हिमाचल: प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र..

हिमाचल: प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के 5वें दिन आज आऊटसोर्स के मुद्दे पर सदन में खूब हंगामा हुआ और विपक्ष ने सदन से वॉकआऊट किया। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने नियम 67 के तहत आऊटसोर्स कर्मियों को वेतन का भुगतान न होने तथा इनकी छंटनी के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाया तथा इस पर चर्चा की मांग की। इस सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच सदन में नोक-झोंक हुई। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि कोरोना काल में नियुक्त आउटसोर्स कर्मियों को जरूरत के अनुसार सेवा विस्तार दिया जाएगा। 30 सितंबर तक इन कर्मियों की सेवाएं बढ़ाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त आउटसोर्स कर्मियों के मामले सरकार देख रही है। ऑप्रेशन थियेटर, वॉर्ड बॉय या अन्य स्थानों पर जहां-जहां इनकी जरूरत होगी, वहां पर इनकी सेवाएं लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 जून तक आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन जारी कर दिया है। सितंबर तक का वेतन देने की फाइल वित्त विभाग को भेजी है। जल्द वेतन जारी कर दिया जाएगा। प्रश्नकाल से पहले भाजपा विधायकों ने आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने का आरोप लगाकर नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट किया।

वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायक चैतन्य शर्मा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में राज्य विधानसभा में जानकारी देते हुआ बताया कि हिमाचल प्रदेश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट चंबा में लगेगा। राज्य में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही हिमाचल सरकार एक मेगावाट का इलेक्ट्रोलाइजर भी लगाने जा रही है। सीएम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती और आपदा के लिहाज से हिमाचल के अत्यंत संवेदनशील श्रेणी में होने को देखते हुए राज्य स्तरीय गवर्निंग काउंसिल  गठित की गई है। प्रदेश में 6 ग्रीन कॉरिडोर बनेंगे।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा है कि जिला कांगड़ा में पूर्व सरकार के समय में राजनीतिक प्रतिशोध से बंद किए गए कार्यालयों को जरूरत के अनुसार खोला जाएगा। विधायक सुधीर शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि पूर्व सरकार ने 36 कार्यालय कांगड़ा जिला में बंद किए थे।

शुक्रवार को विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक सुधीर शर्मा और हरीश जनारथा के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्मार्ट सिटी शिमला और धर्मशाला में हुई गड़बड़ियों की जांच की जाएगी। उन्होंने दोनों विधायकों से स्मार्ट सिटी के कार्यों में हुई अनियमितताओं की सूची भी मांगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी शिमला स्मार्ट सिटी की जगह स्टील सिटी बन गई है। धर्मशाला और शिमला में जहां-जहां स्मार्ट सिटी के कार्यों में अनियमितताएं बरती गई हैं, उसकी सूची उन्हें दी जाए। इसकी जांच करवाई जाएगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) का पद संवैधानिक नहीं है लेकिन ये नियुक्तियां कानूत के तहत की गईं हैं। इसके लिए विधानसभा से कानून पारित किया गया, जिसको आधार बनाकर सरकार ने 6 सीपीएस के पद भरे हैं और 2 अभी भी खाली हैं। हालांकि सीपीएस अपने वाहन में तिरंगा नहीं लगा सकते। सीपीएस को फाइल देखने का अधिकार है लेकिन वह इस पर लिख नहीं सकते। उन्होंने कहा कि सरकार ने कामकाज में पूरी पारदर्शिता को अपनाया है तथा कोई विधायक भी फाइल को देख सकता है। उन्होंने यह बात नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से सीपीएस की तरफ से अनुपूरक प्रश्न पूछने पर उठाए गए व्यवस्था के मामले का उत्तर देते हुए कही।

वहीं भांग की खेती वित्तीय संकट से जूझ रहे हिमाचल की आमदनी बढ़ाने में कारगर साबित हो सकती है। शुरुआती वर्षों में ही सालाना इससे 500 करोड़ तक की आय हो सकती है। नियंत्रित वातावरण में औद्योगिक, वैज्ञानिक और औषधीय प्रयोग के लिए भांग की खेती को वैध बनाने की सिफारिशें देने के लिए गठित समिति ने शुक्रवार को सदन के समक्ष रिपोर्ट रखी। समिति के अध्यक्ष राजस्व व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा हिमाचल में कृषि और बागवानी विभाग के सहयोग से योजना लागू की जा सकती है। भांग की खेती प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और जलवायु के अनुकूल है। बिना रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के इसका उत्पादन हो सकता है। भांग की खेती से पर्यावरण पर कार्बन प्रभाव की मात्रा कम की जा सकती है। इसके डंठल, बीज और पत्तियों को निर्माण सामग्री, कपड़ा, फर्नीचर, सौंदर्य प्रसाधन, जैव ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें पाया जाने वाला सीबीडी तत्व कैंसर, मिर्गी और पुराने दर्द की बीमारी में प्रभावी है। नेगी ने बताया कि खेती के लिए इस्तेमाल होने वाले बीज से लगने वाली फसल में नशे वाले कारक नहीं होंगे। समिति ने उत्तराखंड के सेलाकुई स्थित सेंटर फॉर एरोमेटिक प्लांट का दौरा कर भांग से निर्मित उत्पादों, ग्वालियर में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के निदेशक के साथ भांग की खेती के कानूनी पहलुओं और श्रीनगर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन भांग के चिकित्सा उपयोग पर शोध को लेकर जानकारी प्राप्त की है।

सम्बंधित समाचार

Comments are closed