नई दिल्ली : ऐतिहासिक पेरिस समझौते को लागू किए जाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए केंद्र सरकार ने इसके अनुमोदन को आज मंजूरी दे दी। इसे 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर औपचारिक रूप दिया जाएगा। मंत्रिमंडल ने यह मंजूरी तब दी जब कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम के बारे में घोषणा की थी। इससे भूमंडलीय तापन पर नियंत्रण करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदमों को लागू करने में गति मिलेगी। केंद्रीय प्रकाश जावडेकर ने कहा कि इसके साथ भारत उन महत्वपूर्ण देशों में एक होगा जो ऐतिहासिक पेरिस समझौते को लागू करने में सहायक भूमिका निभाएंगे।
जावडेकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेरिस समझौते के अनुमोदन को मंजूरी दे दी, जो ऐतिहासिक फैसला है। अनुमोदन के साथ भारत उन देशों में से एक होगा जो पेरिस समझौते को लागू कराने में सहायक होंगे।’ यह फैसला भारत के प्रतिक्रियाशील नेतृत्व को रेखांकित करेगा, जो पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण न्याय के वैश्विक उद्देश्य के प्रति समर्पित हैं।
जावडेकर ने कहा कि पेरिस समझौते के लागू होने की दो शर्तें हैं। समझौता तब लागू होगा जब ऐसे कम से कम 55 देश इसका अनुमोदन करते हैं जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस का 55 फीसदी उत्सर्जित करते हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि अब तक 61 देशों ने समझौते का अनुमोदन किया है, लेकिन समझौते का अनुमोदन करने के भारत के कदम से कुल उत्सर्जन 51.89 फीसदी पर आ जाएगा।
जावड़ेकर ने कहा, ‘भारत के दबाव की वजह से अब दुनिया समझौते का शीघ्र अनुमोदन करेगी। यह मानवता के लिए अपरिवर्तनीय कार्रवाई हो जाएगी। तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने का साझा संकल्प है। अब वह लक्ष्य हासिल करने योग्य है।’
जावड़ेकर ने कहा कि 2016-2020 की चार साल की अवधि भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी भूमिका निभा दी है और अब विश्व समुदाय को याद दिलायेगा कि उनकी 2020 से पहले की कार्रवाई भी महत्वपूर्ण है। कोझिकोड में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘सीओपी 21 (कान्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) में एक काम बचा हुआ है।
उन्होंने कहा था, ‘अनुमोदन किया जाना बाकी है और भारत को भी इसका अनुमोदन करना है। दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर आज मैं घोषणा करता हूं कि भारत दो अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर फैसले का अनुमोदन करेगा।’ वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के तकरीबन 40 फीसदी के लिए जिम्मेदार चीन और अमेरिका ने पहले ही पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का संयुक्त अनुमोदन कर दिया है, जिसका लक्ष्य वैश्विक उत्सर्जन में उल्लेखनीय कटौती करना है। इसने उम्मीद जतायी है कि ऐतिहासिक समझौता इस साल के अंत तक लागू हो जाएगा।