- किन्नौर में वन अधिकारों के लिए विशाल प्रदर्शन व जनसभा

किन्नौर में वन अधिकारों के लिए विशाल प्रदर्शन व जनसभा
रिकांग-पियो : वन अधिकार कानून को लागू करने के लिए पिछले दिन रिकांग-पियो में किन्नौर के आदिवासियों ने विशाल प्रदर्शन किया और इसके बाद रामलीला मैदान में जनसभा का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले दिन रिकांग पियो में वनाधिकार कानून-2006 को लागू करवाने के लिये हिमालय नीति अभियान के नेतृत्व में विशाल प्रदर्शन किया गया। रिकांग पिओ के अंम्बेदकर भवन से नारे लगाते हुए जलुस रामलीला मैदान पहुंच कर जनसभा में तबदील हो गया। इस प्रदर्शन में किन्नौर की सभी ग्राम पंचायतों से लोग शामिल हुए। प्रदर्शन में प्रदेश भर से आए हिमालय नीति अभियान के सैंकड़ों कार्यकतार्ओं ने भी भाग लिया।
प्रदर्शन व रैली में खान खनन एवं लोग संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अशोक श्रीमाली और राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी युनियन की उपमहासचिव रोमा मलिक ने विशेष रूप से भाग लिया। जनसभा को संबोधित करते हुए खान खनन एवं खनिज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अशोक श्रीमाली ने कहा कि हिमाचल में सरकार ने हजारों हैक्टर वन भुमि जल विद्युत परियोजनाओं, खनन तथा दूसरे उद्योगों के लिए कानूनों की अवहेलना करते हुए लुटवाई है। जबकि स्थानीय आदिवासी व वन निवासियों के वैधानिक परम्परागत वन अधिकारों को प्रदान करने में अवरोध खड़े कर रही है। जनसभा को संबोधित करते हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि हिमालय नीति अभियान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल 27 अक्तुबर को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी व पूर्व वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से हिमाचल प्रदेश में वनाधिकार कानून के कार्यान्वयन की स्थिति व प्रक्रिया को तेज करने के लिये मिला। उन्होंने राहुल गांधी का आभार जताते हुये कहा कि टिडोंग जल विद्युत परियोजना के मामले में वन अधिकार कानून के तहत ग्राम सभा के वन अधिकारों को सुनिश्चित करते हुये उच्चत्तम न्यायलय में दायर अपील को 9 सितम्बर को हिमालय नीति अभियान के आग्रह पर वापिस लिया।
गुमान सिंह ने बताया कि वनाधिकार कानून को हिमाचल में लागू करने के लिये राहुल गांधी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही प्रदेश सरकार से इस बारे में चर्चा करने के उपरान्त आदिवासी व अन्य परम्परागत वन निवासियों के अधिकारों को बचाने के लिये प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी वन अधिकार कानून को लागू करने के प्रति बचनवद्ध है और वन भूमी से लोगों की बेदखली के खिलाफ सरकार याचिका दायर करेगी ताकि वन निवासियों के वन अधिकारों की रक्षा हो सके। इस बारे में पार्टी की ओर से जयराम रमेश उच्च न्यायालय के उक्त केस का अध्ययन करके जल्द समाधान निकालेंगे। गुमान सिंह ने कहा कि प्रदेश में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो, सभी ने केन्द्र सरकार को बार बार यह लिख कर दिया कि हिमाचल में वनाधिकार अंग्रेजों के जमाने में हुए बन्दोवस्तों के समय से ही दर्ज कर दिये है और अधिकारों को दोबारा दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, जो वन अधिकार कानून के तहत सरासर गलत है। क्योंकि वन बंदोवस्त में लोगों को वनोपयोग के लिये कुछ छूट दे रखी है जो कि कानूनी रूप से अधिकार की श्रेणी में नहीं हैं। गुमान ने कहा कि अगर सरकार वन अधिकार को देने में बाधा डालती है और वन भुमि से की जा रही गैरकानूनी बेदखली को तुरन्त नहीं रोकेगी तो हिमालय नीति अभियान प्रदेश के किसानों के साथ मिल कर प्रदेश व्यापी किसान अन्दोलन खड़ा किया जाएगा। इस मौके पर रोमा मलिक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्तासीन है व वनाधिकार कानून यूपीए सरकार द्वारा ही बनाया गया है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस कानून के पारित होने के दस साल के बाद भी अभी तक कानून का पालन नहीं किया गया है। रोमा का कहना है कि ऐसे में यह साफ लगता है कि सरकार वन विभाग व कम्पनियों के दबाव में है व वनाधिकार कानून के लागू होने से वन विभाग की सत्ता छिन सकती है व कम्पनियों को प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन मिलना मुश्किल होगा। उन्हों ने प्रदेश की जनता से आग्रह किया है कि अब वक्त आ गया है कि जनता इस जनहित कानून को लागू करने के लिए लामबंद हो जाये।
रोमा मलिक ने कहा कि वनाधिकार कानून के दस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर देश के तमाम जनसंगठन द्वारा भूमि अधिकार आंदोलन के तहत 15 दिसंबर को जंतर मंतर दिल्ली में एक विशाल जनप्रदर्शन कर इस कानून को देश भर में लागू करने व एक देश व्यापी आंदोलन खड़ा करने की तैयारी की जाएगी। जबकि हिम लोक जागृति मंच के संयोजक आरएस नेगी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि किन्नौर में हजारों वन अधिकार के दावे पिछले कई सालों से उपमण्डल समिति के पास पड़े हैं, परन्तु उन पर अभी तक कोई भी फैसला नहीं लिया गया, बल्कि उच्च न्यायालय की आड़ में वन विभाग ने उन दावेदारों पर नाजायज कब्जे के मुकदमें दायर किए और उन्हें बेदखली के नोटिस दिए जा रहे हैं। नेगी ने बताया कि हालांकि पिछल्ले दिनों प्रदेश के मुख्य सचिव ने किन्नौर के जिलाधीश को वन अधिकार कानून को तुरन्त लागु करने के संदर्भ में पत्र लिख कर आदेश दिया, लेकिन जिला प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की।