हिमाचल: प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने आयोजित की क्षमता निर्माण कार्यशाला

शिमला: जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियम, 2004 और संशोधन 2023 के तहत डीएफओ को शक्तियों के प्रत्यायोजन पर शिमला में हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने एक क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया है। कार्यशाला में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और इन अधिनियमों के सही क्रियान्वयन को लेकर बात कही। प्रबोध सक्सेना ने कहा कि जैव विविधता अधिनियम का उद्देश्य लाभों के समान बंटवारे के लिए जैव संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान को विनियमित करना है। डीएफओ को शक्तियां सौंपने से व्यापार परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और एबीएस शुल्क एकत्र करने में प्रभावी रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इससे प्रदेश को वित्तीय लाभ भी होगा।शक्तियां सौंपने से जमीनी स्तर पर जैव विविधता नियमों के कार्यान्वयन में वृद्धि होगी। मुख्य सचिव ने जैव विविधता की भूमिका और संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया।

 हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड सदस्य सचिव डीसी राणा ने इस कार्यशाला के पर्यवेक्षक के रूप में अहम भूमिका निभाई और अपने व्याख्यान द्वारा जैव विविधता के महत्व को दर्शित किया। उन्होंने जैवविविधता की भूमिका और संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया और राज्य में जैव विविधता संरक्षण समस्याओं के सफलतापूर्वक समाधान के संदर्भ में जैव विविधता जागरूकता फैलाने की आवश्यकता का उल्लेख करप्रशिक्षण कार्यशाला मेउपस्थितराज्य के सभी जिलों/वन प्रभागों के प्रभागीय वन अधिकारियों (डीoएफoओo) को जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियम, 2004 के प्रावधानों और इसके बाद के संशोधन, 2023 और ऐoबीoएoस प्रावधानों के महत्व के बारे में जागरूक किया। उक्त अधिनियम के तहत एoबीoएसo प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई।

बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव सतपाल धीमान ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए तुरंत गंभीरता से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। क्षमता निर्माण कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित सेवानिवृत्त पीसीसीएफ जीएस गोराया ने औषधीय पौधों के व्यापार को व्यवस्थित करने में वन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

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