खुले में शौच से मुक्‍त नगरों/शहरों के दावों का तीसरे पक्ष द्वारा सत्‍यापन शुरू: 11 में से 10 दावे प्रमाणित

  • महाराष्‍ट्र और तेलंगाना के पांच-पांच नगर खुले में शौच से मुक्‍त प्रमाणित
  • 141 नगरों/शहरों का शौच से मुक्‍त होने का दावा: 974 अगले वर्ष तक मुक्‍त होंगे
  • वेंकैया नायडू ने शहरी क्षेत्रों में स्‍वच्‍छ भारत अभियान की प्रगति की समीक्षा की

नई दिल्ली: स्‍वच्‍छ भारत अभियान (शहरी) के तहत खुले में शौच जाने से मुक्‍त (ओडीएफ) दावों के मद्देनजर शहरी विकास मंत्रालय ने तीसरे पक्ष द्वारा सत्‍यापन की प्रक्रिया शुरू की, जिसके अनुरूप 10 नगरों को ओडीएफ के रूप में प्रमाणित किया गया है।

मंत्रालय ने 11 नगरों द्वारा ओडीएफ दावे प्राप्‍त किए थे, जिन्‍हें भारतीय गुणवत्‍ता परिषद ने स्‍वतंत्र रूप से सत्‍यापित किया है। इस तरह के प्रमाणीकरण के लिए संबंधित नियमों के तहत दावों को जांचा गया। ओडीएफ प्रमाणित नगरों में महाराष्‍ट्र के कागल, पंचगनी, वेनगुरला, मुरगुड और पनहाला तथा तेलंगाना के सिद्दीपेट, शडनागा, सूर्यापेट, अचमापेट और हुजूरनगर शामिल हैं। तेलंगाना के भोनगिर के दावे का दोबारा मूल्‍यांकन किया जाएगा।

7 राज्‍यों के कुल 141 नगरों ने ओडीएफ की दावेदारी की है, जिनमें महाराष्‍ट्र के 100 नगर शामिल हैं। इन दावों का सत्‍यापन किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में स्‍वच्‍छ भारत अभियान की प्रगति का ब्‍यौरा मंत्रालय के अधिकारियों ने शहरी विकास मंत्री  एम. वेंकैया नायडू द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में पेश किया। नायडू नियमित रूप से अभियान की प्रगति का जयजा लेते हैं और उन्‍होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अभियान के उददेश्‍यों को पूरा करने के लिए राज्‍यों के साथ प्रक्रिया को सुनिश्चित करें।

गुजरात में ओडीएफ स्थिति का दावा करने वाले 13 नगरों में गांधीधाम, नवसारी, रापड़ और मांडवी शामिल हैं। तेलंगाना में इस तरह का दावा करने वाले छह नगरों में गजवेल, इब्राहिमपत्‍तनम, जगतियाल, सत्‍तूपल्‍ली और सिरसिल्‍ला हैं।

ओडीएफ का दावा करने वाले पश्चिम बंगाल के 10 नगरों में कृष्‍णानगर, नबाद्वीप, सांतीपुर और कल्‍याणी; छत्‍तीसगढ़ में अंबिकापुर, धमंतरी और अम्‍बागढ़ चौकी; राजस्‍थान में डूंगरपुर तथा मणिपुर में मायरंग और काकचिंग शामिल हैं। मंत्रालय में प्राप्‍त राज्‍यों की रिपोर्टों के अनुसार अगले वर्ष कुल 974 नगर और शहर खुले में शौच जाने से मुक्‍त हो जाएंगे। इनमें आंध्र प्रदेश के सभी 11 शहरी क्षेत्र, केरल के सभी 59, गुजरात के 195 में से 170, उत्‍तर प्रदेश के 648 में से 85, मध्‍य प्रदेश के 364 में से 68, कर्नाटक के 220 में से 50, छत्‍तीसगढ़ के 166 में से 42, असम के 88 में से 40, राजस्‍थान के 185 में से 34, तमिलनाडु के 721 में से 25 और जम्‍मू-कश्‍मीर के 86 में से 22 शहरी क्षेत्र आते हैं। तीसरे पक्ष के सत्‍यापन और ओडीएफ स्थिति के प्रमाणीकरण के नियमों के अनुसार सबसे पहले प्रत्‍येक वार्ड और शहर को ओडीएफ की स्‍वयं घोषणा करनी होती है तथा संबंधित शहरी स्‍थानीय निकायों अथवा राज्‍यों द्वारा इसकी शुरुआत करने के बाद मंत्रालय 30 दिन के अंदर इन दावों का सत्‍यापन कराता है। यह सत्‍यापन आवासीय, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण और उपलब्‍धता तथा तीसरे पक्ष द्वारा निष्‍पक्ष जांच के आधार पर किया जाता है। नगर/शहर के प्रत्‍येक संभाग के लिए न्‍यूनतम पांच स्‍थानों का निरीक्षण किया जाएगा, जिनमें झुग्‍गी, स्‍कूल, बाजार, धार्मिक स्‍थान, आवासीय क्षेत्र और बस स्‍टैंड/रेलवे स्‍टेशन शामिल हैं। पांच लाख से कम आबादी वाले शहर के लिए न्‍यूनतम 9 स्‍थानों का और पांच लाख से अधिक आबादी वाले शहर के लिए 17 स्‍थानों का निरीक्षण होगा।

यदि एक दिन में किसी भी समय एक भी व्‍यक्ति खुले में शौच नहीं जाता है तो उस वार्ड या शहर को ओडीएफ के रूप में अधिसूचित/घोषित किया जा सकता है।

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