कुल्लू : नर्सों ने लोगों को कोविड-19 टीकाकरण और टेस्टिंग कर मनाया नर्सिंग दिवस
कुल्लू : नर्सों ने लोगों को कोविड-19 टीकाकरण और टेस्टिंग कर मनाया नर्सिंग दिवस
कुल्लू: पतलीकुहल सीएचसी में नर्सों ने आम जनमानस को कोविड-19 टीकाकरण और कोविड-19 की टेस्टिंग कर नर्सिंग दिवस मनाया। सीएचसी पतलीकुहल में वैक्सीनेशन व कोविड़ सैंपलिंग पर कार्य कर रही स्टाफ नर्स वैजयंती माला शर्मा, लीना कपूर, जो कि वर्तमान में जिला अस्पताल कुल्लू में पॉजिटिव मरीजों के पास अपनी सेवाएं दे रही हैं । सी एच ओ के तहत ज्योति राठी, रेनु शर्मा, फार्मेसिस्ट प्रताप, हेल्पर प्रोमिला कोविड-19 सेंपलिंग के लिए तैनात है और आशा वर्करों में मीरा, पुष्पा, गीता, आरती, दबीना, मेघा, निर्मला देवी, कृष्णा देवी, संतोष लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोरोनाकाल में पिछले एक वर्ष से अधिक समय से हम देख रहे हैं कि नर्स मरीजों को ठीक करने में अपना दिन-रात एक कर रही हैं। यदि दुनिया में नर्सिंग का पेशा न होता तो आज इस महामारी में हम सभी का जीवन और भी संकट में होता। आज नर्से कई सारी जानों को बचा रही हैं, कई सारे लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं। नर्सों का भी अपना परिवार होता है लेकिन वे काम को लेकर इतनी कर्तव्यनिष्ठ होती हैं कि वे अन्य किसी चीज की परवाह नहीं करती हैं। भारत में नर्सों को सिस्टर का भी संबोधन दिया जाता है। पतलीकुहल स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना टीकाकरण के दौरान सामाजिक दूरी का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए यहां पर रसियां लगाई गई है तथा पुलिस की भी तैनाती की गई है। नर्सों के बिना इलाज करना नामुमकिन हैं इसलिए सभी को इनको आदर करना चाहिए ताकि इनका मनोबल बना रहे। वहीं स्टाफ नर्स वैजयंती माला शर्मा, लीना कपूर ने इस मौके पर जनसाधारण से अपील की है कि को बीमारी को हल्के में ना लें व अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन लगवाएं व खांसी बुखार आदि के लक्षण हों तो अपना टेस्ट जरूर करवाएं ।
गौर रहे कि नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई, 1820 को हुआ था। इस दिन उनको याद किया जाता है। सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत साल 1965 में की गई थी। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपने देश में इसकी शुरुआत 1973 में परिवार एंव कल्याण विभाग ने की थी। पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान किया जाता है। पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।