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सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए हमेशा आशावादी बनें : आईएएस अधिकारी संदीप कुमार

प्रश्र : ई-सेवाओं के आरम्भ होने से विभाग को कितना लाभ हुआ है?

उत्तर : आवेदकों को प्रमाण पत्र, पंजीकरण प्रमाण पत्र तथा भवनों के डिजीटल नक्शों को ई-मेल के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है। ई-सेवाओं के आरम्भ होने से विभाग को भी बड़ा लाभ पहुंचा है, जिससे विभाग लगभग पेपर रहित होने के अतिरिक्त कार्य प्रणाली में पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है। इस प्रगति से राज्य में नागरिक केन्द्रित सुविधाओं के सुधार में भी मदद मिली है।

प्रश्र : मोबाईल ऐप्प के शुरु होने से आम लोगों को किस प्रकार का फायदा पहुंच रहा है?

Inauguration of HPTCP Mobile App

Inauguration of HPTCP Mobile App

उत्तर : मोबाईल ऐप्प से लोगों को वृहद सेवाएं जैसे ऑनलाईन पंजीकरण तथा भवन योजना स्वीकृति उपलब्ध हो सकती है। इसके माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण की सूचना व भवन योजना स्वीकृति की सूचना के अतिरिक्त विभाग से संबंधी अन्य सूचनाएं उपलब्ध हैं। इस ऐप्प के आरम्भ होने से नागरिक केन्द्रित सेवाओं में एक नया मील पत्थर स्थापित हुआ है, जो प्रदेश सरकार की नागरिकों को उनके घर-द्वार पर नागरिक सेवाएं उपलब्ध करवाने की वचनबद्धता को पूरा करता है। विभाग की नागरिक केन्द्रित प्रयासों से न केवल प्रशासन के कार्यों में सुधार हुआ है, बल्कि इससे पारदर्शिता, उत्तरदायित्व व दक्षता भी सुनिश्चित हुई है। यह ऐप्प विभिन्न मामलों जैसे नए लम्बित प्रार्थना पत्रों का अनुश्रवण, अनापत्ति प्रमाण पत्र, अदायगी, अधिसूचना जारी करना व जांच की अनुसूची तैयार करने में सहायक है। लोग इसके माध्यम से अपने प्रार्थना पत्रों की स्थिति को जान सकते हैं और शु:ल्क की अदायगी भी ऑनलाइन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त व्यवसायिक वास्तुकार व संरक्षक स्थिति पर नज़र रख सकेंगे व शु:ल्क अदायगी संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्र : सर क्या आपकी खेलों में भी दिलचस्पी रही है?

उत्तर : जी हां, मैं क्रिकेट और बैडमिंटन खेलता था, परन्तु कभी क्रिकेट व बैडमिंटन में भाग्य नहीं आजमाया। मेरी शिक्षा से ही मेरी पहचान थी।

प्रश्र : किसी तरह का उतार-चढ़ाव कभी आपकी जिंदगी में आया?

उत्तर : मैं आशावादी हूं और हमेशा रहा हूं। उतार-चढ़ाव सभी के जीवन में आते हैं, जो आगे बढ़ने से रोकते हैं। परन्तु मैंने सबको अनदेखा किया। मैंने अपने आपको उस काबिल बनाया और अपनी मंजिल को पाने के लिए इतनी मेहनत की कि मुझे मायूस होने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

प्रश्र : आज का युवा वर्ग ज्यादा पैसा कमाने के लिए विदेशों का रूख कर रहा है। आपका इस बारे में क्या कहना है? क्या आप भी बाहर जाने के बारे में सोचते हैं?

उत्तर : मैं अपनी नौकरी को सेवा मानकर चलता हूं। अपने ही प्रदेश में अपने ही लोगों के लिए सेवा करने का मौका मिला है। मैं यहां रहकर ही इतनी कामयाबी हासिल कर लूंगा इतना सोचा नहीं था। मैं यहां रहकर संतुष्ट हूं। मेरे काम को लेकर मुझे बाहर बेहतर ढंग से करने का मौका मिलता है तो ही मैं जाऊंगा। अत: चांस लूंगा। क्योंकि मैं अपने काम को बेहतर ढंग और नई तकनीक के माध्यम से करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं।

प्रश्र : सर यहां तक पहुंचने का श्रेय आप किसे देना चाहेंगे?

उत्तर : इसका श्रेय मैं अपने माता-पिता और पत्नी को देता हूं। सभी का अहम योगदान रहा है। विशेषकर मेरी माता जी का। उन्होंने काफी सहयोग दिया। मुझे सराहा और हमेशा प्रोत्साहित किया।

प्रश्र : आज के युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर : मैं यही कहना चाहूंगा कि सपने देखें और उन्हें पूरा करने का अपने अंदर हौंसला, जुनून, कड़ी मेहनत और मंजिल पाने का जज्बा रखें। जो चलेगा उसके पांव में धूल लगेगी ही, लेकिन चलकर ही मंजिल हासिल होगी। आगे बढ़ते रहें बेशक कुछ समय के लिए मायूसी हाथ लगे, परन्तु अपने हौंसले और जज्बे को कभी कम न होने दें, आशावादी बनें।

 

 

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