खुमानी को खुबानी भी कहते हैं। सुखाने वाली तथा जंगली किस्म को जरदालू कहा जाता है जो बीजू पौधे तैयार करने के काम आती है। खुमानी समशीतोष्ण खण्ड का फल है। समुद्रतल से 2000 मीटर तक ऊंचे क्षेत्रों में जहां 700 घण्टे के लगभग शीतकाल में ठण्ड 7 डिग्री सेल्सियस के नीचे तापक्रम उपलब्ध हो, उपयुक्त है। ग्रीष्मऋतु में तापक्रम 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना आवश्यक है। रोपण- खुमानी को शीत ऋतु के आरम्भ से अन्त तक लगाया जा सकता है।
बीज एकत्रित करना: पक्के फलों को दो टुकड़ों में काट कर तीन दिन जल में रखें। इससे गूदा गल जाता है। बीज को स्वच्छ जल से धोयें तथा छाया में सुखाकर ठण्डे और खुश्क स्थान पर संभालकर रखें।
प्रसारण: जंगली या समान्य खुमानी के बीज को स्तरित किया जाता है। इसे बिना स्तरीय किये बोना हो तो शीत ऋतु के प्रारम्भ में खुले स्थान पर बोयें। स्तरित बीजों को शीतऋतु के मध्य में या अन्त में बोयें। बीज का अंकुरण 3 या 4 सप्ताह में हो जाता है। बीजू पौधों पर बसन्तु ऋतु या ग्रीष्म ऋतु के अन्त में जब वे 50 सेंटीमीटर लम्बे तथा एक सेंटीमीटर से अधिक व्यास वाले तने के हो तो भूमि से 20 से 30 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर तने पर कलम करें।

शीत ऋतु में लगाएं “खुमानी”…
किस्में- रायल, सफेदा, केशा, चार मगज, शकर पारा, न्यू केसल, मूरपार्क, टर्की, क्वेटा, एम्बरोज, फ्रोगमोर अर्ली, नगट, अर्ली शिप्ले आदि इसकी किस्में हैं।
समस्याएं- बोरर, थ्रिप्स। गोदांर्ति। पाला, ओलावृष्टि।
पहचान- साधारण ऊंचाई वाले पेड़ प्राय: गोलाकार होते हैं। इसकी ऊंचाई 8 मीटर तथा फैलाव 6 से 8 मीटर होता है। तना मजबूत और प्राय: सीधा परन्तु मुड़ा हुआ भी हो सकता है। छाल पृथक होने वाली पतली और भूरी होती है। शाखाएं फैली हुई तथा स्वस्थ और ऐच्छिक कोण पर होती है। पत्ते हरे, पतले, चौड़े तथा लम्बे कम, माप 3 से 5 सेंटीमीटर, प्राय: गोलाकार और गद्देदार होते हैं।
फूल सफेद या हल्के गुलाबी परन्तु वे सभी सफेद ही दिखाई देते हैं। फूल बसन्त ऋतु में पत्तियों के साथ ही आते हैं।
फल हल्के पीले या सुनहरी पीले होते हैं। कुछ पर लाल रंगत भी आ जाती है। आकार गोल या लम्बूतरा परन्तु किनारे पर एक सीवन होती है। माप 4 से 8 सेंटीमीटर, ऊपर का छिल्का रोंयेदार तथा पतला, गूदा पीला तथा मीठा, अन्दर एक बड़ा बीज जो कठोर होता है जिसके किनारे का रेशा गूदा ये जुड़ा रहता है।