मण्डी : नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम के तीसरे चरण में ब्यास व सहायक नदियों में डाले 2.20 लाख मछली बीज

मण्डी : मत्स्य पालन विभाग के मत्स्य मण्डल मण्डी की उपनिदेशक नीतू सिंह ने आज यहां बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम का तीसरा चरण पूरा कर लिया गया है। इस दौरान ब्यास व इसकी सहायक नदियों में लगभग 2.20 लाख मछली बीज डाले गए।

उन्होंने बताया कि मंडी जिला में 15 अक्तूबर, 2025 से शुरू हुए इस कार्यक्रम के तीसरे चरण में 30 अक्तूबर, 2025 को मंडी के गुरुद्वारा श्री गोविंद सिंह जी के समीप ब्यास नदी में 45 हजार तथा बाखली बाज़ार के निकट बाखली खड्ड में एक लाख और सियांज क्षेत्र के समीप ज्यूणी खड्ड में 75 हजार भारतीय मेजर कार्प प्रजाति जैसे की कतला, रोहू और मृगल मछलियों का बड़े आकार का बीज (अंगुलिकाएं) डाला गया।

नीतू सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता में स्थानीय मछुआरों का विशेष योगदान रहा, जिसके लिए उन्होंने सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने, मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने, जैव विविधता के संरक्षण तथा सामाजिक-आर्थिक लाभों की प्राप्ति के उ‌द्देश्य से नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।

इस अवसर पर जागरूकता शिविर भी आयोजित किए गए, जिनमें जिले के आम नागरिकों एवं मछुआरों को विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न मत्स्य योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई। साथ ही नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम के महत्व के बारे में विशेष जानकारी दी गई। विभाग की ओर से यह अपील भी की गई कि मछुआरे छोटी मछलियों का शिकार न करें, क्योंकि यह अवैध मत्स्य शिकार की श्रेणी में आता है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश मत्स्य अधिनियम, 1976 एवं नियम 2020 के अंतर्गत अभियुक्त से हरजाना वसूल कर दंडित किया जाता है।

इस अवसर पर मत्स्य निदेशालय बिलासपुर द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक एवं सहायक निदेशक मत्स्य, बिलासपुर पंकज ठाकुर तथा मंडी में सहायक निदेशक मत्स्य नीतू सिंह, विभागीय कर्मचारी तथा जिले के स्थानीय मछुआरे उपस्थित रहे।

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