“मकर संक्रांति” जानें स्नान-दान और पूजा का महत्व : आचार्य महिंदर शर्मा
“मकर संक्रांति” जानें स्नान-दान और पूजा का महत्व : आचार्य महिंदर शर्मा
हर साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है।कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पर महा पुण्यकाल की शुरुआत यानि मकर संक्रांति के दिन स्नान करने उपरांत दान करने का महत्व होता है। इसलिए पुण्य और दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर होगी। वहीं, इसकी समाप्ति सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर होगी। इसके साथ ही पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। आचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन खरमास की समाप्ति हो रही है और सूर्य के राशि परिवर्तन करने के साथ सूर्य उत्तरायण हो जाएगा। जिससे वह 6 महीने तक वह उत्तरायण दिशा में ही रहेंगे। इस दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। मकर संक्रांति से गृह प्रवेश, सगाई, विवाह, मुंडन अन्य सभी प्रकार के मांगलिक काम शुरू हो जाएंगे।
मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान
भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर दें अर्घ्य
कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा ने बताया कि इस दिन तीर्थ धाम पर नदी या सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व बताया गया है। यदि किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान कर लें।
आचार्य महिंदर शर्मा
मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है। इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें। गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है। आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
मकर संक्रांति के सुबह जल्दी उठकर नहा लेना चाहिए और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्घ्य देकर प्रणाम करना चाहिए। एक थाली में रोली, मौली, लौंग, हल्दी, गुड़, दूध, घी लेकर सूर्य देव की प्रतिमा के सामने पूजा करते हुए अर्पित कर सकते हैं। मकर संक्रांति पर तिल मिले हुए जल से भगवान सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन एक साफ लोटे में काला तिल, साफ पानी, अक्षत्, लाल फूल, शक्कर और रोली डालें। फिर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए या उन्हें प्रणाम करते हुए अर्पण करें।
मान्यता के अनुसार, इस दिन काले तिल से पूजा करने पर सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और शनि देव की तरह ही भक्तों को भी धन और संतान आदि की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें। तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है।
यदि कोई बीमार है तो, उसे मकर संक्रांति के दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है।
क्या है उत्तरायण और दक्षिणायन?
उत्तरायण देवताओं का दिन है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। दक्षिणायन की तुलना में उत्तरायण में अधिक मांगलिककार्य किए जाते हैं। ये बड़ा शुभ फल देने वाले होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने खुद गीता में कहा है कि उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है। उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे। सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है और सूर्य जब मकर में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है।
दान करने पुण्य तो मिलता ही है हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन का बेहद ही खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, यदि कोई व्यक्ति साल भर या पूरे महीने में कभी दान पुण्य ना कर सके तो उसे मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य ज़रुर करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसके अलावा भी कई उपाय हैं जो इस दिन किए जाते हैं।
मकर संक्रांति को पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो आप भी बेहतर है। लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। मकर संक्रांति के दिन स्नान के पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।
स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें। इसके साथ ही भोग लगाएं। पूजा पाठ करने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार दान करें।मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त पर अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द की दान, मुरमुरे के लड्डू आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत शुभ होता है।
मकर संक्रांति के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन अगर आपके घर पर कोई भिखारी, साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आता है तो उसे कभी भी खाली हाथ न जाने दें।
मकर संक्राति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव मंत्रों का जाप जरूर करें। इस दिन सूर्य के खास मंत्र ‘ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः‘ का जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य दें।
सूर्य-शनि से जुड़ी पौराणिक कहानी
मकर संक्रांति से जुड़ी शनि देव और सूर्य देव की एक पौराणिक कथा है। मान्यताओं के मुताबिक पिता सूर्य देव से शनि देव के संबंध अच्छे नहीं थे। शनि देव और सूर्य देव की आपस में नहीं बनती है। देवी पुराण में बताया गया है कि सूर्य देव जब पहली बार अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे, तब शनि देव ने उनको काला तिल भेंट किया था और उससे ही उनकी पूजा की थी। इससे सूर्य देव अत्यंत प्रसन्न हुए थे। सूर्य ने शनि को आशीष दिया कि जब वे उनके घर मकर राशि में आएंगे, तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा। तभी से मकर संक्रांति मनाई जाती है।