शिमला के खूबसूरत प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण रमणीय शिखर पर बना “पीटर हॉफ”

शिमला के खूबसूरत प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण एक रमणीय शिखर पर “पीटर हॉफ” का भवन स्थित है। इसमें हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम द्वारा आलीशान होटल चलाया जा रहा है। पर्यटकों को आकृष्ट करने वाली इस स्थली पर बने पीटर हॉफ भवन को सर्वप्रथम ब्रिटिश भारत के वाइसरॉय अर्ल ऑफ एलिग्न (1862-63 ई०) ने अपने आवास के लिए चुना था।

ब्रिटिश इण्डिया के सात वाइसरॉय ने पीटर हॉफ को अपना निवास स्थान बनाया

“पीटर हॉफ”

चार अप्रैल, 1863 ई० को लॉर्ड एल्गिन ने पीटर हॉफ में प्रवेश किया। इस अविध में पीटर हॉफ ब्रिटिश सेन्य अधिकारी जनरल इन्नस की सम्पत्ति थी। उन्होंने यह सम्पत्ति सन् 1863 ई० को महाराजा सिरमौर को बेच दी थी। पीटर हॉफ लम्बे समय तक सिरमौर के अधिकार में रहा। आखिरकार सन् 1880 ई० को ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। ब्रिटिश इण्डिया के सात वाइसरॉय ने पीटर हॉफ को अपना निवास स्थान बनाया। लॉर्ड एल्गिन को छोड़कर अन्य वाइसरॉय में से सर जॉन लॉरेंस (1864-69 ई०), र्ल ऑफ मेयो (1869-72 ई०), लॉर्ड नार्थब्रुक (1872-76 ई०), लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०), लॉर्ड रिपन (1880-84 ई०) तथा र्ल ऑफ डफरिन (1884-88 ई०) भी पीटर हॉफ में रहे। सन् 1878 ई० में लॉर्ड लिटन कुछ महीनों के लिए पीटर हॉफ छोड़कर इन्वरम में रहने लगे।

पीटर हॉफ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का सरकारी आवास “राजभवन” भी रहा है

सन् 1981 ई० को पीटर हॉफ भीषण अग्निकांड में जल कर राख हो गया था

लॉर्ड लिटन इन्वरम से वापस लौटकर पीटर हॉफ में रहने लगे। पीटर हॉफ में पंजाब हाईकोर्ट चण्डीगढ़ न बदल जाने की अवधि तक चलता रहा । हिमाचल प्रदेश राज्यत्व प्राप्ति के बाद पीटर हॉफ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का सरकारी आवास “राजभवन” भी रहा है। सन् 1981 ई० को पीटर हॉफ भीषण अग्निकांड में जल कर राख हो गया था। उसके पश्चात् पीटर हॉफ का पुनर्निर्माण करवाया गया। यहां सन् 1997 ई० से हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम द्वारा होटल चलाया जा रहा है।

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