शहीदों के जीवन से प्रेरणा लें : राज्यपाल

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि हमारे देश का शानदार इतिहास है, जहां अनेक वीर योद्धाओं ने देश की एकता एवं अखंडता के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए अपने प्राणों को न्योच्छावर किया है, और हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बंदा सिंह बहादुर उनमें से एक था, जिन्होंने सिक्ख साम्राज्य की स्थापना की और सर्वस्व कुर्बान कर भी अपनी आस्था को नहीं छोड़ा। राष्ट्रीय आन्दोलन के नेतृत्व के लिए तथा गुरु गोविंद सिंह जी के अनुयायी के रूप में हिन्दू व सिक्ख दोनों ही उनका सम्मान करते थे। उन्होंने लोगों से शहीदों के आदर्शों का अनुसरण करने का आग्रह किया।

राज्यपाल गत सायं ऐतिहासिक गेयटी थियेटर शिमला में बंदा सिंह बहादुर जी के 300वें शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा बंदा सिंह बहादुर ने सच्चाई एवं न्याय के लिए तत्कालीन शासकों की क्रूरता के विरूद्ध अनेक लड़ाईयां लड़ी। उन्होंने कहा कि बंदा सिंह बहादुर को मुगल राज्य में बंदी बनाकर उनकी परिवार सहित निर्मम हत्या कर दी थी। उन्होंने देश और धर्म के लिए तथा उस समय समाज में व्याप्त बुराईयों के प्रति लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

राज्यपाल ने कहा कि बंदा बहादुर धर्म के लिए जिए और हमें इस महान् विभूति के जीवन से धर्म के संरक्षण की शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को भी इस महान आत्मा के बलिदान की कहानियों को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के समारोह युवा पीढ़ी में बाबा बंदा सिंह बहादुर जैसे हमारे शूरवीरों के महान् योगदान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में मद्दगार होते हैं। उन्होंने चिंता जाहिर की कि आधुनिक समय में युवाओं को बाबा बंदा सिंह बहादुर जैसे योद्धाओं द्वारा देश के लिए किए गए सर्वोच्च बलिदान के बारे में बहुत कम जानकारी है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि एक समय था कि जब हम आर्थिक एवं आध्यात्मिक रूप से बहुत मज़बूत थे, लेकिन हमें उन कारणों को समझने की आवश्यकता है, जिससे हमारा देश गुलाम हुआ। उन्होंने कहा कि एकजुटता, एकरूपता, राष्ट्र भक्ति एवं सांस्कृतिक मान्यताओं को मज़बूत कर हमारा देश उन्नति की ओर बढ़ सकता है।

उन्होंने बाबा बंदा बहादुर द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को याद करने के लिए आयोजकों को बधाई दी और लोगों से उनके द्वारा दिखाए गये भाइचारे, शांति तथा सम्पन्नता के मार्ग का अनुसरण करने का आग्रह किया। राज्यपाल ने कहा कि समृद्ध विरासत एवं हमारे शानदार अतीत के संरक्षण के लिए हमें विशेष प्रयास करने चाहिए। उन्होंने युवाओं से शहीदों एवं महान व्यक्तियों की आत्म कथाओं से जुड़ी पुस्तकें पढ़ने को कहा, जो उन्हें प्रेरणा देंगीं। इससे पूर्व, राज्यपाल ने ‘हिमालय ध्वनि’ पत्रिका के 25 वर्ष पूर्ण होने पर इसके विशेष अंक जारी किया। उन्होंने इस अवसर पर सम्बंधित क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं के लिए महान विभूतियों को सम्मानित भी किया। हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि बंदा बहादुर ने मुगलों के विरूद्ध आंदोलन चलाया तथा देश व हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं परम्पराओं को बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन्होंने बंदा बहादुर की शिक्षाओं एवं संदेश के अनुसरण की आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर पंजाब खाद्यी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि बाबा बहादुर एक महान प्रशासक थे, जिन्होंने मुगल राज्य में जमींदारी प्रथा को समाप्त किया और वास्तविक रूप से खेती करने वालों को भूमि के मालिक बनाया।

भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. प्रेम शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखें। वीएचपी के राज्याध्यक्ष अमन पुरी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

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