समाज में परिवर्तन लाने के लिए रचनात्मक व सकारात्मक सोच आवश्यकः राज्यपाल

शिमला : राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि रचनात्मक व सकारात्मक सोच  समाज में बड़े स्तर पर बदलाव ला सकती है और इस दिशा में जिम्मेवार लोगों के प्रयास महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। वह आज यहां एचपी नेट शिमला के कारागार एवं सुधारक सेवाएं द्वारा हिरासत में महिलाओं और न्याय तक पहुंच पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि हमें समाज को शान्ति, समृद्धि व विकास के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए अपने विचारों में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण है जहां एक व्यक्ति समाज में बदलाव और प्रेरणा का स्त्रोत बना और हमें ऐसे महान व्यक्ति के पद चिन्हों का अनुसरण करना चाहिए।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि यदि व्यक्ति अपने प्रयासों के प्रति ईमान्दार है तो वह अपने उद्देश्य को अवश्य पूरा कर सकता है। उन्होंने कहा कि कैदियों को सकारात्मक सोच का जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है ताकि वे अपने जीवन में गलत काम करने की विचारधारा से बाहर आकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सके।

राज्यपाल ने इस दिशा में कारागार विभाग और विशेषकर कारागार एवं सुधारक सेवाएं विभाग के महानिदेशक सोमेश गोयल के प्रयासों सराहना की, जिन्होंने कैदियों के लिए शिक्षात्मक परियोजनाओं की पहल की है और उनके माध्यम से  प्राकृतिक खेती करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कण्डा जेल के कैदियों ने अपने आपको प्राकृतिक खेती से जोड़कर दूसरों को उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि ऐसी गतिविधियां निश्चित तौर पर कैदियों के जीवन में बदलाव लाएंगी। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी और विश्वास जताया कि सेमीनार के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने इस अवसर पर एक लघु फिल्म ‘बिहाइण्ड द बार्ज’ का भी शुभारम्भ किया और फिल्म की निदेशक डॉ. देवकन्या ठाकुर को सम्मानित किया।

मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने विभाग को इस प्रकार के संवेदनशील विषय पर कार्यशाला आयोजित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि संविधान में कैदियों को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं और उन्हें इन अधिकारों से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कैदियों को स्वास्थ्य और शिक्षा इत्यादि की सुविधाएं प्रदान कर रही है ताकि वे सुधार की दिशा में आगे बढ़ सके। उन्होंने कैदियों से सकारात्मक व्यवहार के लिए अधिकारियों तथा कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर बल दिया।

महानिदेशक बी.पी.आर. एवं डी.ए.पी महेश्वरी ने कहा कि विभिन्न कारणों व परिस्थितियों के कारण चार लाख लोग कारागार में हैं और हमें उनके साथ नागरिक समुदाय की तरह पेश आना चाहिए। हमें अपने सीमित विचारों से बाहर निकलना  चाहिए और कैदियों से घृणा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के अलावा कौशल सृजन कार्यक्रम शुरू करने चाहिए जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा।

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