रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त और समय, रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग : आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, जानकारी दे रहे हैं आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा

आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से प्रारम्भ हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही यानी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से ही भद्रा काल की शुरूआत हो रही है जो रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना गया हैं, इसलिए इस समय राखी नही बांधनी चाहिए

 इस कारण इस बार 30 अगस्त को रात 09 बजकर 03 मिनट से 31 अगस्त 2023 को प्रात:काल 7 बजकर 05 मिनट तक राखी बाँधने का सबसे उपयुक्त समय हैंइसलिए इस बार राखी का त्यौहार दो दिन 30 अगस्त व 31 अगस्त को मनाया जायेगा लेकिन आपको भद्राकाल का ध्यान रखना होगा

राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त

अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त का समय 30 अगस्त को रात में 9 बजकर 34 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगा

उपयुक्त समय 30 अगस्त को रात 09 बजकर 03 मिनट से 31 अगस्त को सवेरे 7 बजकर 05 मिनट तक रहेगा

 जानिए राखी बांधने की पूजा विधि के बारे में

रक्षा बंधन के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, रंग बिरंगी राखी, अक्षत, कुंमकुंम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। थाली में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैंपहले बहनों को चहिये कि वे राखी को भगवान को अर्पित करें। हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक, सबसे पहले देवताओं को राखी बांधकर उनको भोग लगाना चाहिए। तत्पश्चात भाइयों को राखी बांधें। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बहनों को मनवांछित वरदान देते हैंभाइयों का घर धन-दौलत से भर देते हैं।

आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा

  सबसे पहले राखी भगवान श्री गणेश जी को बांधना चाहिए। उसके बाद एनी देवताओं को जैसे भगवान विष्णु, भगवान शिव,भगवान श्री कृष्ण, भगवान श्री राम, भगवान हनुमान और अपने ईष्ट देव को राखी अर्पित करें के बाद ही भाइयों को राखी बांधें।  फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुंमकुंम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं। इसके बाद भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हैं और मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है।अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्‍पर्श करना चाहिए। राखी बांधने के बाद भाई बहनों को भेंट दें। वहीं राखी के दिन भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं। इस दिन बहन को उपहार में तौलिए या रूमाल गिफ्ट में नहीं देना चाहिए। इसके अलावा फोटो फ्रेम, दर्पण, नुकीली और धारधार चीज नहीं देना चाहिए। ये सभी चीजें अशुभ मानी जातीं हैं।

इस दिन बहनों के हाथ से राखी बंधवाने से भूत-प्रेत एवं अन्य बाधाओं से भाई की रक्षा होती है। जिन लोगों की बहनें नहीं हैं वह आज के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ फल मिलता है। इन दिनों चांदी एवं सोनी की राखी का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। चांदी एवं सोना शुद्ध धातु माना जाता है अतः इनकी राखी बांधी जा सकती है लेकिन, इनमें रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए। ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं।

आप अपने भाई की कलाई पर राखी या धागा बांधते हैं तो ध्यान रखना है कि राखी या धागे की गांठ तीन होनी चाहिए। तीन गांठों की बहुत अहमियत है। पहली गांठ भाई की लंबी उम्र और सेहत के लिए बांधी जाती है। दूसरी गांठ भाई की सुख-समृद्धि के लिए बांधी जाती है। तीसरी गांठ रिश्ते को मजबूत करती हैं। ये तीन गांठें ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सम्बोधित करती हैं।

राखी के दिन बहन अपने भाई के माथे पर अक्षत और कुमकुम मिलाकर तिलक करती है। हिंदू धर्म में अक्षत का अर्थ है जिसकी कोई क्षति न हो। भाई को तिलक लगाते समय ध्यान दें कि टूटे चावल का प्रयोग नहीं किया गया जाए। दिशा का रखें ध्यान रक्षाबंधन के दिन वास्तु के अनुसार राखी बांधना शुभ होता है। राखी बांधते समय बहनें इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। राखी बांधते समय उत्तर और पूर्व दिशा में मुख होना चाहिए। काले रंग की राखी न बांधे राखी के दिन इस बात का विशेष ध्यान दें कि काले रंग का सूत्र का प्रयोग नहीं होना चाहिए। शास्त्रों में भी माना जाता है कि ये रंग नकाराकत्मकता को दर्शता है।

राखी बांधने का मंत्र: बहनें भाई की कलाई में राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय इस मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए।

  • ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

 

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