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राज्य के कृषि विकास के लिए कृषि रोडमैप एवं विकसित कृषि संकल्प अभियान में हितधारकों का समन्वय आवश्यक – कृषि मंत्री

कृषि को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दे रही बढ़ावा – कृषि मंत्री

शिमला:  भाकृअनुप–केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला में आज “विकसित कृषि संकल्प अभियान (वीकेएसए) के लिए राज्य कृषि रोड मैप और रबी कार्य योजना पर क्षेत्रीय कार्यशाला” का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के माननीय कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य के कृषि सचिव  सी. पालरासू ने की। कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) तथा विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकगण, राज्य सरकार के कृषि एवं बागवानी विभाग के अधिकारी तथा प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. ब्रजेश सिंह, निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने बताया कि आईसीएआर के दिशा-निर्देशानुसार आगामी पाँच वर्षों के लिए प्रत्येक राज्य का कृषि रोडमैप तैयार किया जा रहा है, ताकि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं नीतियों का क्रियान्वयन किया जा सके।
कार्यक्रम के अध्यक्ष  सी. पालरासू ने कहा कि इस कार्यशाला में रबी फसलों की रणनीति और आगामी पाँच वर्षों का कृषि रोडमैप तैयार किया जाएगा। उन्होंने संस्थान को 76 वर्षों में 76 किस्में विकसित करने की उपलब्धि पर बधाई दी। राज्य सरकार द्वारा चलाये जा कई कार्यकरम के बारे में चर्चा की खासकर उन्होने बताया की हिमाचल प्रदेश दुग्ध की न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला अग्रणी राज्य है ।
मुख्य अतिथि कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार ने कृषि उत्पादों के लिए बाजार कड़ी, कीटनाशकों से संबन्धित स्वास्थ्य मुद्दों, कृषि की विविधता, कृषि कार्यों में लगे नौजवानों को कृषि कार्यों के लिए जागृत करने जैसे मुद्दों को इस कार्यक्रम में उठाया इस अवसर पर उन्होने किसानों और वैज्ञानिकों के प्रयासों से भारत को खाद्य आत्मनिर्भर बनाने में भूमिका को सराहा । उन्होने बताया की हमारा प्रदेश एक पहाड़ी प्रदेश है और यहाँ किसानों की आवश्यकताओं को देखते हुए इस कार्यक्रम के जरिए नीति बनाने पर बल दिया जो किसानो के उत्थान के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा ।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों में विश्वविद्यालय, आईसीएआर और राज्य सरकार के विशेषज्ञों ने राज्य कृषि रोडमैप, प्राथमिकताओं, बीज की मांग-उपलब्धता, दलहन-तिलहन उत्पादन लक्ष्यों, जैविक खेती और पशुपालन के एकीकरण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
कार्यक्रम का समापन डॉ. आलोक कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए मंत्री द्वारा दिए गए सुझाव—जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाजार श्रृंखला, कीटनाशकों के स्वास्थ्य प्रभाव, कृषि विविधता और युवाओं की भागीदारी—को विशेष रूप से रेखांकित किया।
इस अवसर पर संस्थान के डॉ. जगदेव शर्मा, डॉ. विनोद कुमार डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. अश्वनी शर्मा, डॉ. विनय सागर, डॉ. पाइनबियांगलांग के., डॉ. सोम दत्त, डॉ. अनिल चौधरी, डॉ. योगेश गौतम, डॉ. सलेज सूद, डॉ. तनुजा बक्सेथ, डॉ. विकास मंगल, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, और  राजदीप बक्स ने अपना योगदान दिया।

 

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