हमारे "भारत" देश के राष्ट्रीय प्रतीक व् राष्ट्रीय ध्वज संहिता

हमारे “भारत” देश के राष्ट्रीय प्रतीक व् राष्ट्रीय ध्वज संहिता

हमारे भारत देश के राष्ट्रीय प्रतीक व राष्ट्रीय ध्वज संहिता। जी हाँ इस बार हम आपको अपने कॉलम कानून-व्यस्था में अपने भारत देश के राष्ट्रीय प्रतीक व राष्ट्रीय ध्वज संहिता के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं। यूँ तो प्रत्येक देश के राष्ट्रीय प्रतीक होते हैं और इनका सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है। उसी तरह हमारा अपने देश के राष्ट्रीय प्रतीक का सम्मान करना जितना आवश्यक है उतना ही देश के राष्ट्रीय प्रतीक व राष्ट्रीय ध्वज संहिता के बारे में जानकारी होना भी महत्वपूर्ण है। हमारे देश भारत के राष्ट्रीय प्रतीक निम्रलिखित हैं: –

  • राष्ट्रध्वज  – तिरंगा
  • राष्ट्रीय पक्षी  – मोर
  • राष्ट्रीय गीत  -वंदे मातरम्
  • राष्ट्रगान  -जन-गण-मन
  • राष्ट्रीय पशु  -बाघ
  • राष्ट्रीय नदी  -गंगा
  • राष्ट्रीय लिपि  -देवनागरी
  • राष्ट्रभाषा  -हिन्दी
  • राष्ट्रीय मंत्र  -ऊँ
  • राष्ट्रीय चिन्ह  -अशोक स्तंभ
  • राष्ट्रीय वाक्य  -सत्यमेव जयते
  • राष्ट्रीय मुद्रा  -रूपया
  • राष्ट्रीय जल-पक्षी  -हंस
  • राष्ट्रीय पहाड़  -हिमालय
  • राष्ट्रीयग्रंथ  -गीता
  • राष्ट्रीय फल  -आम
  • राष्ट्रीय खेल  -हॉकी
  • राष्ट्रपिता  -महात्मा गांधी
  • राष्ट्रीय संवत्सर  -विक्रमी संवत्
  • राष्ट्रीय वृक्ष  -बरगद का पेड़
  • राष्ट्रीय पुष्प  -कमल
  • राष्ट्रीय पुरस्कार  -भारतरत्न
  • राष्ट्रीय पंचांग  -शक संवत्
  • राष्ट्रीय योजना  -पंचवर्षीय योजना

उपर्युक्त सभी प्रतीक वस्तु न होकर राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं तथा इनको वैधानिक दर्जा प्राप्त है।

  • राष्ट्रीय ध्वज संहिता

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन समान चौड़ाई वाली आयताकार पट्टियां हैं। इनमें ऊपर केसरिया रंग की पट्टी, बीच में श्वेत पट्टी, सबसे नीचे हरे रंग

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की पट्टी है। श्वेत पट्टी में नीचे रंग का 24 धारियों से युक्त अशोक चक्र ध्वज के दोनों ओर अंकित है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात क्रमश: 3:2 है। अशोक चक्र को सारनाथ के स्तंभ से लिया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज ऐसे स्थान पर फहराया जाना चाहिए, जहां से वह स्पष्ट दिखाई दे। राजकीय भवनों पर अवकाश के दिन सहित प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक ध्वज फहराने का नियम है। ध्वज फहराते समय केसरिया रंग की पट्टी हमेशा ऊपर रहनी चाहिए। कटे-फटे, गीले, मैले-कुचैले और बदरंग ध्वज को कभी भी नहीं फहराया जाना चाहिए। विशिष्ट व्यक्तियों की सलामी के लिए ध्वज को कभी भी झुकाया नहीं जाना चाहिए। अन्य कोई ध्वज राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं लगाया जाना चाहिए। ध्वज-स्तंभ पर कोई प्रतीक चिन्ह, माला, पुष्प आदि नहीं लगाने चाहिए। ध्वज का प्रयोग पहनावे के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। रूमाल, मेजपोश, नैपकिन, तकिया-चादर, यूनीफार्म आदि के छापे में राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं होना चाहिए। जब दूसरे देशों के ध्वजों के साथ अपने राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाना हो तो हमारा ध्वज दाहिनी ओर सबसे आगे होना चाहिए। जब राष्ट्रीय ध्वज को लेकर परेड की जाए तब सभी को ध्वज की ओर मुंह करके सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज को कभी भी जमीन या पानी से स्पर्श नहीं करना चाहिए, बल्कि हवा में लहराना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग किसी वस्तु को ढकने-शहीद की मूर्ति को ढकने, इमारत को ढकने, वक्ता की मेज को ढकने, ध्वज पर कुछ लिखने, परदे के रूप में प्रयोग करने, किसी विज्ञापन में प्रयोग करने को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है। इसलिए प्रत्येक भारतीय नागरिक को उपर्युक्त कृत्यों से बचना चाहिए।

अति गणमान्य व्यक्तियों के निधन पर या राष्ट्रीय शोक के दिनों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुकाया जाता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के निधन पर पूरे देश में ध्वज को झुकाया जाता है। राजकीय या सैनिक या अर्ध-सैनिक बलों के सम्मान में उनकी अर्थी राष्ट्रीय ध्वज से ढकी जाती है। परंतु राष्ट्रीय ध्वज शव के साथ जलाया या दफनाया नहीं जाता है।

सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.एन. खरे और न्यायमूर्ति एस.बी. सिन्हा की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज फहराना अनुच्छेद 19-1 (ए) के अंतर्गत नागरिकों का मौलिक अधिकार है। इसी निर्णय के आधार पर 26 जनवरी, 2002 से आम नागरिकों को वर्ष भर राष्ट्रीय ध्वज अपने घर पर फहराने की छूट दी गई। इस फैसले में राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने की भी छूट दी गई।

साभार: सभी के लिए कानून

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