एसजेवीएन को मिला “स्‍वच्‍छता पखवाड़ा-2019” अवार्ड में द्वितीय पुरस्‍कार सम्मान

  • एसजेवीएन द्वारा स्‍वच्‍छ भारत मिशन के संदेश का प्रचार व प्रसार करने के लिए बड़े पैमाने पर गतिविधियों का किया जाता रहा है आयोजन

रीना ठाकुर/नई दिल्ली: भारत सरकार के सचिव (विद्युत) अजय कुमार भल्‍ला ने आज नई दिल्‍ली में आयोजित एक समारोह के दौरान एसजेवीएन के निदेशक (कार्मिक) गीता कपूर तथा मुख्‍य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) डी.पी. कौशल को स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण अवार्ड-2019 का द्वितीय पुरस्‍कार प्रदान किया।
विद्युत मंत्रालय के अधीन सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा स्‍वच्‍छता पखवाड़े के दौरान की गई गति‍विधियों के आधार पर मूल्‍यांकन किया गया। इस मूल्‍यांकन के आधार पर एसजेवीएन को स्‍वच्‍छता पखवाड़े (16 से 31 मई,2019) के दौरान की गई अभिनव गतिविधियों के लिए स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण अवार्ड,2019 से नवाजा गया है। एसजेवीएन ने हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड, बिहार, महाराष्‍ट्र, गुजरात तथा नई दिल्‍ली में अपने सभी कार्यालयों और परियोजना स्‍थलों में गतिविधियां आयोजित की। एसजेवीएन ने स्‍वच्‍छ भारत मिशन के संदेश का प्रचार और प्रसार करने के लिए बड़े पैमाने पर गतिविधियों का आयोजन किया।

  • एसजेवीएन ने स्‍वच्‍छ विद्यालय अभियान के तहत निर्मित 2421 स्‍कूल शौचालयों के रखरखाव के लिए प्रावधान
  • समुदाय की आवश्‍यकता के आधार पर एसजेवीएन ने 600 से अधिक घरों को लाभान्वित करते हुए झाकड़ी में एक एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेट प्‍लांट (एसटीपी) का किया निर्माण

एसजेवीएन ने स्‍वच्‍छ विद्यालय अभियान के तहत निर्मित 2421 स्‍कूल शौचालयों के रखरखाव के लिए प्रावधान किया है, जिससे स्‍कूल प्राधिकारियों को

एसजेवीएन

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शौचालयों को प्रचालन की स्थिति में रखने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सके। समुदाय की आवश्‍यकता के आधार पर एसजेवीएन ने 600 से अधिक घरों को लाभान्वित करते हुए झाकड़ी में एक एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेट प्‍लांट (एसटीपी) का निर्माण किया है । इस परियोजना के अगले चरण में इस क्षेत्र के तीन और गांवों को इस सीवरेज ट्रीटमेट प्‍लांट (एसटीपी) से जोड़ा जाएगा तथा 1000 से अधिक घरों के लिए लाभप्रद होगा । स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत एसजेवीएन ने परियोजना क्षेत्र एवं इसके इर्द गिर्द तथा राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर सार्वजनिक शौचालयों को उपलब्‍ध कराने के लिए भी पहल की है ।
एसजेवीएन ने शिमला जिले में झाकड़ी तथा कुल्‍लू जिले में बायल नामक दो गांवों को बुनियादी तथा अन्‍य आधुनिक सुविधाओं के निर्माणार्थ आदर्श ग्राम योजना के तहत अपनाया

  • एसजेवीएन ने शिमला जिले में झाकड़ी व कुल्‍लू जिले में बायल नामक दो गांवों को बुनियादी तथा अन्‍य आधुनिक सुविधाओं के निर्माणार्थ आदर्श ग्राम योजना के तहत अपनाया
  • एसजेवीएन ने किया दीन दयाल उपाध्‍याय जल संरक्षण योजना के तहत स्‍वच्‍छ जल उपलब्‍ध कराने के लिए 70 से अधिक प्राकृतिक जल स्‍त्रोतों को संरक्षित एवं विकसित
  • समाज में स्‍वच्‍छता को बढ़ावा देने के लिए एसजेवीएन ने सार्वजनिक स्‍थलों पर 24,000 डस्‍टबिन कराए उपलब्‍ध

एसजेवीएन ने शिमला जिले में झाकड़ी तथा कुल्‍लू जिले में बायल नामक दो गांवों को बुनियादी तथा अन्‍य आधुनिक सुविधाओं के निर्माणार्थ आदर्श ग्राम योजना के तहत अपनाया है तथा सन 2021 तक इस अभियान को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है । इसके अलावा प्रतिष्ठित स्‍मारकों में नवीनीकरण तथा अतिरिक्‍त सुविधाओं के निर्माण के लिए फंड उपलब्‍ध कराया गया है । एसजेवीएन ने अपशिष्‍ट निपटान स्‍थलों के पुनर्रूद्वार और उन्‍हें सार्वजनिक पार्कों के रूप में विकसित करने के लिए स्‍थानीय प्राधिकारियों के साथ सहयोग किया है।
एसजेवीएन की दीन दयाल उपाध्‍याय जल संरक्षण योजना के तहत स्‍वच्‍छ जल उपलब्‍ध कराने के लिए 70 से अधिक प्राकृतिक जल स्‍त्रोतों को संरक्षित एवं विकसित किया है । समाज में स्‍वच्‍छता को बढ़ावा देने के लिए एसजेवीएन ने सार्वजनिक स्‍थलों पर 24,000 डस्‍टबिन उपलब्‍ध कराए हैं ।
इन गतिविधियों के अतिरिक्‍त:

  • एसजेवीएन ने छात्राओं के मध्‍य स्‍वच्‍छता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरक भाषणों तथा स्‍कूलों में सेनेटरी नैपकिनों के वितरण के अलावा हमारी नदियों को साफ रखने हेतु जागरूकता उत्‍पन्‍न करने के लिए , नदियों के किनारों की सफाई, प्राकृतिक जल स्‍त्रोतों की सफाई के लिए श्रमदान में जनता और कर्मचारियों की भागीदारी के लिए भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए ।

एसजेवीएन अपनी सीएसआर तथा सततशीलता परियोजनाएं छह शीर्षों नामत: स्‍वास्‍थ्‍य एवं स्‍वच्‍छता, शिक्षा एवं कौशल विकास, सततशील विकास, ढांचागत एवं सामुदायिक विकास , प्राकृतिक आपदा के दौरान सहायता, संस्‍कृति एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए कार्यान्वित करता है ।

  • एसजेवीएन पंचायत घरों, महिला मंडलों, खेल के मैदानों जैसी सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण में भी सक्रिय है तथा आज की तारीख तक 200 से अधिक सामुदायिक परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा चुका है ।

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