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हिमाचल: जलाशयों में 15 अगस्त तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध

– मत्स्य विभाग द्वारा किये गये व्यापक प्रबंध

हिमाचल: प्रदेश के जलाश्यों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में लगभग 13 हजार मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 5 जलाश्यों क्रमशः गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हैक्टेयर के करीब है में 6300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं जबकि प्रदेश के सामान्य जलों ट्राऊट जलों के अतिरिक्त जिसकी लंबाई 2400 किमी के लगभग है में 6300 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे तथा लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का है।

मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो माह के लिए मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं जिससे इन जलों मे स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। इस कार्य हेतू विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है। प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य धन संरक्षण हेतु विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं इस वर्ष बिलासपुर में कुल 20 कैम्प (गोविन्द सागर में 17 तथा कोल डैम में 3 कैम्प) और 1 उड़न दस्ता, पौंग डैम में कुल 17 कैम्प और 1 उड़न दस्ता और चम्बा में कुल 05 कैम्प (चमेरा में 03 तथा रणजीत सागर में 02 कैम्प) में और 1 उड़न दस्ता का गठन किया है । जिससे ये कर्मचारी जल एवं सड़क, दोनों मार्गो से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं। इस अवधि में प्रदेश के सामान्य जलों में किसी भी प्रकार के मछली शिकार व बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा । सभी से अनुरोध है कि किसी भी प्रकार के अवैध मत्स्य आखेट में शामिल न हो अन्यथा अगर कोई पकड़ा जायेगा तो अधिकतम 3 साल की कैद अथवा 5 हजार तक का जुर्माना या दोनों एक साथ का भी नियमों में प्रावधान है। प्रतिबन्धित अवधि में जाल से आखेट करने पर यह गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है।

 

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