शिमला: जिला शिमला के सरकारी स्कूलों में सेवारत 15 भाषा अध्यापकों का डिप्लोमा अमान्य पाए जाने पर इनके रेगुलर करने के विभाग द्वारा जारी किए आदेशों को वापस ले लिया है। इन शिक्षकों की सेवाओं को भी समाप्त कर दिया है।
उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा की ओर से शिक्षकों के नियमितिकरण के आदेशों को वापस लेने के आदेश जारी किए गए हैं। 21 दिसंबर को जारी आदेशों के अनुसार अगस्त माह में नियमित किए इन शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग और अलाहबाद से डिप्लोमा किया था जो मान्य नहीं है।
विभाग के भाषा अध्यापक पद के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत आवश्यक डिप्लोमा के आधार पर ही अगस्त 2020 में इन पंद्रह शिक्षकों को नियमित करने के आदेश जारी किए थे। इन शिक्षकों ने पीटीए आधार पर स्कूलों में सेवाएं शुरू की थीं। सरकार के फैसले के अनुसार ही आवश्यक डिप्लोमा धारकों को नियमित करने के आदेश विभाग की ओर से जारी किए थे। मामला न्यायालय में जाने के बाद नियमित आधार पर सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों के डिप्लोमा अब अमान्य पाए गए। इस आधार पर इनके नियमितिकरण के आदेशों को वापस ले लिया गया। अब यह शिक्षक स्कूलों में अपनी सेवाएं भी नहीं दे पाएंगे।
उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा भागचंद चौहान ने बताया कि जिले के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल दलगांव, हाई स्कूल बागरी, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सनसोग , देहा, बागथल, कुपवी, हाई स्कूल श्वाला, मराओग, घैणी, बिजमल, टिक्करी, चौपाल, झोखर, गुम्मा (चौपाल) जीएसएसएस दियोट में अपनी सेवाएं दे रहे थे।