मनरेगा के माध्यम से चीड़ की पत्तियों को किया जाएगा एकत्रित

मनरेगा के माध्यम से चीड़ की पत्तियों को किया जाएगा एकत्रित

  • चीड़ की पत्तियों को एकत्र कर देंगे सीमेंट उद्योगों को

शिमला: चीड़ की पत्तियों से लगने वाली आग की समस्या से निपटने के लिए विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत चीड़ की पत्तियों को एकत्र करके सीमेंट उद्योगों को दिया जाएगा। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने जानकारी देते हुए कहा कि मनरेगा के माध्यम से चीड़ की पत्तियों को एकत्रित किया जाएगा तथा सीमेंट उद्योगों से सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सी.एस.आर.) के तहत परिवहन का खर्च लिया जाएगा। वन मंत्री विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक बलबीर सिंह के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आग कई कारणों से लगती है। इसमें पहला प्राकृतिक और दूसरा कारण जानबूझ कर आग लगाना है। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों को बाहरी राज्यों में बेचने की व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वनों में आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए टोल फ्री नंबर-18001808097 जारी किया है। इसकी सूचना तुरंत अधिकारियों तक पहुंचेगी तथा टीम तुरंत मौके पर पहुंचेगी।

गत 3 सालों में प्रदेश में वनों में आग लगने से 598.73 लाख रुपए का नुक्सान हुआ है। इसके तहत 2014-15 में 113.27 लाख रुपए, 2015-16 में 134.78 लाख रुपए तथा 2016-17 में 350.68 लाख रुपए का नुक्सान आंका गया है। इस दौरान क्रमश: जंगलों में आग लगने के 725, 672 व 1,832 मामले हुए हैं तथा क्रमश: 6726.7, 5749.6 तथा 19535.8 हैक्टेयर वन भूमि प्रभावित हुई है।

 

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