कैसे करें "मेथी" की उन्नत खेती

“मेथी” की उन्नत खेती उत्तरी भारत की पत्तियों वाली सब्जी की मुख्य फसल

मेथी की फसल की कटाई बोने से 25-30 दिन के बाद करनी शुरू

मेथी की फसल की कटाई बोने से 25-30 दिन के बाद करनी शुरू

मेथी की बुवाई कतारों में की जाती है। कतार से कतार की दूरी 20-25 सेमी. रखते हैं। बीज से बीज की दूरी 4-5 सेमी. रखनी चाहिए। इस दूरी पर पौधे रखने से वृद्धि अच्छी होती है। क्योंकि पौधों में ब्यांत बढ्‌कर अधिक पैदावार मिलती है।

बुवाई का ढंग एवं बीज की मात्रा : मेथी की बुवाई दो विधियों के द्वारा की जाती है। पहली छिटकवां तथा दूसरी कतारों में। छिटकवां विधि का अधिकतर बड़े क्षेत्रों में बोने के लिये प्रयोग करते हैं। इस विधि में पौधे लाइन में नहीं रहते जिससे निकाई तथा कटाई या गुड़ाई में परेशानी रहती है। कतारों में बोने से पौधों की निकाई-गुड़ाई आसानी से की जा सकती है तथा काटने में भी आसानी रहती है।

मेथी के बीज को जाति तथा समय के अनुसार बोना चाहिए। औसतन उपरोक्त जातियों के लिये बीज 20-25 किलो प्रति हेक्टर की दर से पर्याप्त होता है। उपरोक्त जातियों के बीज का अंकुरण, अच्छा होता है तथा अंकुरण 6-8 दिन के अन्दर हो जाता है।

थिनिंग : छोटे बीज वाली फसलों में यह क्रिया की जाती है। छोटे बीज होने के कारण बीज अधिक गिर जाता है। जिससे पौधों की संख्या अधिक हो जाती है। पौधों की आपस की दूरी निश्चित करके फालतू पौधों को उखाड़ दिया जाता है। दूरी उचित होने से पौधों की वृद्धि ठीक होती है।

सिंचाई एवं निकाई-गुड़ाई : मेथी की सिंचाई का उपज पर बहुत प्रभाव पड़ता है। बोने से 10-15 दिन के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए तथा बाद की सिंचाइयां नमी व मौसम के अनुसार एक हफ्ते में करते रहना चाहिए तथा गर्मियों में अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार से 4-5 दिन के अन्तराल से पानी लगाते रहना चाहिए। मेथी के खेत की सिंचाई के बाद निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। फसल में यदि खरपतवार हों तो उनको उखाड़ना अति आवश्यक है तथा यदि फालतू पौधे हों तो उन्हें उखाड़कर दूरी भी ठीक कर देनी चाहिए।

बगीचे में मेथी की फसल का सिंचाई के लिये विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि जाड़े तथा गर्मी दोनों मौसम की फसल के लिये पानी की आवश्यकता पड़ती है। गर्मी एवं जायद की फसल की सिंचाई 2-3 दिन के बाद करते रहना चाहिए अर्थात् दोनों मौसम की फसलों के अन्दर नमी बनी रहनी चाहिए तथा गमलों की फसल के लिये प्रतिदिन शाम को पानी देना चाहिए जिससे कि गमलों में नमी लगातार बनी रहे। मेथी की फसल के समय-समय पर घास तथा अन्य खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़ देना चाहिए तथा एक-दो निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

फसल की कटाई : मेथी की फसल की कटाई बोने से 25-30 दिन के बाद करनी शुरू हो जाती है। पहली कटाई के बाद पौधों में अधिक घास हो जाती है जिससे पौधे नीचे की तरफ से बढ्‌कर फैल जाते हैं। इस प्रकार कटाई के बाद पौधों में कई नीचे से सूत निकलकर पौधों में बदल जाती हैं। इस तरह से एक पौधा फैलकर बड़ा हो जाता है। फसल की 3-4 कटाई लेकर बाद में कटाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि पौधों को बढ़ने देते हैं जिससे आगे चलकर बीज बनाया जाता है। कटाई एक डेढ़ हफ्ते के बाद करनी चाहिए। मेथी की फसल में खाद की मात्रा अधिक देने से पत्तियों का आकार बदल जाता है तथा पत्तियों का स्वाद भी बदल जाता है।

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