बच्चों की "जिद्दी" प्रवृत्ति को यूँ रोकें....

बच्चों की “जिद्दी” प्रवृत्ति को यूँ रोकें….

  • अभिभावकों को अपने बच्चों के मनोविज्ञान को समझना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों की निजी जिंदगी में रूचि लें। उनके दोस्ताना व्यवहार रखें व उनका विश्वास हासिल करें। इस तरह उनका स्नेहपूर्ण व्यवहार बच्चों में जिद्दीपन आने ही नहीं देगा।

  • यदि बच्चा किसी जिद्द पर अड़ ही जाए तो उसे प्रेम व धैर्यपूर्वक, तर्कसंगत कारणों सहित समझाने की चेष्टा करें। उसे विश्वास दिलाएं कि आप उसकी मांग को नकार नहीं रहे। आपकी अस्वीकृति के पीछे कोई ठोस कारण है।

  • यदि बच्चा अपनी जिद्द पर डटा रहे तो उसके आगे कभी न झुकें। अगर आपने एक बार उसकी नाजायज मांग पूरी कर दी तो बच्चा इसे अपनी सफलता मान लेगा और दोबारा ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित होगा।

  • अगर कोई वादा करें तो उसे निभाने की पूरी कोशिश करें। वादा तोडक़र उसका दिल न दुखाएं क्योंकि बच्चों का विश्वास टूट जाए तो वे काबू से बाहर हो जाते हैं।

  • कई बार मांएं लाड़-प्यार में जिद्द पूरी कर देती हैं परंतु पिता जिद्द के आगे नहीं झुकते। ऐसे में बच्चा कमजोरी को भांप कर हर जिद्द पूरी करवाने के लिए मां के पास पहुंच जाता है। कृपया ऐसे अवसरों पर आप पति-पत्नी एकमत ही रहें।

    बच्चों की "जिद्दी" प्रवृत्ति को यूँ रोकें....

    बच्चों की “जिद्दी” प्रवृत्ति को यूँ रोकें….

  • बच्चे को जिद्द का विकल्प प्रस्तुत करें। यदि वह आठ सौ रूपए वाले जूते खरीदना चाहता है जो आपकी आर्थिक स्थिति के वश में नहीं है तो उसे स्पष्ट शब्दों में अपनी परेशानी बताकर चार-पांच सौ रूपए या जितने आप देना चाहें दे दें। यकीनन वह आपकी परेशानी समझ लेना। वैसे भी प्रत्येक परिवार में बच्चों को अपने माता-पिता की आर्थिक स्थिति का अनुमान होना चाहिए। कभी भी अपने बच्चे की इतनी जरूरतें पूरी न करें कि उसे जिंदगी की हकीकतों का पता नहीं नहीं चले।

  • आपका व्यवहार भी संतुलित तथा मनोवैज्ञानिक होना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि आप एक बार तो उसे फेशनेबल महंगी ड्रैस खरीद दें और दूसरी बार जब बच्चा नए फैशन की ड्रैस मांगे तो आप उसे लंबे-लंबे भाषण सुनाने लग जाएं।

  • हर बच्चा जिद्द करते समय, अभी लूंगा, जल्दी दो, अभी दो, की रट अवश्य लगाता है उस समय यदि आप समझदारी से काम लेते हुए उसका ध्यान दूसरी ओर कर सकें तो उसकी जिद्द कम हो जाएगी।

  • किशोरावस्था का जिद्दीपन ढिठाई में बदल जाता है। यही जिद्द किशोर-किशोरियों का जीवन तबाह कर सकती है। इसलिए समय रहते ही अपने बच्चों के जिद्दीपन पर अंकुश लगा लें।

  • किशोरावस्था में जब किशोर जिद्द करता है तो उसकी अंत:स्त्रावी ग्रंथियों से एक उत्तेजक स्त्राव का नि:सरण होने लगता है। जिससे उसके शरीर की उत्तेजना व क्रोध बढ़ जाते हैं और वह बेकाबू होकर सारी मान-मर्यादा ताक पर धर देता है। इसलिए ऐसी अवस्था के किशोरों को आपका प्रेम व विश्वास ही जीत सकता है।

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