अगले वित्त वर्ष में 96,855 क्विंटल गेहूं बीज उत्पादित करने का लक्ष्य : डाॅ. नरेश कुमार

फसल विविधिकरण से आया किसानों की आर्थिकी में बदलाव

  • राज्य की आर्थिकी में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान
  • प्रदेश देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां 89.96 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में बसती है और 70 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर
  • प्रदेश की कृषि जलवायु नकदी फसलों जैसे आलू, बेमौसमी सब्जियों और अदरक उत्पादन के लिये अति उत्तम
  • प्रदेश सरकार कृषि तथा इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों को कर रही सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान
  • कृषि को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम आरम्भ
  • वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने कृषि विकास के लिए 482 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान
  • प्रदेश के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है और राज्य की आर्थिकी में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमाचल प्रदेश देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां 89.96 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में बसती है और 70 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व सम्बद्ध गतिविधियों का 10.4 प्रतिशत योगदान है। राज्य में 5.42 लाख हैक्टेयर भूमि काश्त की जाती है और 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है। प्रदेश की कृषि जलवायु नकदी फसलों जैसे आलू, बेमौसमी सब्जियों और अदरक उत्पादन के लिये अति उत्तम है।
  • प्रदेश सरकार कृषि तथा इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है तथा कृषि को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं। वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने कृषि विकास के लिए 482 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है।
  •    321 करोड़ की फसल विविधिकरण प्रोतसाहन परियोजना कार्यान्वित

प्रदेश में कृषि विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में जून, 2011 से 321 करोड़ रुपये की ‘हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना“ जापान इन्टरनेशनल को आपरेशन एजेंसी के सहयोग से लागू की गई है। योजना के अन्तर्गत कृषि विविधिकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ किया जा सके। इसके अन्तर्गत किसानों को सिंचाई सुविधाएं, खेतों तक सड़क मार्ग, जैविक खेती तथा किसानों के समूह गठित कर सब्जी उत्पादन व विपणन के लिए तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाना शामिल है। वर्तमान में यह योजना प्रदेश के पाँच जिलों-बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा व ऊना में सात वर्षों के लिए कार्यान्वित की जा रही है। परियोजना के अन्तर्गत 210 लघु सिंचाई योजनाऐं, 147 सम्पर्क मार्ग, 37 एकत्रण केन्द्र स्थापित करके सब्जी उत्पादन को विशेष महत्व दिया जाएगा। योजना के तहत वर्ष 2015.16 के दौरान 60 करोड़ रुपये व्यय किए गए जबकि वर्ष 2016-2017 के लिये 80 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है।

  • राज्य में किए जा रहे हैं 870 जलस्त्रोत व 4700 पॉलीहाऊस स्थापित

सरकार द्वारा फसल विविधिकरण तथा बेमौसमी सब्जियों को बढ़ावा देने तथा कृषि क्षेत्र में आधारभूत अधोसंरचना विकसित करने के लिए 111.19 करोड़ रूपये की  “डा. वाई.एस. परमार किसान स्वरोजगार योजना” कार्यान्वित की जा रही है। योजना के अंतर्गत पॉलिहाऊस तथा सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त, किसानों को पॉलिहाऊस, ड्रिप इकाईयां व स्प्रिंकलर स्थापित करने के लिए 85 प्रतिशत का उपदान प्रदान किया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक 4700 पॉलीहाऊस व 2150 स्प्रिंकलर/ड्रिप इकाईयां स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा, 870 पानी के जैसे लघु लिफ्ट, मध्यम लिफ्ट और पम्पिंग मशीनरी इत्यादि स्थापित किये जाएंगे और इसके लिये 50 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है।

योजना के अन्तर्गत 8.35 लाख वर्गमीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती के तहत तथा 8.20 लाख वर्गमीटर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है। गत वित्त वर्ष में योजना पर 25 करोड़ रूपये खर्च किये गये, जबकि वर्ष 2016-2017 में 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना के अंर्तगत अब तक 1276 पॉलीहाउस का निर्माण करवाकर 2.34 लाख वर्गमीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती के अंर्तगत लाया गया है।

कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में चार प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने के लिये प्रदेश में “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना” लागू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्यों को कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में निवेश हेतु प्रोत्साहित करना तथा किसानों की आय बढ़ाना है।

प्रदेश में धान, मक्की, दालों और गेहू का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान”आरम्भ किया गया है, जिसके तहत उत्पादन बढा़ने के लिए किसानों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। इस वर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत 17.88 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है, जबकि धान की फसल को बढ़ावा देने के लिए 1.36 करोड़ रुपये, गेहूँ के लिए नौ करोड़ रूपये, मक्की के लिए 3.19 करोड़ रूपये व दालों के लिए 4.33 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

  • राज्य में 16.74 लाख मीट्रिक टन खाद्यानों का उत्पादन

प्रदेश में वर्तमान खरीफ मौसम के दौरान 9.4 लाख टन खाद्यान उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत 7.50 लाख टन मक्की, 1.31 लाख टन धान की उपज का लक्ष्य शामिल है। तिलहन के लिए 4.8 हजार मीट्रिक टन तथा आलू का 1.95 लाख मीट्रिक टन, अदरक 35 हजार टन तथा सब्जी 15 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा व्यापक प्रबन्ध किए गए हैं, जिसके तहत किसानों को 25.60 क्विंटल उन्नत बीज, 22 हजार टन रासायनिक खाद, 100 क्विंटल जीवाणु खाद व 95 टन दवाईयों के अतिरिक्त, 55 हजार सुधरे औजार किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

प्रदेश सरकार के प्रयासों से वर्ष 2014-15 में राज्य में 16.74 लाख मीट्रिक टन खाद्यान का उत्पादन हुआ, जबकि इसी दौरान 1.81 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ।

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