिमला: प्रदेश विश्वविद्यालय मे बीते दिन तीन छात्र नेताओं के निलंबन का मामला बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को एनएसयूआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि कुलपति ने यह कार्रवाई बदले की भावना से की है। एनएसयूआई के छात्र विभिन्न मांगों को लेकर कुलपति से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तानाशाही के बल पर तीन छात्रों को निष्काषित किया गया है। एनएसयूआई के छात्र विभिन्न मांगों को लेकर कुलपति से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तानाशाही के बल पर तीन छात्रों को निष्काषित किया गया है। NSUI के छात्र साथियों को छात्रों की मूलभूत समस्याओं पुस्तकालय व हॉस्टल बंद करने का विरोध किया और कोरोना के नियमों के साथ खुला रखने का आग्रह किया गया तो NSUI के पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षा के स्तर के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। विश्विद्यालय में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है।
छात्रों का कहना है कि कुलपति ने गलत तरीके से अपने बेटे को पीएचडी में दाखिला करवाया है, जिसके खिलाफ एनएसयूआई लगातार आवाज उठा रही है। इसी के चलते कुलपति ने यह कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि कुलपति हिमाचल विश्विद्यालय में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। एनएसयूआई का कहा है कि विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रख कर भर्तियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तक वह भ्रष्ट कुलपति को विश्विद्यालय से बाहर नहीं करा देते तब तक सड़क से लेकर सचिवालय तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इस दौरान NSUI प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष वीनू मेहता, प्रदेश महासचिव यासीन बट्ट, विश्व विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष परवींन मिंहास, जिला शिमला के NSUI अध्यक्ष योगेश सिंह ठाकुर, चंदन महाजन, नितन देशटा, डैनी पांगवाल विशेष तौर पर मौजूद रहे।