सोलन: नौणी विश्वविद्यालय की विभिन्न नर्सरियों में सेब एवं अन्य फलों के पौधे उपलब्ध

सोलन: हाल ही में हुई वर्षा व बर्फबारी से तापमान में आई गिरावट के कारण निचले क्षेत्रों में चिलिंग आवर्स (chilling hours) के पूरे होने की पूरी सम्भावना बढ़ गई है। वर्षा तथा बर्फबारी से आई नमी के पश्चात् बागवानों को डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा परामर्श दिया जाता है कि वह अपने बागीचों में समय रहते फलदार पौधों के रोपण का कार्य पूरा कर लें।

फल पौधों को रोपित करते समय यह विशेष ध्यान रखें कि फलदार पौधों के कलम का जोड़ भूमि के धरातल से लगभग 20-25 से.मी. ऊँचा रहे तथा उनकी जड़े सही दिशा में फैली रहे। स्व निष्फलता वाली किस्मों के साथ 25 से 33 प्रतिशत परागण किस्मों को अवश्य लगाएं। इसके अतिरिक्त यह समय फल पौधों के काट-छाँट के लिए भी उपयुक्त हैं तथा बागवान अपने बागीचों में काट-छांट का कार्य भी समय रहते पूरा कर लें। इसके पश्चात् काट-छाँट किये हुए पौधों में बोर्डो मिक्सचर का छिड़काव अवश्य करें।

बागवानों को यह भी सूचित किया जाता है डॉ० यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर स्थित फल विज्ञान विभाग, बीज विज्ञान विभाग तथा मॉडल फॉर्म में सेब की बहुत सी क़िस्मों तथा सेब के क्लोनल रूटस्टॉक, आडू एवं अनार के पौधे अभी विक्रय के लिए उपल्बध हैं। इसके अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र कण्डाघाट, कृषि विज्ञान केन्द्र चम्बा, बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, मशोबरा, बजौरा और शारबो में अभी सेब, प्लम आदि के नर्सरी पौधे विक्रय के लिए उपलब्ध है। बागवान इन विभागों व केन्द्रों पर सम्पर्क कर पौधे खरीद सकते हैं। अभी तक विश्वविद्यालय के विभिन्न केन्द्रों से बागवान विभिन्न फलों के 1.40 लाख से अधिक पौधे खरीद चुके हैं।

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