ताज़ा समाचार

कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग को खुश करने के लिए वंदे मातरम को पूर्ण रूप ने लागू नहीं होने दिया – विपिन परमार

शिमला:  भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक्ष विपिन परमार ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में राष्ट्रगीत वंदे मातरम को पूरे हुए 150 वर्ष हर्ष और उल्लास के साथ बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा की वंदे मातरम को प्रदेश और देश के प्रत्येक स्कूल में दिनचर्या का भाग बनाना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग को खुश करने के लिए वंदे मातरम को पूर्ण रूप ने लागू नहीं होने दिया, गीत के कई अंतरों को काट दिया गया। यह कांग्रेस की असली सोच को दर्शाता है। अंग्रेज जो काम करने में विफल रहे (गीत पर प्रतिबंध लगाना), वह कांग्रेस ने किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक समुदाय को खुश करने के लिए “वंदे मातरम” का एक हिस्सा हटा दिया।

उन्होंने कहा कि 1937 में, कांग्रेस कार्य समिति ने यह निर्णय लिया था कि मूल रूप से पाँच छंदों वाले इस गीत के केवल पहले दो छंद ही गाए जाएँगे। 

विपिन परमार ने कहा कि 1923 में काकीनाडा में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर को वंदे मातरम गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उस वर्ष कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली ने धार्मिक आधार पर आपत्ति जताई और कहा कि इस्लाम में संगीत वर्जित है। मुस्लिम लीग के नेताओं को खुश करने के लिए, 1937 में कांग्रेस कार्य समिति ने राष्ट्रीय गीत को आधिकारिक रूप से बदलने का निर्णय लिया। बाद में भी और कई मौकों पर, कांग्रेस और उसके नेताओं ने विभिन्न मंचों पर वंदे मातरम के प्रति अपनी असहिष्णुता दिखाई। एआईएमआईएम नेता श्री अकबरुद्दीन ओवैसी ने 2017 में मांग की थी कि स्कूलों में छात्रों के लिए वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने वाले सर्कुलर को रद्द किया जाए। तेलंगाना सरकार ने अब कहा है कि स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य नहीं किया जाएगा। 2019 में, मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सचिवालय में वंदे मातरम गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को लेकर भाजपा 7 नवंबर को प्रातः 11:00 बजे प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में इसका सामूहिक गान करेगी। शिमला के अंबेडकर चौक, कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में विधानसभा कांगड़ा, मंडी में कल्लू और हमीरपुर में इन भाव कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में उत्सव मनाने का निर्णय लिया। स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इसके 150वें वर्ष के स्मरणार्थ राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

उन्होंने कहा कि यह गीत वर्ष 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचा गया था। ‘वंदे मातरम्’ का प्रसिद्ध वाचन वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कोलकाता में किया गया था। (1905 में बंगाल के विभाजन तक आते-आते यह कविता शास्त्रीय राग देश मल्हार में स्वरबद्ध की जा चुकी थी और एक प्रेरणादायक मार्निंग गीत के रूप में लोकप्रिय हो गई थी।) भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने वर्ष 1950 में ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया। देशभर में विभाजन के विरोध में हुए आंदोलनों के दौरान ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रवाद, एकता और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिरोध का सशक्त प्रतीक बन गया। इसकी प्रबल राष्ट्रीय भावना और प्रेरक प्रभाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने इस नारे के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। ‘वंदे मातरम्’ स्वदेशी आंदोलन का प्रमुख नारा बना और बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों का प्रेरणास्रोत रहा।

सम्बंधित समाचार

Comments are closed