नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आज सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद अब केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मियों का वेतन बढ़ेगा और करीब 58 लाख पेंशनभोगियों के भुगतान में बंपर इजाफा होगा।
केंद्र सरकार के एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए एक बड़े तोहफे के तौर पर मंत्रिमंडल ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दी। वेतन आयोग ने अपनी रपट में वेतन-भत्तों आदि में कुल मिलाकर 23.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक के तुरंत बाद ट्वीटर पर एक संदेश में कहा कि केंद्र सरकार के अफसरों, कर्मचारियों और पेंशनधारकों को सातवें वेतन आयेाग के जरिए उनके वेतन और भत्तों में ऐतिहासिक वृद्धि के लिए बधाई। पर फौरन यह पता नहीं चल पाया कि मंत्रिमंडल ने जो निर्णय किया है उसमें करीब 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारकों के लिए वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकार की ओर से कोई और बढ़ोतरी की गई है।
एक अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट ने एक जनवरी 2016 से सिफारिशें लागू करने की मंजूरी दी है। वेतन आयोग ने पिछले साल नवंबर में प्रस्तुत अपनी रपट में कनिष्ठ स्तर पर मूल वेतन में 14.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश कर थी जो पिछले 70 साल में किसी भी केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा सुझाई गई न्यूनतम वृद्धि है। छठे वेतन आयोग ने वेतन भत्तों में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का सिफारिश की थी जिसे सरकार ने 2008 में लागू करते समय दोगुना कर दिया था।
सातवें वेतन आयोग की रपट मिलने के बाद सरकार ने इसकी जांच और इसको लागू करने के बारे में रपट पेश करने के लिए इस साल जनवरी में मंत्रिमंडल-सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्चाधिकारप्राप्त समिति का गठन किया था। वेतन-भत्तों और पेंशन मानों में संशोधन से केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारकों को फायदा होगा। 7वें वेतन आयोग ने वेतन-भत्तों और पेंशन में कुल मिलाकर 23.55 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की है। इसको लागू करने पर सार्वजनिक खजाने पर सालाना 1.02 लाख करोड़ रूपए या सकल घरेलू उत्पाद के करीब 0.7 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसमें नए भर्ती केंद्रीयकर्तियों का वेतन बढ़कर 18,000 रूपए प्रति माह करने की सिफारिश है। फिलहाल यह 7,000 रूपए मासिक है।
इसी तरह मंत्रिमंडल सचिव स्तर के अधिकारी को मिलने वाला उच्चतम वेतन बढ़ाकर 2.5 लाख रूपए करने की सिफारिश की गई है जो फिलहाल 90,000 रूपए है। बजट 2016-17 में सातवें वेतन आयेाग के संबंध में बजट का अलग से प्रावधान नहीं किया गया है। इस बारे में सरकार ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए दशक में एक बार होने वाली वेतन बढ़ोतरी के लिए विभिन्न मंत्रालयों के आवंटन में अंतरिम प्रावधान के जरिए व्यवस्था की गई है।
केंद्र सरकार ने जनवरी में मंत्रिमंडलीय सचिव पी. के. सिन्हा के नेतृत्व में उच्चाधिकार प्राप्त सचिवों की एक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंपी थी। आयोग ने सिफारिश की थी कि न्यूनतम वेतन 18 हजार प्रति माह होना चाहिए जबकि अधिकतम वेतनमान की सीमा प्रति माह 2 लाख 25 हजार रुपए होनी चाहिए। मंत्रिमंडलीय सचिव और अन्य के लिए जो अभी समान वेतनमान में हैं, उनका अधिकतम वेतनमान 2 लाख 50 हजार रुपए प्रतिमाह हो। इस वेतनमान को लागू करने की अनुशंसा एक जनवरी 2016 से की गई है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब वेतन में इन सिफारिशों के अनुसार बढ़ोतरी होगी।
वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सरकारी आकलन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 में करीब 1 लाख 2 हजार 100 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। वेतन मद में खर्च में 39 हजार 100 करोड़ का इजाफा होगा जबकि भत्तों के मद में 29 हजार 300 करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। पेंशन मद में 33 हजार 700 करोड़ रुपए खर्च बढ़ेगा।
(भाषा इनपुट के साथ)