नशा तस्करों व नशे के आदी लोगों के बीच गठजोड़ समाप्त करना जरूरी : मुख्यमंत्री

  • मादक द्रव्यों के खिलाफ प्रदेश में छेड़ा जाएगा व्यापक अभियानः मुख्यमंत्री

शिमला: राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में नशीले पदार्थो के प्रयोग के विरूद्ध सख्ती से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जाएगा। यह जानकारी आज मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने नशीले पदार्थों की समस्या के सम्बन्ध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशीले पदार्थों का प्रयोग एक वैश्विक समस्या के रूप में उभरा है और हमारा देश व राज्य भी इससे अछूते नही हैं। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए संयुक्त और ईमानदार प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उनकी पहल पर चण्डीगढ़ में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें इस सामाजिक समस्या पर अकुंश के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए चार पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा तीन अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि पुलिस बलों द्वारा हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों में संयुक्त निरीक्षण किए जाएंगे।

जय राम ठाकुर ने कहा कि पुलिस को उन क्षेत्रों में नियमित छापेमारी करनी चाहिए जहां से नशीले पदार्थों की आपूर्ति की संभावना अधिक हो ताकि तस्करों पर शिकन्जा कसा जा सके। नशा तस्करों और नशे के आदी लोगों के बीच गठजोड़ को समाप्त करना जरूरी है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए ताकि प्रारम्भिक चरण में ही बच्चे के असामान्य व्यवहार व परिवर्तन को देखा जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों विशेषकर महाविद्यालयों में विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में जाकरूक किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, सूचना एवं जन सम्पर्क तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जैसे विभागों को इस बुराई पर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर सम्मिलित किया जाएगा। सभी विभागों को अन्य विभागों के साथ प्रभावी समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नामित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नशे की तस्करी और नशीली दवाओं के दुरूपयोग को रोकने और नशा तस्करों की सम्पति को जब्त करने के लिए भी कड़े कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पड़ौसी राज्यों की तुलना में राज्य में सजा की दर कम है। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि नशा तस्करों के विरूद्ध आरोपों में गम्भीर मामले तैयार किए जा सकें। स्वास्थ्य अधिकारियों और स्वास्थ्य सुरक्षा नियामक अधिकारियों को प्रदेश में एच-1 दवाओं के निर्माण की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और जहां वे इन दवाओं की आपूर्ति विशेषकर पंजाब तथा हरियाणा जैसे पड़ौसी राज्यों को करते है। उन्होंने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए कि राज्य में जिन दवाओं को प्रतिबन्धित किया गया है उनकी आपूर्ति और बिक्री को लेकर नियमित तौर पर निरीक्षण करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशीले पदार्थों के विरूद्ध शुरू किए जाने वाले अभियान की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें। इस अभियान में मुख्यतः विद्यार्थियों और युवाओं को लक्षित कर इस सामाजिक बुराई को लेकर कोई ठोस रणनीति अपनाने की जरूरत है। स्कूलों में प्रातः कालीन सभाओं के दौरान भी मादक द्रव्यों के दुष्परिणामों के बारे में बच्चों को जागरूक किया जा सकता है। इसी प्रकार महाविद्यालयों में पढ़ने वाले उन विद्यार्थियों को पहचानने के लिए बडी सिस्टम शुरू किया जा सकता है, जो नशे के चंगुल में फंस चुके हैं। उन्होंने कहा कि नशे के दुष्प्रभावों को लेकर वृतचित्र भी तैयार किए जाने चाहिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि नशे के आदी लोगों के स्वास्थ्य सुधार पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए चिकित्सकों, परामर्शदाताओं और पैरामेडिकल स्टाफ को उचित प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे नशा सुधार और पुनर्वास केन्द्रों में व्यवसायिक सेवाएं प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में और पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह बी.के. अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर भांग की खेती को उखाड़ने के लिए व्यापक अभियान छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि उप जिला न्यायवादी और अतिरिक्त जिला न्यायवादी को दवा निरीक्षकों की ओर से मादक द्रव्यों से जुड़े मामले सामने लाने चाहिए, क्योंकि दवा निरीक्षक अपने मामलों के अभियोजन में व्यस्त रहते हैं।

बैठक में निर्णय लिया गया कि मादक द्रव्यों के दुष्परिणामों को लेकर प्रदेश में व्यापक जागरूकता अभियान आरम्भ किया जाएगा और इस कार्य में पुलिस विभाग व गैर सरकारी संगठन आपसी समन्वय से जागरूकता फैलाएंगे, जिसमें विशेष तौर पर शैक्षणिक संस्थानों को लक्षित किया जाएगा। यह भी निर्णय लिया गया कि इस अभियान में महिला मण्डलों और युवक मण्डलों की सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई जाएगी।

इस दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग इलैक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों और इनके उपयोग से बचने के बारे में जागरूकता फैलाएगा।

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