- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का किफायती आवास से संबद्ध परियोजनाओं को स्टाम्प ड्यूटी और अन्य शुल्कों से छूट देने का प्रस्त
नई दिल्ली: आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) और निम्न आय वर्गों (एलआईजी) के लाभ के लिए सस्ते आवास की परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्यों द्वारा अपनाए गए नीतिगत उपायों के संबंध में उनके साथ चर्चा करेगा। मंत्रालय ने 27 अक्टूबर 2015 को नयी दिल्ली में ‘आदर्श राज्य शहरी आवास एवं पर्यावास नीति : सबके लिए आवास प्राप्त करने हेतु निर्णायक योजना’ नामक एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है।
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने राज्यों से ईडब्ल्यूएस और एलआईजी से संबंधित आवासीय परियोजनाओं में विविध हितधारकों के भाग लेने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने के माध्यम से सस्ते आवास बनाने को प्रभावित करने वाले मामलों को पूरी तरह सुलझाते हुए किफायती आवासीय नीतियां बनाने को कहा है। प्रस्तावित कार्यशाला में इस संबंध में गई कार्रवाई और किफायती आवास को बढ़ावा देने की दिशा में दस राज्यों को प्राप्त हुए अनुभवों पर चर्चा की जाएगी।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने किफायती आवास वाली परियोजनाओं को संबंधित राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी से पूरी तरह छूट दिए जाने का प्रस्ताव किया है। ये दोनों राज्य सरकारें कार्यशाला में अपने द्वारा की गई पहलों का ब्यौरा प्रस्तुत करेंगी।
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए आंध्र प्रदेश की किफायती आवासीय नीति के मसौदे में, राज्य सरकार ने फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) में रियायत के अलावा भूमि रूपांतरण शुल्क, अवसंरचना विकास शुल्क, इमारत की योजना की मंजूरी का शुल्क, पंजीकरण शुल्क और ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लिए किफायती आवासों को बढ़ावा देने के लिए समुन्निति (बैटर्मन्ट) शुल्क से छूट प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है।
तेलंगाना सरकार ने इसी से मिलते-जुलते उपायों की पेशकश की है। किफायती आवास में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए उसने ऐसी परियोजनाओं के समय पर पूरा होने 0.50 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर के अलावा सामान्य एफएआर दुगना करने का प्रस्ताव किया है।
दोनों राज्यों ने ईडब्ल्यूएस और एलआईजी हेतु आवासों के लिए शहरी स्थानीय निकायों के पास उपलब्ध सरकारी जमीन का 25 प्रतिशत निश्चित करने का प्रस्ताव रखा है। दोनों राज्यों ने आवासीय परियोजनाओं को 60 दिन में मंजूरी देने के लिए सिंगल विंडो मंजूरी की भी परिकल्पना की है। तेलंगाना सरकार ने अपनी नीति में ‘इक्विटी निर्माण’ और ‘किराया सह स्वामित्व’ जैसी नई पहलों के अतिरिक्त सिंगापुर की तर्ज पर सरकारी एजेंसियों द्वारा मकानों,/फ्लैटों का निर्माण विशेषकर निम्न आय वर्गों के लिए किराया सह स्वामित्व के आधार पर करने का भी प्रस्ताव रखा है। इस मॉडल के अंतर्गत ईडब्ल्यूएस/एलआईजी परिवारों को आवंटित मकान/फ्लैट 10-15 वर्ष की अवधि में 100 प्रतिशत इक्विटी सुनिश्चित होने पर उस व्यक्ति के नाम कर दिया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों के पास उस मकान / फ्लैट को सिर्फ राज्य सरकार की एजेंसी को ही बेचने का विकल्प होगा, जो बाद में प्रतीक्षा सूची में मौजूद अन्य ईडब्ल्यूएस/एलआईजी परिवारों को उस मकान / फ्लैट की पेशकश करेगी। निजी क्षेत्र को भी प्रवासियों (माइग्रेंट्स) के लाभ के लिए उचित सरकारी सहायता के साथ किराये पर देने के लिए मकान बनवाने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।
राज्य की किफायती आवासीय नीतियों से उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अलावा ऐसी पहलों और अन्य राज्यों के अनुभवों पर चर्चा की जाएगी, ताकि बाकी सभी राज्य और हितधारक लाभांवित हो सके।
इस साल जून में प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सबके लिए आवास सुनिश्चित कराने के लिए वर्ष 2022 तक शहरी क्षेत्रों में करीब दो करोड़ मकानों का निर्माण कराया जाना है। इनमें से 96 प्रतिशत मकान ईडब्ल्यूएस और एलआईजी परिवारों के लिए हैं। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत प्रति आवासीय इकाई 1.00 लाख रुपए से 2.30 लाख रुपए तक की सहायता देने की पेशकश की है।