फसलों व जड़ी बूटियों को बचाने के लिए जैव विविधता बोर्ड ने की चर्चा

  • एक माह के भीतर फसलों व जड़ी बूटियों के संरक्षण को बनेगी पंचायत स्तर पर समितियां

रीना ठाकुर/शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एच.पी.एस.बी.बी) ने जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों, 2004 के कार्यान्वयन से संबंधित गतिविधियों पर आज शिमला में एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में राज्य के जिला पंचायत अधिकारियों एवं खंड विकास अधिकारियों और संबंधित हितधारकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यशाला द्वारा जैवविविधता के महत्व और संबंधित मुद्दों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी गई। जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के जिला स्तर, खंड या ब्लाक और पंचायत स्तर पर बी.एम.सी के गठन और भूमिका के बारे में भी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया और राज्य में जैव-संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

एक माह के भीतर फसलों व जड़ी बूटियों के संरक्षण को बनेगी पंचायत स्तर पर समितियां

एक माह के भीतर फसलों व जड़ी बूटियों के संरक्षण को बनेगी पंचायत स्तर पर समितियां

जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तरों पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन की रणनीतियों पर जिला पंचायत अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों के साथ चर्चा की गई और एक महीने के भीतर राज्य में 100% बी.एम.सी के गठन के लिए एक समय रेखा तैयार की गई।

हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधिता बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बोर्ड एवं पंचायती राज्य के प्रयासों को सराहते हुए कार्यशाला की सफलता के लिये हिमाचल प्रदेश जैव विविधता बोर्ड को बधाई दी। कार्यशाला मे निशांत ठाकुर ने स्थानीय स्तर पर जैव विविधिता प्रबंधन समितियों के गठन की प्रक्रिया, जैव विविधिता प्रबंधन समितियों की भूमिका, जन जैव विविधिता रजिस्टर की तैयारी और जैव विविधता अधिनियम के लाभ साझाकरण प्रावधानों का ब्यौरा लेते हुए सभी हित धारकों को इस मुद्दों के प्रति सतर्क, संवेदनशील एवं जागरूक रहने की हिदायत दी। अतिरिक्त निदेशक पंचायती राज केवाल शर्मा भी कार्यशाला के दौरान उपस्थित रहे उन्होंने प्रतिभागियों को सम्बंधित विभागों के अधिकारियों को जैव विविधिता अधिनियम और इसके प्रावधानों के बारे में जागरूक रहने को कहा। 

प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान जिला पंचायत अधिकारियों एवं खंड विकास अधिकारियों को जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों 2004 के प्रावधानों के महत्वों को सांझा कर संवेदित किया गया। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन की प्रक्रिया, जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका, जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) की तैयारी और जिला कुल्लू के जैव संसाधनों का लाभ सांझाकरण (ए.बी.एस) प्रक्रिया को भी इस कार्यशाला में संबोधित किया गया।

 

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