लिंग जांच एवं कन्या भ्रूण हत्या की सूचना देने वाले को एक लाख का ईनाम

  • प्रदेश सरकार ने राज्य में लिंग अनुपात में सुधार लाने की दिशा में उठाए हैं प्रभावी कदम
  • प्रसव पूर्व लिंग जांच की शिकायतों से सख्ती से निपटा जाएगाः कौल सिंह ठाकुर अल्ट्रासाउण्ड मशीनों में एक्टिव ट्रेकिंग डिवाईस लगाने की कवायद
  • राज्य में क्रियाशील अल्ट्रा साउण्ड मशीनों पर कड़ी निगरानी

शिमला: प्रदेश सरकार ने राज्य में लिंग अनुपात में सुधार लाने की दिशा में अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं, जिसके चलते पिछले कुछ वर्षों में निश्चित तौर पर लिंग अनुपात में सुधार हुआ है। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज यहां आयोजित राज्य पर्यवेक्षी बोर्ड (पीसी एण्ड पीएनडीटी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन्दिरा गॉंधी बालिका सुरक्षा योजना के अन्तर्गत एक लड़की पर परिवार नियोजन अपनाने पर 35000 रुपये तथा दो लड़कियों पर 25000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त, लड़कियों की शिक्षा तथा इनके प्रोत्साहन के लिये अनेक योजनाएं कार्यान्वित की गई हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यद्यपि राज्य में क्रियाशील अल्ट्रा साउण्ड मशीनों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, लेकिन निजी क्लिनिकों में यदा-कदा इनके दुरुपयोग को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन मशीनों में एक्टिव ट्रेकिंग डिवाईस लगाने पर विचार कर रही है और पायलट आधार पर ये डिवाईस प्रथम चरण में कांगड़ा जिले में प्रयोग किए जाएंगे और चरणबद्ध तरीके से राज्य की सभी सरकारी व निजी अल्ट्रा साउण्ड मशीनों में ये उपकरण लगाने अनिवार्य बनाए जांएगें। कांगड़ा जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस उपकरण की विस्तृत प्रस्तुति भी दी। उन्होंने इस उपकरण के फायदों व नुकसान का आंकलन करने के लिये वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समिति के गठन के निर्देश दिए। यह समिति तीन माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

कौल सिंह ठाकुर ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, खण्ड चिकित्सा अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सम्बन्धित जिलों एवं स्वास्थ्य खण्डों में स्थापित अल्ट्रासाउण्ड के नियमित तौर पर निरीक्षण एवं कड़ी निगरानी के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या की सूचना देने पर ईनाम की राशि को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या न केवल पाप है, बल्कि जघन्य अपराध भी है और अधिनियम में इसके लिये कड़ी सजा का प्रावधान है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अल्ट्रासाउण्ड मशीनों के संचालन के लिये उपयुक्त पात्रता को सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से भारतीय मेडिकल परिषद से इन मशीनों के संचालकों के प्रशिक्षण से सम्बन्धित नियम बनाने का आग्रह करने को कहा। हालांकि, इस क्षेत्र में स्नात्कोतर एवं डिप्लोमा धारकों को इस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है।

ठाकुर ने प्रसव पूर्व लिंग जांच एवं कन्या भ्रूण हत्या की सोच में बदलाव लाने के लिये जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से सभी जिलों में बड़े पैमाने पर जागरूकता शिविरों का आयोजन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिविरों में पंचायती राज संस्थानों, स्वेच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा आशा वर्करों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिये सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को धनराशि पहले ही उपलब्ध करवा दी गई है। बैठक में राज्य के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने सम्बन्धित जिलों में अल्ट्रा साउण्ड मशीनों की स्थिति एवं इनसे जुड़े अपराधिक मामलों का ब्यौरा प्रस्तुत किया और इस सम्बन्ध में अपने सुझाव भी दिए।

स्वास्थ्य विभाग के निदेशक बी.एस. ठाकुर, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं नियमन के अधिकारी तथा बोर्ड के गैर सरकारी सदस्य बैठक में उपस्थित थे।

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