अपनी कुर्सी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री जनता के धन का कर रहे हैं दुरूपयोग : प्रो. धूमल

शिमला: नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार ने केवल तीन वर्षों में 11000 करोड़ रू. से अधिक का ऋण लेकर जनता को आकण्ड कर्जे में डुबो दिया है। ऋणों द्वारा लिये गए इस धन को जनता के विकास के वजाए कांग्रेस के हारे और नकारे नेताओं के ऐशोआराम पर पानी तरह बहाया जा रहा है। अपनी कुर्सी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री जनता के धन का दुरूपयोग कर रहे हैं। अन्धाधुन्ध लिये जा रहे इन कर्जो से प्रदेश का विकास बुरी तरह से अवरूद्ध हो रहा है। प्रो. धूमल ने आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र द्वारा उपलब्ध धन का दुरूपयोग प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। जो पैसा विकास कार्यों में लगना चाहिए था उसे ऋण के ब्याज को चुकता करने में लगाया जा रहा है। पिछले तीन वर्षो में ही 4455 करोड़ रू0 का ऋण लौटाया गया है। गलत आर्थिक नीतियों, अकुशल वितीय प्रबन्धन और जनता के धन पर कांग्रेसी नेताओं के ऐसोआराम ने प्रदेश की खस्ता हालत कर दी है।

प्रो. धूमल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने गांव, गरीब, किसान व नौजवान की हितैषी सरकार होने के वायदे को सार्थक करते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत को 80 लाख रू. के धन का प्रावधान प्रतिवर्ष किया है जो केवल जनता की सहमति से उनके क्षेत्र में व्यय किया जाएगा। इसी तरह कस्बों के विकास के लिए प्रतिवर्ष 21 करोड़ रू0 का प्रावधान उनकी दूरदर्शी सोच का परिचायक है। इन योजनाओं के लागू होने से प्रदेश के परिदृष्य में अभूतपूर्व परिवर्तन होगा।

प्रो. धूमल ने कहा कि आजादी के पश्चात पहली बार किसी सरकार ने किसानों के हित व स्मृद्धि के लिए इतनी योजनाएं व नीतियां बनाई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अब न केवल खेती करना सुरक्षित हो जाएगा बल्कि किसानों में आत्महत्या की प्रवृति भी कम होगी। यह पहली बार हुआ है कि मात्र डेढ व दो प्रतिशत प्रीमियम पर रवि व खरीफ की फसलों का बीमा होगा जबकि पहले प्रीमियम की रकम 15 से 20 प्रतिशत हुआ करती थी। फसल खराब होने पर दावे की रकम का भुगतान मात्र 25 दिनों के भीतर हो जाएगा। यह पहली बार है कि फसल बुआई और कटाई के पहले और पश्चात भी फसल के खराब होने की परिस्थितियों पर बीमा मिलेगा। इसी के साथ प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के शुरू होने से वर्ष 2022 तक देश के किसानों को सिंचाई के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *