शिमला: शिक्षा, विधि व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण-2017 के तहत पीटरहाफ में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और शिक्षण स्तर को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रदेश में शिक्षा प्रशासन को गंभीरता से विचार करना होगा।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा युक्त शिक्षकों के बावजूद सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर बच्चों की कम उपस्थिति चिंता का विषय है, जिसे दूर करने के लिए शिक्षकों, अभिभावकों व समाज के अन्य वर्ग को समन्वय से कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि एनसीआरटी द्वारा करवाया गया राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण अत्यंत विस्तृत सर्वेक्षण था। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण के तहत हमारी जो कमियां और चुनौतियां रही हैं, उसकी पूर्ति के लिए विचार कर कार्य योजना तैयार की जाएगी। शिक्षक समुदाय के कार्यों को और अधिक बेहतर बनाने के लिए पुनश्चर्या कार्यक्रम, प्रशिक्षण व अन्य माध्यमों का सहारा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा शिक्षा विभाग द्वारा सर्वेक्षण में बच्चों की योग्यताओं और परिणामों को प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों के साथ विस्तृत रूप से सांझा किया जाना है।
उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान प्रदेश के तीसरी, पांचवी और आठवीं कक्षा के लगभग 24 हजार, 771 छात्रों ने भाग लिया। उन्होंने शिक्षकों को आह्वान किया कि शिक्षक शिक्षण कार्य को सरकारी कार्य न समझते हुए भावी राष्ट्र के निर्माण के प्रति अपना दायित्व समझते हुए निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि शिक्षण कार्य मात्र जीविका उपार्जन कार्य न होते हुए, देश में कर्णधारों के निर्माण के लिए किया गया पुनीत कार्य है।
शिक्षा सचिव डॉ. अरूण शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आर्थिक समृद्धि के लिए शिक्षा में सम सामयिक बदलाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के तहत हमारे प्रयासों में जो कमी रही है, उस पर चिंतन कर उसके सुधार के लिए आवश्यक पग उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा में और गुणात्मक सुधार करने के लिए हमें अपने प्रयासों में सघनता लानी होगी।
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली की प्रो. इंद्राणी भादुड़ी ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण परिषद-2017 के परिणामों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला और प्रस्तुति दी। प्रधानाचार्य एवं राज्य योजना समन्वयक डीआर चौहान ने सरकार द्वारा निर्धारित 100 दिनों में प्राप्त किए जाने वाले शिक्षा में गुणवत्ता निर्धारित लक्ष्यों के संबंध में प्रस्तुति दी।