प्रधानमंत्री मोदी कल अफगान-भारत मैत्री बांध का करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी कल अफगान-भारत मैत्री बांध का करेंगे उद्घाटन

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे जहां वह राष्ट्रपति अशरफ गनी से बातचीत करेंगे और हेरात प्रांत में अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन करेंगे। इससे पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था। यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि मोदी और गनी के बीच मुलाकात अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और कैसे दोनों देश उस देश में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने के लिए आगे सहयोग कर सकते हैं, इस पर विचार का अवसर प्रदान करेगी। अफगानिस्तान 4 जून से शुरू हो रही मोदी की पांच देशों की यात्रा का हिस्सा है। इसके तहत वह कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको भी जाएंगे।

बांध परियोजना को पूरा किया जाना बेहद कठिन परिस्थितियों में तकरीबन 1500 भारतीय और अफगान इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कठोर परिश्रम को दर्शाता है, इस बात पर जोर देते हुए स्वरूप ने कहा कि यह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के प्रति भारत की सतत प्रतिबद्धता को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि बांध 44000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने में मदद करेगा। पाकिस्तान का परोक्ष तौर पर उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवाद और अस्थिरता को प्रोत्साहन देने वालों के विपरीत भारत काबुल के साथ हमेशा खड़ा रहा। पिछले साल, मोदी और राष्ट्रपति गनी ने संयुक्त रूप से नए संसद भवन को अफगान राष्ट्र को समर्पित किया था। इसका निर्माण भारत-अफगानिस्तान सहयोग के तहत किया गया था।

स्वरूप ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘अफगानिस्तान की जनता ने लगातार भारत को ऐसा देश माना है जो उनके साथ खड़ा रहा है और उनके लिए काफी मददगार है। साथ ही इन परियोजनाओं पर काम करते वक्त हमें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।’ स्वरूप ने कहा, ‘न सिर्फ भौगोलिक चुनौतियों बल्कि अफगानिस्तान में जिस तरह की स्थिति है उसकी वजह से सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। अफगानिस्तान के साथ शांति और स्थिरता को बाधित करने के लिए बार-बार प्रयास किए गए सीमा पार आतंकवाद, आप जानते हैं कहां से।’

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान में दो अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता चुनौतियों के बावजूद बनी हुई है।’ अमेरिकी कांग्रेस में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री क्या संदेश देंगे इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह भागीदारी, पारस्परिक सम्मान और एक-दूसरे की चिंताओं को शामिल करने से जुड़ा होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच गहरे संबंधों के लिए दबाव बनाएंगे।

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