विस्तार अधिकारियों ने सीखे प्रसार तकनीक के गुर

  • कृषि, औदयानिकी, वानिकी एवं पशुपालन विभाग के 35 विस्तार अधिकारियों ने लिया भाग

नौणी : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों के विस्तार अधिकारियों की बेहतर विस्तार सेवा प्रदान करने के लिए निर्णय और प्रेरक कौशल विकास पर आज चार दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  इस संगोष्ठी का आयोजन डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, के विस्तार शिक्षा निदेशालय ने चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के विस्तार शिक्षा संस्थान, नीलोखेडी, के साथ मिलकर किया। इस संगोष्ठी का उदेश्य आज के प्रगतिशील दौर में यह महत्वपूर्ण हो गया है कि फसल उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम कृषि विस्तार सेवाएं प्रत्येक किसान तक पहुंचाया जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में हिमाचल के कृषि, औदयानिकी, वानिकी एवं पशुपालन विभाग के 35 विस्तार अधिकारियों ने भाग लिया। नौणी विवि के संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ॰ माई चंद ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी प्रतिभागियों को बेहतर विस्तार कार्य के लिए निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करना था। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रसार तकनीक के गुर सिखाये गए ताकि किसानों तक बेहतर विस्तार सेवाएँ पहुंचाई जा सके। उन्होनें बताया कि संगोष्ठी के दौरान बेहतर प्रदर्शन,संचार,टीम निर्माण, संस्थागत प्रदर्शन में सकारात्मक दृष्टिकोण की भूमिका,नवाचार,प्रेरक रणनीति आदि विषयों पर व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए।

विस्तार शिक्षा निदेशालय का निरंतर प्रयास रहा है किसानों तक विभिन्न माध्यमों के जरिये पहुंचा जा सके। इसी दिशा में हाल ही में शूलिनी मेले के दौरान एक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें विश्वविद्यालय के भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी गई जिसके माध्यम से किसानों तक पहुँच बढ़ाई जा रही है। इस प्रदर्शनी में विवि के विभिन्न प्रकाशन, बीज़, शहद, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का बिक्री केंद्र भी स्थापित किया गया और लोगों द्वारा काफी संख्या में यहाँ से ख़रीदारी की गई।

प्रदेश के किसानों की सेवा के अलावा, निदेशालय बाहरी राज्यों के किसानों के लिए भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करता रहता है। हाल ही में राजस्थान के सीकर और अजमेर के 30-30 किसानों के लिए विश्वविद्यालय में फूल, फल, सब्ज़ी और खुम्ब उत्पादन पर एक सप्ताह के दो प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर को ATMA द्वारा प्रायोजित किया गया था। इस शिविर में 30 से 55 आयु वर्ष के किसानों ने भाग लिया जहां उन्हें औषधिय और सुगंधित पौधों, मृदा प्रबंधन, जैविक और शून्य लागत प्राकृतिक खेती और मौन पालन पर विस्तृत जानकारी दी गई।

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