- चिनाब बेसिन पर 430 मेगावाट की रेओली दुगली जलविद्युत परियोजना के लिए किए एमओयू हस्ताक्षर
- सतलुज, ब्यास तथा चेनाब बेसिनों में आधारित इन परियोजनाओं से 24 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा : सीएमडी नंद लाल शर्मा
- आर्थिक विकास के साथ-साथ इन परियेाजनाओं से 11,950 लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद
शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गरिमामयी उपस्थिति में एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में राईजिंग हिमाचल ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के दौरान चिनाब बेसिन पर 430 मेगावाट की रेओली दुगली जलविद्युत परियोजना के लिए एमओयू हस्ताक्षर किए। बाकी सात परियोजनाओं के लिए शिमला में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित पावर कंन्कलेव के दौरान एमओयू पहले ही हस्ताक्षरित कर लिए गए थे। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान नंद लाल शर्मा ने अवगत कराया कि परियोजनाएं रोजगार सृजन और पूरे राज्य के समग्र विकास के लिए गुणक के रूप में कार्य करेगी। हिमाचल प्रदेश के सतलुज, ब्यास तथा चेनाब बेसिनों में आधारित इन परियोजनाओं से 24000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा जिससे आर्थिक विकास का सूत्रपात होगा और इन परियेाजनाओं से 11950 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इस परियोजना की साईनिंग से हाल ही में साईन की गई आठ परियोजनाओं से 2388 मेगावाट विद्युत की वृद्धि होगी।
नंद लाल शर्मा ने एसजेवीएन में अपना यकीन जाहिर करने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि कंपनी राज्य के विकास में सतत योगदान दे रही है तथा हिमाचल प्रदेश सरकार को 1055.01 करोड़ रुपए के निवेश पर कुल 1711.88 करोड़ रुपए का अंशदान अदा किया है।
नंद लाल शर्मा ने ने आश्वस्त किया कि यह परियोजनाएं समयबद्ध ढंग से पूरी कर ली जाएंगी और जलविद्युत एसजेवीएन की मुख्य ताकत है और वर्तमान में कंपनी अपनी आपरेशनल परियोजनाओं से 2015.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है। एसजेवीएन सन 2023 तक 5000 मेगावाट, सन 2030 तक 12000 मेगावाट तथा सन 2040 तक 25000 मेगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने की योजना के अंग के रूप में अति कारगर रणनीतियां बनाई हैं जिसमें उन्नति के संघटनात्मक और असंघटनात्मक मॉडल शामिल है। एसजेवीएन भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान में विकास की विभिन्न अवस्थाओं वाली परियोजनाओं का विकास कर रहा है जिनके पूर्ण होने पर 5564 मेगावाट की क्षमतागत वृद्धि होगी।