शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि कोई भी शिक्षण संस्थान नई उंचाइयां को छू सकता है बशर्ते इससे जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति दृढ़ ईच्छा शक्ति का प्रदर्शन करे तथा ईमानदारी से कार्य करने के साथ-साथ जिम्मेवारी एवं जवाबदेही को भी सांझा करे। राज्यपाल आज यहां हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की 27वीं वार्षिक कोर्ट बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उच्च अध्ययन एवं मानवीय विकास के केन्द्र हैं, लेकिन दुर्भाग्य से राजनीतिक गतिविधियां इन संस्थानों में शैक्षिक माहौल को दूषित कर रही हैं और विश्वविद्यालय में हड़ताल व धरने प्रदर्शनों से संस्थान की गरिमा पर विपरीत असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बुद्विजीवियों के संस्थान हैं और इनमें बुद्धिमता एवं अध्ययन की छवि प्रस्तुत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिम्मेवार लोगों को समस्या के बारे में सोचना चाहिए और संस्थान की बेहतरी के लिए इसके समाधान के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा युवाओं को सही मार्गदर्शन करना हमारी जिम्मेवारी है और शिक्षण संस्थान में वातावरण में सुधार लाने के लिए उनके रचनात्मक सुझावों को भी शामिल किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि विचारों की शक्ति में बहुत बल है और विद्यार्थियों में मनन एवं सकारात्मक सोच पैदा कर उनका सही मार्गदर्शन किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, सार्थक परिणाम हासिल करने के लिए विचारधारा को आलोकित कर, मिलजुल कर कार्य करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सामाजिक सुधार की दिशा में प्रतिबद्धता एवं कर्मठता के साथ कार्य करने तथा युवा पीढ़ी को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने व उन्हें प्रत्येक दृष्टि से सक्षम बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।