जलने पर फौरन करें उपचार.......

जलने पर फौरन करें उपचार…….

जलने पर सबसे पहले उस पर ठंडा पानी डालिए

जलने पर सबसे पहले उस पर ठंडा पानी डालिए

कभी लापरवाही तो कभी अनजाने में शरीर का कोई हिस्‍सा जल जाता है। जलने पर तुरंत अस्‍पताल नहीं जाया जा सकता। अगर जले हुए हिस्‍से तुरंत उपचार नहीं किया जाए तो वह आगे चलकर काफी नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए जले हुए भाग का इलाज तुरंत घरेलू नुस्‍खे अपनाकर करना चाहिए। आइए हम आपको बताते हैं कि जलने पर सबसे पहले क्‍या करें।

   जले हुए हिस्‍से पर पेस्‍ट लगाने से जलन कम होती है।

   जले हुए हिस्‍से पर सबसे पहले ठंडा पानी डालना चाहिए।

   जले हुए हिस्‍से पर रुई नहीं लगानी चाहिए।

   ज्‍यादा परेशानी होने पर फौरन डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए।

जलने पर देखभाल

जलने पर सबसे पहले उस पर ठंडा पानी डालिए। अच्‍छा तो यह रहेगा कि जले हुए अंग पर नल को खुला छोड़ दें।

जलने पर जीवाणुरहित पट्टी लगाइए, पट्टी को हल्‍का-हल्‍का लगाइए जिसके कारण जली हुई त्‍वचा पर जलन न हो।

हल्‍दी का पानी जले हुए हिस्‍से पर लगाना चाहिए। इससे दर्द कम होता है और आराम मिलता है।

कच्‍चा आलू बारीक पीसकर लगाने से भी फायदा होता है।

तुलसी के पत्‍तों का रस जले हुए हिस्‍से पर लगाएं, इससे जले वाले भाग पर दाग होने की संभावना कम होती है।

शहद में त्रिफला चूर्ण मिलाकर लगाने से चकत्‍तों को आराम मिलता है।

तिल को पीस‍कर लगाइए, इससे जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले हिस्‍से पर पडे दाग-धब्‍बे भी समाप्‍त होते हैं।

गाजर को पीसकर जले हुए हिस्‍से पर लगाने से आराम मिलता है।

जलने पर नारियल का तेल लगाएं। इससे जलन कम होगी और आराम मिलेगा।

जलने पर क्‍या ना करें

 जलने पर जले हुए हिस्‍से पर बर्फ की सेंकाई मत कीजिए। जले हुए हिस्‍से पर बर्फ लगाने से फफोले पड़ने की ज्‍यादा संभावना होती है।

जले हुए जगह पर रूई मत लगाइए, क्‍योंकि रूई जले हुए हिस्‍से पर चिपक सकती है जिसके कारण जलन होती है।

जले हुए मरीज को एक साथ पानी मत दीजिए, बल्कि ओआरएस का घोल पिलाइए। क्‍योंकि जलने के बाद आदमी की आंत काम करना बंद कर देती है और पानी सांस नली में फंस सकता है जो कि जानलेवा हो सकता है।

जले हुए हिस्‍से पर मरहम या मलाई बिलकुल ही मत लगाइए। इससे इंफेक्‍शन हो सकता है।

कोशिश यह कीजिए कि जलने वाले हिस्‍से पर फफोले न पडें। क्‍योंकि फफोले पड़ने से संक्रमण होने का खतरा ज्‍यादा होता है।

 ज्‍यादा परेशानी होने पर फौरन डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए

ज्‍यादा परेशानी होने पर फौरन डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए

जलने के कारण

जलन केवल आग से नहीं होती है बल्कि, गरम तेल, गरम पानी, किसी रसायन, गरम बरतन पकडने आदि के कारण होती है।

खाना पकाते वक्‍त महिलाएं अक्‍सर जल जाती हैं। कभी गरम दूध या फिर गरम तेल जलने का प्रमुख कारण होता है।

बच्‍चे अक्‍सर अपनी शैतानियों के कारण आग या फिर गरम पदार्थों की चपेट में आकर चल जाते हैं।

जलने पर सबसे पहले यह देखना चाहिए कि कितना भाग जला हुआ है। उसी हिसाब से उसका उपचार करना चाहिए। अगर त्‍वचा कम जली है तो उसका प्राथमिक उपचार करना चाहिए अगर अधिक गहरा या ज्‍यादा जल गए हों तो तुरंत चिकित्‍सक से संपर्क करना चाहिए।

जलने पर क्या करें?

मामूली जलने से हुए ज़ख्म का इलाज आप घर पर ही कर सकते है। अगर आप जल गए हों या आपकी त्वचा लाल हुई हो, या फिर उस पर छोटा सा फफोला बन गया हो, तो नीचे लिखी बातों पर गौर करें।

जब तक जलन कम ना हो, तब तक आप ज़ख्म पर ठंडे पानी का छोटा कपड़ा रखें या फिर ज़ख्म को बहते हुए ठंडे पानी के नीचे रखें।

ज़ख्म पर बर्फ ना रखें या उस जगह पर उभर आए फफोले को ना फोड़ें। उससे आपको ज़्यादा दर्द होगा और त्वचा पर निशान बन जाएगे।

दर्द बढे तो एस्प्रिन या पेनकिलर ले सकते है।

ज़ख्म को कपड़े से तभी ढंके, जब कपड़ों से ज़ख्म को तकलीफ ना हो।

डॉक्टर से मिलें अगर

अगर आपकी त्चचा (skin) पर सूजन हो। जली हुई जगह सफेद हो गई हो। उस जगह पर ज़्यादा दर्द ना हो तो ये आप की नसों को हानि पहुँचने का संकेत है।

अगर आपकी त्वचा पर फोड़े उठ आए हों, और ये त्वचा चेहरे या हाथ या पैर की हो जो कटती जा रही हो।

अगर दो दिन बाद भी आपको दर्द हो रहा हो।

अगर आपकी तकलीफ बढ़ रही हो। ज़ख्म लाल हो रहा हो और फोड़े बढ़ते जा रहे हों।

अगर आपको 98 डिग्री फेरनहाइट या उससे ज़्यादा बुखार हो।

अगर हर दिन ज़ख्म के हिस्से की सूजन बढ़ रही हो।

जल जाने पर प्राथमिक चिकित्‍सा

बर्न्स शुष्क गर्मी (जैसे के आग), गीली गर्मी ( जैसे भाप या गर्म तरल पदार्थ), विकिरण, घर्षण, गर्म वस्तुएं, सूरज, बिजली, या रसायन कारण हो सकते हैं। बर्न्स पृष्ठीय (पहली या दूसरी डिग्री) या गहरे (तृतीय डिग्री) हो सकते हैं। इसके लक्षणों में त्वचा की लाल होना, सूजन, छाले और दर्द शामिल हैं। तीसरी डिग्री बर्न्स में, अंतर्निहित ऊतक जैसे मांसपेशी प्रावरणी और नसें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यदि बर्न्स व्यापक हैं या तीसरी डिग्री के बर्न्स हैं तो तत्काल चिकित्सा देखभाल की जरूरत है। यदि बर्न के क्षेत्रफल का व्यास 3 इंच से अधिक है, या बर्न चेहरे, हाथ, पैर या जननांगों पर है तो आप अपने बच्चे को तुरंत एक चिकित्सक के पास ले जाएं।

बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार

छोटे बर्न्स (पहली और दूसरी डिग्री के बर्न्स) जिनका क्षेत्रफल 3 इंच व्यास से कम का है उनका इलाज घर पर किया जा सकता है। मामूली बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार में ये शामिल हैं

बर्न को ठंडा करें: बर्न को 10-15 मिनट के लिए या दर्द कम होने तक नल के नीचे ठंडे पानी में भिगोएं। यदि नल के नीचे भिगोना संभव नहीं है तो बर्न को ठंडे पानी में डुबो दें या इसे कोल्ड कम्प्रैसेस (ठंडी पट्टी) से ठंडा करें। जलने पर बर्फ न लगाएं।

पट्टी लगाएं: जीवाणुरहित पट्टी से जले क्षेत्र को सुरक्षित करें। ढकने के लिए रुई का इस्तेमाल न करें इससे जलन हो सकती है। पट्टी को हलके से लगाएं जिससे जली त्वचा पर अनुचित दबाव न पड़े। जले क्षेत्र पर पट्टी करने से दर्द को कम करने में मदद मिलती है और फफोले पड़ी त्वचा सुरक्षित रहती है।

पीड़ाहारी: अपने बच्चे को सरल दर्दनाशक दवाएं जैसे ऐसिटामिनोफेन, ब्रूफेन या मेफेनेमिक एसिड दें। बच्चों या किशोरों को एस्पिरिन नहीं दी जानी चाहिए।

अधिकतर मामूली बर्न्स आगे बिना किसी इलाज के ठीक हो जाते हैं। हर रोज ड्रेसिंग बदलें और संक्रमण के लक्षणों जैसे दर्द में वृद्धि, लालिमा, बुखार सूजन या स्यन्दन (ऊज़िंग) के प्रति सतर्क रहें।

आपको क्या नहीं करना चाहिए?

   जले क्षेत्र पर बर्फ न लगाएं।

   जले पर मक्खन या मलहम न लगाएं।

   फफोले न फोड़ें क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

   व्यापक या तीसरे डिग्री बर्न का घर पर इलाज न करें।

किसी भी प्रकार से प्रमुख रुप से जलने पर अपने बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाएं। अस्पताल पहुंचने तक इन चरणों का पालन करें

जली हुई जगह से चिपके किसी भी कपड़े को न उतारें।

गंभीर रुप से जले क्षेत्रों को पानी में न भिगोएं या कोई मरहम न लगाएं। जीवाणुरहित पट्टी या साफ कपड़े से जली सतह को ठकें।

सांस लेने, खांसने या गतिविधि की जांच करें। यदि बच्चा सांस नहीं ले रहा है या परिसंचलन के अन्य लक्षण अनुपस्थित हैं तो कार्डियोपल्मोनरी रेसुसिटेशन (सीपीआर) शुरू करें।

यदि संभव हो तो शरीर के जले हिस्से दिल के स्तर से ऊपर उठाएं।

एपिडर्मिस, डर्मिस तथा हाइपोडर्मिस तीन सतहों में बनी होती है त्‍वचा।

जले हुए स्थान के हेयर फॉलिकल, स्वेट ग्लैंड और तंत्रिकाओं के सिरे नष्ट हो जाते हैं।

जलने के बाद संक्रमण से बचने के लिए टिटनेस का इंजेक्शन जरूर लगवाएं।

जलन कम करने और आराम के लिए जलने पर नारियल का तेल लगाएं।

लड़की की जला हुआ हाथआग या अन्य किसी पदार्थ से त्वचा जलने पर असहनीय पीड़ा होती है। ऐसे में घबराहट, जानकारी की कमी और तीव्र जलन व दर्द के चलते लोग तत्काल बरती जाने वाली सावधानियों और आवश्यक उपचार नहीं कर पाते। जलने के कई कारण जैसे शुष्क गर्मी (आग से जलना), गीली गर्मी (भाप या कोई गर्म तरल पदार्थ), विकिरण, घर्षण, सूरज, बिजली या रसायमिक पदार्थ आदि हो सकते हैं। जले हुए अंग का उपचार जलने की श्रेणी पर निर्भर करता है। आइए जाने कि जलने की श्रेणी, इसके उपचार और जलने पर रखी जाने वाली सावधानियां क्या हैं।

जलने के कई कारण जैसे गर्म तेल, गर्म पानी, किसी रसायन, गर्म बरतन पकड़ने से या दिवाली के पटाखे के बारूद से भी कोई व्यक्ति जल सकता है। इसके अलावा खाना पकाते समय महिलाएं अक्सर जल जाती हैं। जिसमें गर्म दूध या गर्म तेल से जलना मुख्य होता हैं। वहीं बच्चे अक्सर खेल-कूद या शैतानी करते समय आग या फिर अन्य किसी गर्म चीज की चपेट में आकर जल जाते हैं। इसलिए आग से सुरक्षा बहुत जरूरी है। मामूली रूप से जलने के जख्म तो समय के साथ भर जाते हैं, लेकिन गंभीर रूप से जलने पर संक्रमण को रोकने और घावों को भरने के लिए विशेष देखभाल जरूरी होती है। उष्णता के अलावा रेडिएशन, रसायन, बिजली से होने वाले जख्मों को भी जलने की श्रेणी में रखा जाता है।

जलने पर क्या करें-

जले हुए स्थान को साफ और ठंडे पानी से धीरे-धीरे धोएं। हो सके तो जले हुए अंग पर नल से धीरे- धीरे पानी गिरने दें। संभव हो तो सिल्वरेक्स या बरनोल का लेप लगाएं। प्राथमिक उपचार के तौर पर जले हुए अंग पर सोफरामाइसिन भी लगा सकते हैं। इसके बाद मरीज को जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाएं। चिकित्सक की सलाह के मुताबिक दवाओं का सेवन करें। इसके अलावा अगर आपके पास एलोवेरा जेल या एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे जले हुए भाग पर लगा सकते हैं। एलोवेरा घाव भरने के साथ ही त्वचा को ठंडक भी देता है। घाव के ऊपर ढीली पट्टी या न चिपकने वाली पट्टी बांध लें और हवा से रखें ताकि दर्द कम हो। घाव गहरा है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ऐसे में आपको त्वचा प्रत्यारोपण की भी जरूरत पड़ सकती है। जख्म के थोड़ा सूखने पर सूखी पट्टी को ढीला करके बांधें, ताकि गंदगी और संक्रमण न फैले। सांस नहीं चल रही हो तो सीपीआर दें।

जलने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका ज्‍यादा होती है। इसलिए टिटनेस का इंजेक्शन लगावाएं। आप जिस स्थान पर हैं यदि वहां आग लग गई है तो फर्श पर लेट जाएं और धुंए की परत से नीचे रहने की कोशिश करें। अगर आग पूरे स्थान पर फैल रही है तो घबराएं नहीं, खुद पर काबू रखें और बाहर निकलने की कोशिश करें।

जलने पर किये जाने वाले घरेलू उपचार-

जले हुए स्थान पर आलू पीसकर लेप लगाएं, इससे जले हुए स्थान पर शीतलता का अनुभव होगा।

तुलसी के पत्तों का रस जले हुए हिस्से पर लगाएं, इससे जले हुए भाग पर दाग होने की संभावना कम होती है।

तिल को पीसकर लेप बनाइये और इसे लगाये। इससे जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले भाग पर पड़े दाग-धब्बे भी चले जाते हैं।

गाय के घी का लेप करें या पीतल की थाली में सरसों का तेल व पानी को नीम की छाल के साथ मिलाकर मरहम बनाएं और जले हुए स्थान पर लगाएं।

गाजर पीसकर लगाने से जले हुए हिस्से में आराम मिलता है।

जलने पर नारियल का तेल लगाएं। इससे जलन कम होगी और आराम मिलेगा।

जलने के बाद संक्रमण से बचने के लिए टिटनेस का इंजेक्शन जरूर लगवाएं।

जलने के बाद संक्रमण से बचने के लिए टिटनेस का इंजेक्शन जरूर लगवाएं।

यदि गर्म तेल के कारण कोई अंग जल जाए और घाव भी हो जाए तो पुराना चूना लें। इसे दही के साथ पानी में पीसें घाव पर लगाएं। आराम मिलेगा।

कोई भी अंग जल जाए तो सिरस के पत्ते मलें। आराम मिलेगा।

जल जाने के बाद दाग रह जाए तो इसे मिटाने के लिए बेर के कोमल पत्ते लें। इन्हें दही के साथ पीसें । लगाएं। दो समाप्त में ही जले के निशान मिट जाएंगे।

यदि कोई अंग जल भी जाए, छाले भी पड़ जाएं, फिर से छाले फूटकर घाव हो जाए तो इस पर लाल चंदन घिसकर लगाते रहें। एक ही समाप्त में घाव पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

अंग के जलने पर तुरंत गिरी (नारियल) का तेल लगाएं। शांति मिलेगी, ठंडक पा लेंगे

यदि गूलर के पत्ते प्राप्त हो सकें तो इन्हें पीसें। इसका लेप करें। जले अंग की पीड़ा बंद होगी। छाले भी नहीं पड़ेगे।

अरंड के पत्ते बांधने से भी जले अंग को आराम मिलता है।

जल जाने से होने वाली पीड़ा को शांत करने के लिए अनार के पत्तों को पीसकर लगाएं। काफी आराम मिलेगा।

जले स्थान पर होने वाली जलन को मिटाने के लिए आलू को बारीक पीसकर या कूटकर लगाएं। आराम पाएं।

यदि अचानक कोई अंग जल जाए तथा वहां गोबर उपलब्ध हो तो तुरंत लगा लें। एक तो जलन खत्म होगी, दूसरे जले का निशान भी नहीं पड़ेगा।

घर में तिल हों तो उन्हें पीसकर लगा दें तो जलन, दर्द आदि नहीं होगा तथा बाद में जले के निशान भी नहीं होंगे। इनमें से समय पर जो उपलब्ध हो, उसी का लाभ उठाएं।

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