पारम्परिक परिधानों व आभूषणों से सुशोभित हिमाचल की छटा बिखेरता पहाड़ी लोकनृत्य

हिमाचल की संस्कृति को संजोये प्रदेश के हर जिले के अनूठे लोकनृत्य

घुगती नृत्य

घुगती नृत्य मूलत: युवकों का नृत्य है। नर्तक एक-दूसरे के पीछे खड़े होते हैं और अपने से आगे वाले के कोट को पकड़े रहते हैं। नेता घुगती गीत गाता हुआ आगे को छलांग लगाता है और टेढ़ा-मेढ़ा चलता है। दूसरे भी उसके पीछे बल खाते चलते हैं।

बौद्ध भिक्षुक लाहौल स्पीति और ऊपरी किन्नौर के मठों में मुखौटों वाले नृत्य करते हैं। जिन्हें देखने के लिए आस-पास के गांवों के लोग आते हैं। ये नृत्य मठों के प्रांगण में आयोजित किए जाते हैं और भोर से लेकर सायंकाल तक चलते हैं। इनमें अच्छाई और बुराई के बीच युद्ध के विभिन्न सोपान अंकित किए जाते हैं। नर्तक और संगीतकार लामा ही होते हैं।
बौद्ध नृत्य प्राय: तुरहियां बजाते, झांझ और गोलकार नगाड़ों के संगीत के साथ प्रारम्भ होते हैं। नर्तक मुखौटे पहन कर उपस्थित होते हैं। इनमें से दो ने शेरों के मुखौटे और वस्त्र पहने होते हैं। नृत्य में शेर पर काबू पाने का दृश्य दिखाया जाता है तथा शेर बुरी आत्मा का प्रतीक होता है। यह लामाओं का शैतान का नाच कहलाता है।

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्यों की सूची –

1. नाटी: यह नृत्य कुल्लू, शिमला और सिरमौर में लोकप्रिय है।

2. मुंजरा: यह एकल नृत्य घरों में होता है। यह नृत्य शिमला और सिरमौर में अधिक होता है।

3. ढीली नाटी: यह नृत्य शिमला, कुल्लू, सिरमौर तथा मण्डी में लोकप्रिय है। यह धीमी गति का नृत्य है जिसमें अनेक वाद्यों का प्रयोग होता है।

4. गीह नृत्य: यह सिरमौर के गिरिपार क्षेत्रों में तथा शिमला के ठियोग, बलसन, जुब्बल, कोटखाई और चौपाल आदि जनपदों में लोकप्रिय है।

5. हुडक नृत्य: शौर्य और पराक्रम को दर्शाने वाला यह नृत्य शिमला के चौपाल जनपद में लोकप्रिय है और हुडक वाद्ययन्त्र के साथ किया जाता है। यह डमरू जैसा होता है। यह शिव के ताण्डव का ही एक रूप माना जाता है।

6. ठोडा नृत्य : सिरमौर के जनपदों में योद्धा जाति खुंदों द्वारा किया जाने वाला यह एक प्रकार का युद्ध नृत्य है। यह बीशू के अवसर पर किया जाता है।

7. करथी नृत्य : यह कुल्लू का वीररस प्रधान नृत्य है।

8. खड़तायर नृत्य : यह भी कुल्लू का धार्मिक, वीररसपूर्ण नृत्य है। यह देवयात्रा पर तलवार के साथ किया जाता है।

9. रूंझका ढीली नृत्य : यह मंदालय के साथ कुल्लू में प्रचलित नृत्य है। कुल्लू में यह नाटी बहुत प्रसिद्ध है।

10. लालहडी नृत्य: यह भी कुल्लू में प्रचलित है। नर्तक दल बारी-बारी से इसे करते हैं और लोकगीतों को तुकबन्दियों के रूप गाते हैं।

11. पंगवाल नृत्य: चम्बा घाटी के पंगवाल क्षेत्र में पंगवाल समुदाय द्वारा यह नृत्य किया जाता है। पुरूष इसे दिन में और स्त्रियां सांझ ढलने पर करती हैं।

12. सेन नृत्य: भूत-प्रतों को भगाने के लिए पांगी घाटी में यह नृत्य किया जाता है।

13. राक्षस नृत्य, छम्म:…जारी….

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2 Responses

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  1. dev
    Jun 16, 2016 - 04:04 PM

    sir/madam aapke dwara di hui ye bistrirt jankari upyogi hia lekin kripya is priksha ki drishti se likhe ..,jaise ki himachal ke alag alag jilon ke nritya .,bhashayen,boliyan, aadi

    Reply
    • मीना कौंडल
      Jun 16, 2016 - 06:10 PM

      देवराज जी…हम कोशिश करेंगे कि आपके दिए सुझाव पर शीघ्र अम्ल करने की। धन्यवाद।

      Reply

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