शिमला : नगर निगम प्रशासन मनमाने आदेश कर रहा लागू – सैहब सोसायटी

शिमला: सैहब सोसायटी वर्कर्स यूनियन शिमला ने सुपरवाइजरों के बैंक एकाउंट फ्रीज़ करने, उनका वेतन रोकने, उन पर काम का अतिरिक्त बोझ लादने व उनकी मानसिक प्रताड़ना को लेकर नगर निगम आयुक्त शिमला से मुलाकात की व इन मांगों के समाधान की मांग की। आयुक्त ने भरोसा दिया कि सैहब सोसाइटी के मजदूरों व सुपरवाइजरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए जल्द ही मुख्यमंत्री से बातचीत करके एजीएम की बैठक बुलाई जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह, नरेंद्र, नरेश, दलविंद्र, नवी राम, भरत, ओमप्रकाश, चंदू लाल, नीरज, बालक राम, रमाकांत मिश्रा, दलीप सिंह, रंजीव कुठियाला आदि शामिल रहे। यूनियन ने चेताया है कि अगर मांगों का समाधान न हुआ तो यूनियन आंदोलन का रास्ता अपनाएगी।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सैहब सोसाइटी वर्करज़ यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह ने कहा कि नगर निगम प्रशासन मनमाने आदेश लागू कर रहा है। सुपरवाइजरों को बेवजह तंग किया जा रहा है। उनके बैंक एकाउंट तक फ्रीज़ कर दिए गए हैं। यह कदम पूरी तरह मानवता विरोधी है। बैंक एकाउंट फ्रीज़ होने से सुपरवाइजर अपने बच्चों की फीस तक जमा नहीं कर पा रहे हैं। वे घर राशन ले जाने में असमर्थ हैं। उन्हें ईलाज के लिए पैसे के अभाव में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम प्रशासन द्वारा बैंक एकाउंट फ्रीज़ करने का निर्णय गैर कानूनी है व सुपरवाइजरों के संविधान प्रदत अनुच्छेद 21 के जीवन जीने के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। नगर निगम प्रशासन लगातार सुपरवाइजरों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। उन पर कार्य का अतिरिक्त बोझ लादा जा रहा है। जब कूड़े के बिल पूरी तरह ऑनलाइन हो चुके हैं तो फिर सुपरवाइज़रों को घर घर जाकर बिल इकट्ठा करना कितना तर्कसंगत है। सुपरवाइजरों की नियमानुसार वेतन बढ़ोतरी भी नहीं की जा रही है। बहुत सारे सुपरवाइजरों को तो उनके ट्रेड के अनुसार वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। सैहब सोसाइटी के ज़रिए जनता से कूड़े की एवज में पैसे इकट्ठा करने वाले सुपरवाइजरों का मासिक वेतन रोक दिया गया है जबकि सैहब के पैसे से अन्य लोग यथावत लाभ ले रहे हैं।

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